इन 10 लोक गीतकारों ने बॉलीवुड में भरा रीजनल म्यूजिक का खूबसूरत रंग !

    इन 10 लोक गीतकारों ने बॉलीवुड में भरा रीजनल म्यूजिक का खूबसूरत रंग !

    बॉलवुड में कई नए टैलेंट्स आते हैं। कभी ही ऐसा होता है जब बॉलीवुड में कोई अलग और ताज़गी से भरपूर गाना आता है। ये गाना आपको भारत की संस्कृति के रंग में रंगने का काम करता है। ये अपनी आवाज़ से सभी को एक-साथ जोड़ता है और आपकी रूह को छू जाता है। लोक गीतकारों की आवाज़ में इतनी ताकत होती है कि वो बॉलीवुड भी उनके जादू से दूर नहीं रह पता। ये लोक गीतकार संगीत वजह से नहीं जीते ये संगीत के लिए जीते हैं।

    आइये आपको बतायें बॉलवुड के कुछ बेमिसाल लोक गीतकारों के बारे में जिन्होंने अपने रंग में हमें ऐसा ढाला कि हम सब उनके दीवाने हो गए !

    नूरान सिस्टर्स

    ज्योति नूरान और सुलताना नूरान की आवाज़ें साथ में मिलकर एक कमरे को इतना रोशन कर देती है कि खुद को रोक पाना मुश्किल हो जाता है। अपने पिता गुलशन मीर से संगीत की शिक्षा लेने वाली नूरान सिस्टर्स सूफी संगीत में माहिर हैं। इन दोनों को अपना पहला ब्रेक फिल्म 'हाईवे' के गाने पटाखा गुड्डी से मिला था और उसके बाद से इन दोनों ने अभी तक कई हिट गाने गाये हैं। सुल्तान, दंगल, दम लगा के हईशा जैसी फिल्मों में इन्होने बेमिसाल गाने गाये हैं।

    द वडाली ब्रदर्स

    जब पंजाबी लोक संगीत की बात होती है तो वडाली ब्रदर्स का ज़िक्र ना करना पाप समान लगता है। अमृतसर के गुरु की वडाली नामक जगह से आये पूरनचंद वडाली और प्यारेलाल वडाली अपनी आवाज़ से आपकी रूह को हिला देने का दम रखते हैं। लोक गीतों के साथ-साथ इन्होने फिल्म तनु वेड्स मनु और पिंजर में कमाल के गाने भी गाये हैं।

    पपोन

    बॉलीवुड में बड़ा नाम कमाने से पहले पपोन भारतीय फोक फ्यूज़न में काफी योगदान देते थे। असम के लोक गीतकारों के घर जन्मे पपोन को बचपन से ही संगीत से प्यार था। उन्होंने बॉलीवुड में अनगिनत बेमिसाल गाने गाये हैं, जिनमें मोह मोह के धागे, लबों का कारोबार और जियें क्यों शामिल हैं।

    ईला अरुण

    बॉलीवुड में लोक गीत का नाम आते ही ईला अरुण का नाम सभी के दिमाग में सबसे पहले आता है। राजस्थानी लोक गीत से लेकर अपने खुद के अलग अंदाज़ में पॉप संगीत के साथ लोक गीतों को मिक्स करने तक ईला अरुण ने कई बेमिसाल हिट गानों को गाया है। सुमडोग मिलियनेयर में उनका गाया गाना रिंगा रिंगा ऑस्कर विजेता एल्बम में आता है।

    कल्पना पटवारी

    असम से आयी कल्पना भोजपुरी लोक संगीत में खुद को निपुण मानती हैं। लेकिन इस बात से कभी उनके काम पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा। कल्पना एक सिर्फ भोजपुरी में ही नहीं बल्कि 30 भाषाओं में गा सकती हैं। बॉलीवुड के हिट डांस नंबर जैसे गन्दी बात, ऊँचा लम्बा कद आदि गाने उन्होंने गए हैं।

    रब्बी शेरगिल

    पहले ज़माने में जब इंटरनेट का विकास हो रहा था किसी भी चीज़ को वायरल होने में बहुत समय लगता था। इसके बावजूद भी रब्बी शेरगिल का 'बुल्ला की जाना' देश में आग की तरह फैला और प्रसिद्ध हुआ था। अपनी सूफी-फोक वेस्टर्न आवाज़ के साथ रब्बी ने हमें ऐसा संगीत दिया जो हमें पहले कभी नहीं सुना था। उन्होंने कई बॉलीवुड गीतों को भी ज़िन्दगी दी है। जैसे जब तक है जान का गाना छल्ला उनका एक बेहतरीन काम है।

    सरताज खान और सरवर खान

    सरवर खान (12) और सरताज खान (11) जैसलमेर के छोटे से गाँव से आते हैं। आमिर खान की फिल्म 'दंगल' के आने से पहले ये दोनों बच्चे संगीत के विद्यार्थी थे। लेकिन दंगल के गाने हानिकारक बापू के लिए चुने जाने पर ये दोनों देश के सितारों में से एक बन गए। इन दोनों का भविष्य काफी रोशन होगा।

    मामे खान

    जैसलमेर का एक और हीरा, मामे खान ने अपने लोक संगीतकारों के परिवार की 15वीं पीढ़ी में जन्म लिया है। मामे जांगड़ा म्यूजिक के मास्टर हैं, जो की राजस्थानी लोक संगीत का एक हिस्सा है और जिसे ख़ुशी के गाया जाता है। मामे ने फिल्म नो वन किल्ड जैसिका, लक बाए चांस और मिर्ज़या जैसी फिल्मों में गाना गाया है।

    स्वरुप खान

    2014 में रियलिटी शो इंडियन आइडल में भाग लेने के बाद स्वरूप टीवी की दुनिया में राजस्थानी लोक संगीत को लेकर आये। उन्होंने भले ही टीवी की दुनिया को बेहतरीन गाने दिए लेकिन राजस्थान के लोक संगीत में अपना योगदान देना नहीं छोड़ा। बॉलीवुड में उनके योगदान की बात करें तो उन्होंने आमिर की फिल्म 'पीके' का गाना ठरकी छोकरो गाया था।

    हम इन्हे बॉलीवुड में और ज़्यादा गाते हुए सुनना चाहते हैं !