प्रिय अजय देवगन और किच्छा सुदीप... हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है!

    अजय देवगन और किच्छा सुदीप ट्विटर पर इस बहस में पड़ गए कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है या नहीं। लेकिन जानने वाले जान गए कि शायद ये दोनों ही नहीं जानते...

    प्रिय अजय देवगन और किच्छा सुदीप... हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है!

    बॉलीवुड स्टार अजय देवगन की आखिरी रिलीज़ ‘RRR’ थी। ये एक पैन-इंडिया फिल्म थी जो ‘तेलुगु’ इंडस्ट्री से निकली थी। ‘तेलुगु’ इंडस्ट्री की शान माने जाने वाले, ‘बाहुबली’ डायरेक्टर एस एस राजामौली ने RRR को डायरेक्ट किया है और इसमें दो बड़े तेलुगु सुपरस्टार्स राम चरण और एनटीआर लीड रोल में थे। 

    लेकिन RRR की एक खासियत ये भी थी कि इसमें आलिया भट्ट और अजय देवगन जैसे दो बड़े और प्रॉपर ‘हिंदी’ फिल्म स्टार्स भी थे। फिल्म देख चुके लोग ही ये बता सकते हैं कि RRR के इस छोटे, मगर बेहद दमदार रोल में अजय को देखकर उनके रोंगटे कितनी बार खड़े हुए। लोगों ने तो यहां तक कहा कि अजय को पिछले कुछ सालों में सबसे ज़ोरदार तरीके से राजामौली ने ही दिखाया है। 

    ‘तेलुगु’ में बनी फिल्म से इस कदर प्यार पाने वाले ‘हिंदी’ स्टार अजय देवगन आज ट्विटर पर और ख़बरों में लगातार चर्चा में हैं। इसका कारण है उनका हिंदी प्रेम और इस हिंदी प्रेम में कन्नड़ स्टार किच्छा सुदीप से उनकी ट्विटर बहस। अजय देवगन हिंदी भाषी परिवार से आते हैं, ऐसे में अपनी भाषा को लेकर उनका इमोशन बिलकुल जायज़ है। किच्छा सुदीप बचपन से हिंदी भाषी नहीं हैं, इसलिए हिंदी को हिन्दुस्तान की राष्ट्र भाषा बताने से उनकी असहमति भी जायज़ है। 

    लेकिन इस पूरी बहस में समझदार लोगों ने एक बार फिर से ये देखा कि जिन स्टार्स को हम देवता मानकर पूजते हैं, वो कभी-कभी बेसिक ज्ञान के मामले में बहुत कमज़ोर निकल जाते हैं! दरअसल, इस सारी बहस की शुरुआत किच्छा सुदीप के एक बयान से हुई। एक इवेंट में किसी पत्रकार ने सुदीप से कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से निकली, यश स्टारर फिल्म ‘KGF 2’ और RRR जैसी फिल्मों को लेकर सवाल पूछा, जो पैन-इंडिया रिलीज़ हैं और ज़बरदस्त कामयाबी हासिल कर रही हैं। 

    इसपर किच्छा सुदीप ने पत्रकार को जवाब देते हुए कहा कि बॉलीवुड पैन-इंडिया फ़िल्में बनाने की कोशिश करता रहा है और इसमें नाकामयाब होता रहा है। लेकिन इस जवाब से पहले ‘प्रो-प्लेयर’ बनते हुए सुदीप ने पत्रकार से ‘करेक्शन’ करते हुए कहा कि ‘हिंदी अब राष्ट्र भाषा (नेशनल लैंग्वेज) नहीं है।’ टेक्निकली किच्छा साहब बहुत गलत थे। ये सरासर गलत बात है कि हिंदी “अब” राष्ट्रीय भाषा नहीं रही। 

    दरअसल, हिंदी कभी “राष्ट्रीय भाषा” या “राष्ट्र भाषा” थी ही नहीं। हिंदी कानूनी और संवैधानिक रूप से भारत सरकार की “आधिकारिक भाषा” है, ठीक उसी तरह जैसे अंग्रेजी भी है। चूंकि पारिभाषिक रूप से भारत ‘राज्यों का संघ’ है (संविधान का अनुच्छेद 1 पढ़ें) और राज्यों में अलग-अलग भाषाएं और बोलियां हैं, इसलिए यहां आधिकारिक संचार यानी ऑफिशियल कम्युनिकेशन के लिए अलग तरह से भाषाएं तय की गयीं। जैसे केंद्र सरकार यानी जो भारत सरकार है उसके लिए हिंदी और इंग्लिश आधिकारिक भाषाएं हैं, उसी तरह राज्यों को भी ये अधिकार है कि वो अपने यहां आधिकारिक भाषा चुन सकते हैं। 

    इसलिए जहां कर्नाटक में कन्नड़ एक आधिकारिक भाषा है, वहीं आंध्र प्रदेश में तेलुगु। लेकिन सुदीप ने कहा कि “अब” हिंदी राष्ट्र भाषा नहीं रही तो बस इस बयान से चिंगारी उठ गयी और फ़ैल गई। फैलते-फैलते आंच अजय तक भी पहुंची और उन्होंने अपनी ट्विटर हिस्ट्री में पहली बार किसी व्यक्ति को निशाना बनाते हुए ट्वीट किया, “।@KicchaSudeep मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फ़िल्मों को हिंदी में डब करके क्यूँ रिलीज़ करते हैं? हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी। जन गण मन ।" 

    मतलब हिंदी पर बात आई तो अजय का हिंदी दिल गुस्से में आ गया, ये तो समझा सकता है। लेकिन गलती उन्होंने भी वही की। अपने ट्वीट की आखिरी लाइन में उन्होंने हिंदी को “हमारी राष्ट्रीय भाषा” कह डाला। जो कि असल में किच्छा सुदीप के बयान से भी ज्यादा गलत था। क्यों था, इसका कारण फिर से ऊपर जा कर आप पढ़ सकते हैं। अजय को हिंदी की बात पर गुस्सा आया, ठीक है चलिए भावुकता में हो जाता है। लेकिन उन्होंने ये भी नहीं समझा कि सुदीप ने भी हिंदी वाली बात एक सवाल के बारे में की थी, वो कोई पॉलिटिकल रैली नहीं कर रहे थे। 

    सुदीप ने अजय के ट्वीट का जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा भी कि, “अजय देवगन सर, मैंने वो लाइन क्यों कही उसका सन्दर्भ पूरी तरह अलग है और ये मैं आपको डिटेल में तब बताऊंगा जब हम व्यक्तिगत मिलेंगे। ये कोई बहस शुरू करने के लिए, ठेस पहुंचाने के लिए या फिर, उकसाने के लिए नहीं था।” अजय को फिर शायद समझ आई कि उन्होंने जल्दी रियेक्ट कर दिया है और उन्होंने फिर से ट्वीट कर के सुदीप को अपना दोस्त बताते हुए, ग़लतफ़हमी दूर करने के लिए उन्हें शुक्रिया भी कहा और लिखा, “हम तो सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और सभी से आशा करते हैं कि वे भी हमारी भाषा का सम्मान करें।” 

    लेकिन फिर सुदीप ने भी उनके जवाब में कहा कि उन्हें तो अजय का हिंदी में लिखा ट्वीट समझ में आ गया था, क्योंकि उन्होंने हिंदी का सम्मान किया है और इसे सीखा है। लेकिन अगर वो कन्नड़ में अपना ट्वीट लिखते तो क्या माहौल होता? (क्योंकि अजय तब शायद ही उनका ट्वीट समझ पाते!) और सुदीप ने अजय से कहा, “सर, हम भी भारतीय ही हैं।” 

    अब ट्विटर पर माहौल गरमा चुका है और दोनों एक्टर्स के फैन्स धुआंधार एक-दूसरे पर फटे जा रहे हैं। ट्विटर के ज्ञानी जन लोगों को “मातृभाषा” और “राष्ट्रीय भाषा” का फर्क समझाने में लगे हैं। और सब लोग ये भूल चुके हैं कि अभी ‘कन्नड़’ सिनेमा से निकली ‘KGF 2’, अब दूसरी सबसे कमाऊ ‘हिंदी’ फिल्म है; और ‘हिंदी’ सिनेमा वाले बॉलीवुड से निकली ‘दंगल’ भारत की सबसे बड़ी कमाऊ फिल्म, जिसे सभी भारतीय भाषाओं के लोगों ने जमकर देखा है। 

    ऐसी छोटी-छोटी बातों में उलझे लोग ये भी भूल जाते हैं कि मलयालम से निकला ‘मिन्नल मुरली’ अब इंडिया का फेवरेट सुपरहीरो है और तेलुगु का ‘बाहुबली’ सबका फेवरेट हीरो! इसलिए स्टार्स को थोड़ा सा जोड़-घटाकर बोलना चाहिए और कम से कम एक गूगल सर्च तो कर ही लेना चाहिए। 

    अब अजय देवगन और किच्छा सुदीप कितना ही हिंदी-कन्नड़ करते रहें मगर ये भी याद रखना चाहिए कि तालियों और सीटियों की कोई भाषा नहीं होती। वो एक अच्छी फिल्म के लिए बराबर बजती हैं, फिर चाहे भाषा कोई भी हो!

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