अरशद वारसी के बाद अक्षय कुमार लौट रहे हैं 2013 की कॉमेडी जॉली एलएलबी के सीक्वेल में। यूपी में स्थित घटनाओं में सिर्फ कॉमेडी नहीं बल्कि हमारे कानून की लचर व्यवस्था पर कटाक्ष भी दिखेगा। सुभाष कपूर द्वारा डिरेक्टेड, स्टारिंग अक्षय कुमार, हुमा कुरैशी, अन्नू कपूर, कुमुद मिश्रा और सौरभ शुक्ला है। इस फिल्म में अक्षय कुमार ने काफी अच्छा अभिनय किया है।...और देखें
अरशद वारसी के बाद अक्षय कुमार लौट रहे हैं 2013 की कॉमेडी जॉली एलएलबी के सीक्वेल में। यूपी में स्थित घटनाओं में सिर्फ कॉमेडी नहीं बल्कि हमारे कानून की लचर व्यवस्था पर कटाक्ष भी दिखेगा। सुभाष कपूर द्वारा डिरेक्टेड, स्टारिंग अक्षय कुमार, हुमा कुरैशी, अन्नू कपूर, कुमुद मिश्रा और सौरभ शुक्ला है। इस फिल्म में अक्षय कुमार ने काफी अच्छा अभिनय किया है। फिल्म में हुमा कुरैशी भी हैं। कम
निर्णय
“फिल्म का डायलॉग और कोर्ट रूम का सीन कबीले तारीफ है। ”
जॉली एलएलबी 2 को पहली फिल्म जॉली एलएलबी की तरह ही बनाया गया है। फिल्म की कहानी साधारण-सी है। एक आदमी जिसका नाम जगदीश्वर मिश्रा उर्फ़ जॉली है, पेशे से वक़ील है लेकिन उसे कोई ढंग का केस नहीं मिल पाता है। जॉली एक बड़े वक़ील के अस्सिटेंट तौर पर काम करता है और साइड में कुछ छोटे-मोटे केस भी लड़ता है। जॉली हिना सिद्दीक़ी नाम की एक औरत का केस ले लेता है, जो अपने पति की मौत के लिए न्याय की गुहार लगाने आयी है। लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसके केस के नाम पर जॉली ने उससे झूठ बोला है, तो वह आत्महत्या कर लेती है। हिना की मौत का दोषी होने और अफ़सोस के चलते जॉली उसका केस लड़ने और उसे न्याय दिलाने का ज़िम्मा उठाता है।
फिल्म की कहानी अच्छी है और डायरेक्टर सुभाष कपूर ने इस फिल्म को पहले वाली फिल्म से ज़्यादा बेहतर तरीके से बनाया है। लेकिन एक कॉमेडी फिल्म होने के बावजूद आपको इस फिल्म में हँसी नहीं आती। फिल्म का पहला हाफ ठीकठाक है। हालाँकि आपको लगता है कि कहीं कहीं कुछ चीज़ें फिल्म में ज़बरदस्ती डाली गयी हैं। हुमा कुरेशी अगर फिल्म में ना भी होती तो कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता। फिल्म के दूसरे हाफ में फिल्म कुछ बेहतर होती है और कोर्ट का सारा ड्रामा अच्छे तरीके से दिखाया गया है।
जॉली के रूप में अक्षय, जज के रूप में सौरभ शुक्ला और जॉली के ख़िलाफ़ केस लड़ने वाले वक़ील माथुर के किरदार में अन्नू कपूर ने बेहतरीन काम किया है। इसके अलावा फिल्म में सयानी गुप्ता, मानव कौल, संजय मिश्रा और बाकि एक्टर्स ने भी कमाल का अभिनय किया है। जहाँ तक बात है हुमा की, तो जॉली की पत्नी के रूप में उन्हें सिर्फ एक काम करना था और वो है एक्सप्रेशन देना, जो वो ठीक से नहीं कर पायीं। अच्छी कहानी और अच्छा अभिनय होने के बावजूद भी ये फिल्म आपके मन पर कोई छाप नहीं छोड़ती है। फिल्म के अंत में आपके मन में ये बात आने लगती हैं कि इसमें ज़्यादा भाषण दिया जा रहा है।
फिल्म का म्यूजिक अच्छा है। सुखविंदर सिंह का गाया गाना 'ओ रे रंगरेज़ा' काफी ख़ूबसूरत है। अगर आपको वीकेंड पर कोई काम नहीं है, तो आपको ये फिल्म देख लेनी चाहिए।