अर्जुन कपूर के डबल रोल के साथ फिल्म 'मुबारकां' लन्दन में सेट एक फैमिली ड्रामा है! इस फिल्म में अर्जुन के साथ उनके चाचा अनिल कपूर और एक्ट्रेस अथिया शेट्टी और इलियाना डीक्रूज़ काम कर रही हैं !
अर्जुन कपूर के डबल रोल के साथ फिल्म 'मुबारकां' लन्दन में सेट एक फैमिली ड्रामा है! इस फिल्म में अर्जुन के साथ उनके चाचा अनिल कपूर और एक्ट्रेस अथिया शेट्टी और इलियाना डीक्रूज़ काम कर रही हैं ! कम
निर्णय
“अगर आपको अनीस बज़मी की कॉमेडी का स्टाइल पसंद है तो आपको मुबारकां पसंद आएगी !”
हाफ गर्लफ्रेंड के फ्लॉप हो जाने के बाद ये कयास लगाये जा रहे थे कि अर्जुन कपूर की अगली फिल्म यानी 'मुबारकां' इंडस्ट्री में ज़रूर कुछ कमाल कर पायेगी। ऊपर से इस फिल्म में पहली बार रियल लाइफ चाचा-भतीजा क यानी अनिल कपूर और अर्जुन कपूर साथ में थे। लेकिन अनिल कपूर भी इस फिल्म में कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। फिल्म की घिसी-पिटी कहानी आपको एंटरटेन करने में पूरी तरह से फेल हो गई है।
अगर फिल्म की कहानी की बात की जाये तो ये दो सगे जुड़वाँ भाई करण और चरण सिंह की कहानी है। बचपन में ही दोनों के माता-पिता स्वर्गवासी हो जाते हैं तो इन जुड़वाँ भाइयों की परवरिश इनकी बुआ और चाचा करते हैं। फिल्म में दोनों को डरपोक दिखाया गया है जो घरवालों के सामने अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाते। इसी बीच इनकी मदद करते हैं इनके चाचा/मामा बैचलर करतार सिंह यानी अनिल कपूर। वो अपने फ्लॉप आईडिया से फिल्म में और कंफ्यूज़न बढ़ा देते हैं। ये फिल्म भी अनिल बज्मी की बाकी फिल्मों की तरह ओवर ड्रामा से भरी है। कुछ सीन देख कर तो आप अपना सिर पकड लेंगे। फिल्म की कहानी कहाँ से शुरू हो रही हैं और कहाँ खत्म कुछ समझ नहीं आता।
फिल्म में अर्जुन कपूर कपूर की ओवर एक्टिंग आपको हज़म नहीं होगी। पंजाबी एक्सेंट उन पर कुछ खास नहीं लगता। इलियाना डीक्रूज़ का काम आपको अच्छा लगेगा। उनके ऊपर एक चालाक और तेज़ तर्रार लड़की का किरदार जच रहा है। अथिया सेठी ने गिने-चुने डायलॉग बोले हैं, जो कुछ खास नहीं है। हाँ, किसी-किसी जगह आपको अनिल कपूर का अंदाज़ पसंद आयेगा। फिल्म में रत्ना पाठक शाह भी हैं जो इस फिल्म में कुछ ज़्यादा ही एक्टिंग करती दिख रही हैं। बाकी किरदारों ने भी ठीक-ठाक काम किया है।
फिल्म के म्यूजिक की बात की जाये तो आपको 'हवा हवा' गाना ज़रूर पसंद आएगा। इसके अलावा बाकी सॉंग ठीक ही हैं बस। फिल्म में लंदन में ही मिनी पंजाब बनाने की कोशिश की गई। जिससे आपको कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
फिल्म वो जादू नहीं चला पाई जैसा डायरेक्टर अनीस बज्मी ने सोचा था। किसी भी कड़ी से आप आने आपको जोड़ नहीं पाते हैं। फिल्म में हंसी मजाक की जगह बस शोर ही सुनाई देता है। इसी शोर को कॉमेडी का रूप देने की कोशिश की गई है।