आदि और तारा की ये लव स्टोरी यंग जनरेशन के प्यार की कहानी है|आदि, तारा से अपने दोस्त की शादी में मिलता है| तारा आर्किटेक्चर है और आगे की पढ़ाई के लिए पेरिस जाना चाहती है| फिल्म ओके जानू को शाद अली ने निर्देशित किया है| मणि रत्नम और करण जौहर फिल्म के निर्माता हैं!
आदि और तारा की ये लव स्टोरी यंग जनरेशन के प्यार की कहानी है|आदि, तारा से अपने दोस्त की शादी में मिलता है| तारा आर्किटेक्चर है और आगे की पढ़ाई के लिए पेरिस जाना चाहती है| फिल्म ओके जानू को शाद अली ने निर्देशित किया है| मणि रत्नम और करण जौहर फिल्म के निर्माता हैं! कम
निर्णय
“अच्छी परफॉरमेंस के अलावा ओके जानू में कुछ ओके नहीं है !”
ओके जानू एक सामान्य सी रोमांटिक फिल्म है जो कुछ भी नया पेश नहीं कर पाती। इस फिल्म में आदि और तारा की कहानी है जिनका किरदार क्रमशः आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर ने निभाया है। इस फिल्म में वो एक ऐसे जोड़े के रूप में हैं जो प्यार में पड़ तो जाते हैं लेकिन शादी जैसे कमिटमेंट से डरते हैं। ये कोई नया प्लाट नहीं है हिंदी सिनेमा में। जिस फिल्म की ये रीमेक है , 'ओ कधल कनमनी' वो तमिल की सुपरहिट फिल्म रह चुकी है। लेकिन जहाँ तमिल भाषाई क्षेत्र में लिव-इन की बात है, वो अब भी एक अनछुआ विषय है। वहीं बॉलीवुड में इस पर कई फिल्में बन चुकी हैं। इस फिल्म का ट्रीटमेंट भी वैसा नहीं है जिसकी वजह से ये फिल्म अलग सी लग सके। आदित्य और श्रद्धा के बीच की केमिस्ट्री अच्छी लग रही है, लेकिन बस वहीँ तक सब कुछ ठीक है। श्रद्धा के किरदार में कोई ऐसी ख़ास बात नहीं है जो उनके पिछले निभाये गए किरदारों से उन्हें अलग करती हो। आदित्य रॉय कपूर की कोशिश अच्छी रही है लेकिन वो भी एक रूटीन से किरदार में बन्ध कर रह गए हैं। केवल नसीरुद्दीन शाह और लीला सैमसन की भूमिकाएं प्रभावित करती हैं। फिल्म के गाने भी इम्प्रेसिव नहीं है, हॉल से निकलते ही भूला जा सकता है उन्हें। कुल मिलाकर ये फिल्म ना भी देखें तो भी चलेगा।