मुल्क एक सोशिओ पोलिटिकल ड्रामा फिल्म है, जिसे डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने लिखा और बनाया है! ये फिल्म एक मुस्लिम परिवार के बारे में है, जिसका बेटा जिहादी हो जाता है और बम धमाकों में एक आतंकवादी का साथ देता है! अब उसके परिवार को अपने देश के प्रति अपना प्यार साबित करना होगा और बताना होगा कि वे गलत नहीं है और देश का भला चाहते हैं! ये एक मल्ट...और देखें
मुल्क एक सोशिओ पोलिटिकल ड्रामा फिल्म है, जिसे डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने लिखा और बनाया है! ये फिल्म एक मुस्लिम परिवार के बारे में है, जिसका बेटा जिहादी हो जाता है और बम धमाकों में एक आतंकवादी का साथ देता है! अब उसके परिवार को अपने देश के प्रति अपना प्यार साबित करना होगा और बताना होगा कि वे गलत नहीं है और देश का भला चाहते हैं! ये एक मल्टी स्टारर फिल्म है, जिसमें ऋषि कपूर, तापसी पन्नू, रजत कपूर, प्रतीक बब्बर और नीना गुप्ता समेत कई एक्टर्स काम कर रहे हैं! कम
निर्णय
“मुल्क एक परफेक्ट फिल्म नहीं है, लेकिन ये आपको एक बड़ा मेसेज देती है !”
आप अपनी ज़िन्दगी में कितने मुसलमानों को जानते हैं? एक, दो या दस? अच्छा कितने मुसलमानों को आप इस देश का वासी मानते हैं और कितनों को आतंकवादी समझते हैं? जब भी आतंकवाद का नाम आपके दिमाग में आता है तो सामने कैसे इंसान का चेहरा दिखाई देता है? एक लड़के का, लड़की का, बूढ़े आदमी का या एक मुस्लिम का?
ये कुछ सवाल हमारी ज़िन्दगी में हमसे पूछे जाने हमेशा से ज़रूरी थे लेकिन किसी ने शायद पूछे नहीं और अगर किसी ने पूछे तो हमने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया। धर्म के नाम पर भेदभाव काफी लम्बे समय से इस देश में चलते आया है लेकिन हमेशा एक मुस्लिम को ही गलत नज़र से क्यों देखा जाता रहा है ये बात मेरी समझ से परे है। इस देश में कई धर्म हैं, अनेकों भाषाएं बोली जाती हैं और अलग-अलग परंपराएं निभायी जाती हैं तो फिर एक मुस्लमान होना गुनाह जैसा क्यों माना जाता है? मुस्लिम होने का खामियाज़ा इस देश में रहने वाले एक परिवार को कैसे उठाना पड़ा इसी बारे में एक कहानी है डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की फिल्म 'मुल्क' !
एक परिवार जिसका बेटा, एक आतंकी की संगत में पड़कर जिहादी हो गया और 16 लोगों का कातिल बना। अब इस परिवार को साबित करना पड़ेगा कि उनके बेटे के जिहादी होने में उनका कोई कसूर नहीं है और वे सब सच्चे हिन्दुस्तानी हैं आतंकी नहीं। लेकिन आप कैसे साबित कर सकते हैं कि आप सच्चे हिन्दुस्तानी हैं और आपके मन में देश को लेकर कोई बुरी भावना नहीं है? डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने इस फिल्म के सहारे एक बड़ा सवाल लोगों के सामने रखा है और हम सभी को सीख दी है कि कैसे हर मुस्लमान आतंकी नहीं होता। और तो और सिर्फ एक मुस्लमान ही ऐसा नहीं है तो आतंकवादी की श्रेणी में आता है दुनिया में कोई आतंकवादी हो सकता है और इस बात का धर्म से कोई लेना देना नहीं है।
इस फिल्म में सभी एक्टर्स का काम अच्छा है और सभी की एक्टिंग बिल्कुल असली है। एक घर के मुखिया और इज्ज़तदार रिटायर्ड वकील के रोल में ऋषि कपूर ने बढ़िया अभिनय किया है। तापसी पन्नू और आशुतोष राणा के बीच की कानूनी लड़ाई आपको अपने साथ ऐसा जोड़ती है कि फिल्म के ख़त्म होने के बाद भी उनकी कहीं बातें आपके दिमाग में घूमेंगी। तापसी की परफॉरमेंस अच्छी थी लेकिन कहीं ना कहीं वो थोड़ी बहुत कमज़ोर पड़ गयीं। प्रतीक बब्बर, मनोज पाहवा रजत कपूर और नीना गुप्ता का काम बहुत अच्छा है। इन सभी की एक्टिंग आपके दिल तक पहुंचेगी। इसके अलावा बाकि सपोर्टिंग कास्ट भी बढ़िया है।
डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने पहली बार एक सोशिओ पोलिटिकल फिल्म बनाई है और ऐसा कहा जा सकता है कि ये कामयाब रही। उम्मीद ये है कि इस फिल्म को देखकर लोगों की विचारधारा पर अच्छा असर पड़ेगा और बदलाव आएगा। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है और एडिटिंग काफी क्रिस्प है। आपको बीच में कहीं लग सकता है कि फिल्म में हो क्या रहा है। लेकिन कुल-मिलाकर ये फिल्म देखना ज़रूरी है।