फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड लोकप्रिय भारतीय लेखक चेतन भगत के उपन्यास हाफ गर्लफ्रेंड का एक अनुकूलन है। कहानी एक बिहारी लड़के माधव झा पर केंद्रित है, जो दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ता है और जो शहरी लड़की रिया सोमनी को दिल दे बैठता है। माधव रिया के साथ प्यार में पड़ते हैं लेकिन रिया अपने और उसके रिश्ते को नहीं अपनाती। रिया माधव को बताती है कि...और देखें
फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड लोकप्रिय भारतीय लेखक चेतन भगत के उपन्यास हाफ गर्लफ्रेंड का एक अनुकूलन है। कहानी एक बिहारी लड़के माधव झा पर केंद्रित है, जो दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ता है और जो शहरी लड़की रिया सोमनी को दिल दे बैठता है। माधव रिया के साथ प्यार में पड़ते हैं लेकिन रिया अपने और उसके रिश्ते को नहीं अपनाती। रिया माधव को बताती है कि वह उसकी हाफ गर्लफ्रेंड बन सकती है। रिश्तों की जटिलताओं से जुड़ी ये कहानी एक अलग आकार लेती है और कई जगहों की यात्रा कराती है। मोहित सूरी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर हैं। कम
निर्णय
“हाफ गर्लफ्रेंड को अगर आधे समय में बनाया जाता तो जनता को फुल परेशानी से छुटकारा मिल जाता !”
चेतन भगत हमारे देश के महान लेखकों में से एक हैं। ऐसा माना जाता है कि उनके द्वारा लिखी गयी किताबें इतनी कमाल होती हैं कि उन किताबों को भारत के कॉलेज के शिड्यूल का हिस्सा बना दिया गया है। लेकिन मुझे ऐसा क्यों नहीं लगता कि चेतन की किताबें अच्छी होती हैं?
जब चेतन की किताब हाफ गर्लफ्रेंड बाज़ार में आयी थी और मैंने उसे पढ़ा था तब कई लोगों की तरह मेरे मन में भी यही सवाल आया था कि जिस पेड़ की बलि देकर इस किताब के पन्ने बने है क्या उन पन्नों को किसी तरह दोबारा पेड़ में तब्दील किया जा सकता है? पर अफ़सोस ऐसा नहीं हो सकता। अब इस महान किताब पर फिल्म भी बनाई गयी है, जिसकी कहानी बिल्कुल किताब जैसी है।
हाँ, तो ये कहानी है बिहार के सिमराव में रहने वाले माधव झा (अर्जुन कपूर) की जिसकी अंग्रेजी थोड़ी कच्ची है। दिल्ली के सबसे बड़े कॉलेज़स में से एक सेंट स्टेफेन कॉलेज में दाखिला ले चुके माधव को अपनी ही कॉलेज मेट रिया सोमानी (रिया सोमानी) से प्यार हो जाता है। लेकिन रिया माधव के साथ उस तरह नहीं रहना चाहती जैसे माधव चाहता है इसलिए वो उसकी हाफ गर्लफ्रेंड बन जाती है, हाफ गर्लफ्रेंड यानी दोस्त से ज़्यादा और गर्लफ्रेंड से थोड़ा कम ! फिर शुरू होती है भाग-दौड़, दुःख-दर्द और प्यार की कहानी।
एक्टिंग की बात की जाये तो अर्जुन कपूर ने फिल्म को थोड़ा संभाला है। श्रद्धा कपूर ने अभी तक जितनी भी फ़िल्में की हैं ये फिल्म उन्हीं सब फिल्मों का मैशअप है। श्रद्धा अपने पहले के किसी भी रोल से अलग नहीं दिखाई दे रही हैं। वो इस फिल्म में भी मासूम-सी लड़की बनी हैं, जो गाना चाहती है। श्रद्धा के हाव-भाव, डायलॉग डिलीवरी कुछ भी आपको खुश नहीं करता। ऊपर से फिल्म की कहानी इतनी नकली लगती है कि क्या बताएं। असल ज़िन्दगी से हटके ये फिल्म आपको अपना माथा पटकने पर मजबूर कर देगी ! अच्छी परफॉरमेंस सिर्फ एक्टर विक्रांत मसि ने दी है। विक्रांत, माधव के दोस्त शैलेश का किरदार निभा रहे हैं और अपने काम को बेहद अच्छे से कर रहे हैं।
फिल्म में यूँ तो बहुत गाने हैं लेकिन जो गाने पूरे समय सुनाई दे रहे हैं वो है अरिजीत सिंह का 'फिर भी तुमको चाहूँगा' और अनुष्का सहाणे का 'स्टे अ लिटिल लॉन्गर'। श्रद्धा पूरा समय फिल्म में एक ही गाना गा रही हैं। जिस शहर, जिस गली, जिस देश में जाती हैं एक ही गाना जाती है और वो है स्टे अ लिटिल लॉन्गर !
और हाँ, अगर आपको नहीं पता तो खास तौर पर बता देती हूँ कि इस फिल्म को खुद चेतन भगत प्रोड्यूस किया है। फिल्म के निर्देशक मोहित सूरी से मुझे जितनी भी उम्मीदें थी उन्होंने उन सब को रौंद के ख़त्म कर दिया। कुल मिलाकर चेतन भगत की किताब का एक बहुत ख़राब अनुकूलन है फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड ! अगर इस फिल्म को थोड़ा कम समय में बना कर ख़त्म किया जाता तो जनता का बहुत सारा समय व्यर्थ होने से बच जाता। अगर आपके पास ज़िन्दगी में करने को कुछ नहीं है तो आपकी मर्ज़ी... आगे आप खुद समझ लीजिये !