मुंबई की मशहूर आपा हसीना पारकर के जीवन पर बनी फिल्म में एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर ने हसीना का किरदार निभाया है, फिल्म में हसीना के भाई दाऊद का रोल श्रद्धा कपूर के भाई सिद्धांत कपूर ने निभाया है | फिल्म हसीना पारकर को अपूर्वा लाखिआ ने निर्देशित है | ये फिल्म 22 सितम्बर 2017 को सिनेमाघरों में आएगी।
मुंबई की मशहूर आपा हसीना पारकर के जीवन पर बनी फिल्म में एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर ने हसीना का किरदार निभाया है, फिल्म में हसीना के भाई दाऊद का रोल श्रद्धा कपूर के भाई सिद्धांत कपूर ने निभाया है | फिल्म हसीना पारकर को अपूर्वा लाखिआ ने निर्देशित है | ये फिल्म 22 सितम्बर 2017 को सिनेमाघरों में आएगी। कम
निर्णय
“ फिल्म काफी शांत और सुस्त है फिल्म में एक्टर्स का अभिनय औसत हैं। ”
मुंबई की आपा कही जाने वाली दाऊद इब्राहीम की बहन हसीना पारकर के जीवन पर बनी फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है। इस फिल्म के ट्रेलर को देखकर दर्शकों ने कई कयास लगाये थे, लेकिन फिल्म के रिलीज़ होने के बाद इसने सभी को खुश करने के बजाये अपने आप को इसे देखने के लिए कोसने पर मजबूर कर दिया है।
फिल्म की कहानी हसीना पारकर की ज़िन्दगी के बारे में जैसे कि उनका अपने भाई दाऊद इब्राहिम से कैसा रिश्ता था, अपने पति को खोने के बाद उनके जीवन में क्या मुश्किलें आयीं और कैसे हसीना पारकर मुंबई की हसीना आपा बनी। दाऊद की बहन होने कि वजह से हसीना की ज़िन्दगी में कई मुश्किलें आयीं, जिनकी वजह से वो साधारण बहन से क्राइम की दुनिया में मशहूर हुई ऐसी औरत बनी जिसके सामने हर इन्सान सिर झुका कर बात करता है।
हसीना के किरदार में श्रद्धा कपूर आपको मिक्स फीलिंग देती हैं। कहीं उनकी एक्टिंग काफी अच्छी है तो कहीं वो सही एक्सप्रेशन तक देने में भी नाकाम हो रही हैं। असली हसीना पारकर जैसा दिखाने के लिए श्रद्धा को डार्क स्किन टोन के साथ दिखाया गया है। निराशा की बात ये है कि अलग-अलग फ्रेम में श्रद्धा के चेहरे का रंग भी बदलता जाता है। कहीं वे साफ़ रंग की दिख रही हैं, कहीं सांवली तो कहीं काली। उनका मोटापा भी हर फ्रेम में अलग है और उनके बोलने के तरीके आपका दिमाग खराब करता है।
इस फिल्म से श्रद्धा के भाई सिद्धांत कपूर ने डेब्यू किया है और हसीना के बड़े भाई दाऊद का किरदार निभाया है। श्रद्धा के मुकाबले सिद्धांत ने अपने दाऊद के किरदार के साथ न्याय किया है। इसके अलावा हसीना के पति इब्राहिम पारकर के किरदार में अंकुर भाटिया से भी अच्छा काम किया है। फिल्म में दिखाये गये कोर्ट रूम ड्रामा में कोई ख़ास दम नहीं था। जहां फिल्म का पहला भाग आपकी दिलचस्पी बढ़ाता है वहीं दूसरा भाग आपको सुलाता है। फिल्म का दूसरा भाग इतना स्लो है कि आप इंतज़ार करते हैं कि कब ये फिल्म ख़त्म हो और आप घर वापस जायें। फिल्म में हसीना को अच्छी लाइट में दिखाया गया है। ये एकतरफा फिल्म है, जिसे हसीना की इमेज को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
फिल्म का निर्देशन अपूर्व लाखिया ने किया है और उनका काम ठीकठाक ही है। इसके साथ ही फिल्म में का गाना 'तेरे बिना' आपके जहन में बस जायेगा। कुल मिलाकर इस फिल्म में ऐसा कुछ है ही नहीं जिसे देखने के लिए सिनेमाघर तक जाया जाये।