आरुषि तलवार के दादाजी ने केस पर तोड़ी चुप्पी
Updated : April 06, 2016 11:01 AM IST पिछले हफ्ते इरफान खान और कोंकणा सेन शर्मा स्टारर नॉएडा डबल मर्डर केस जिसमे आरुषि तलवार का नाम जुड़ा हुआ है, पर आधारित फिल्म ‘तलवार’ के रिलीज़ होने के साथ ही पुलिस और अन्य आर्गेनाईजेशन की अक्षमता और जांच में कमियों को लेकर फिर से कई सवाल खड़े हुए हैं। आरुषि के दादाजी ने पहली बार एक फेसबुक पोस्ट के द्वारा इस मुद्दे पर खुल कर अपनी राय दी है जो कि 'फ्री द तलवार्स' नामक एफबी पेज ने शेयर किया। केस को याद करते हुए जिसमे उनके बेटे और बहू अपराधी करार दिए गए हैं, आरुषि के दादाजी ने लिखा, "मेरे पास एक परी थी, आरुषि।"
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आरुषि के दादाजी ने दुःख जताते हुए कहा, "आरुषि के 14 वर्ष के होने के साथ ही भाग्य ने बड़ी क्रूरता से हमे उससे दूर कर दिया। उसका खून उसके खुद के घर में खुद के बेड पर हुआ था। मैने जब उसे गुड़िया की तरह अपने बिस्तर पर मृत देखा तो मुझे अकल्पनीय झटका लगा। मैं कुछ चहरे और मेरा पीछा करती कुछ आँखे देख सकता था।
उन्होंने आगे कहा, "उप्र पुलिस ने हर बार हमे इस केस पर बोलने के लिए मना किया जिससे केस पर कोई असर न हो पर शायद उनका मकसद कुछ और था। वे अपनी अक्षमता छुपाने के लिए हमे मीडिया से दूर रखना चाहते थे। आरुषि और उसके माता- पिता के चरित्र पर खड़े किए गए कई सवाल के प्रति मीडिया क्रूर थी।"
नूपुर और राजेश को दोषी करार देने और उम्र कैद की सजा सुनाने के कोर्ट को फैसले को लेकर उन्होंने लिखा, "मैं अपने घुटनो पर गिर गया, आँखों से आंसू बह रहे थे और मेरी आत्मा पूरी तरह से टूट चुकी थी। 83 की उम्र में मुझे नहीं लगता कि मैं उन्हें जेल से बाहर निकलते देखने के लिए जिन्दा रहूँगा पर मैं मरना चाहता हूँ यह जानकर कि लोग इस अन्याय के खिलाफ लड़ते रहेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "मैं किसी गलत बात के लिए नहीं बोल रहा हूँ। मैं सिर्फ यह चाहता हूँ की उन्हें वह मिले जो क़ानूनी रूप से उनके लिए जायज है। जिस प्रकार मैने एयर फ़ोर्स में रहते हुए देश का सम्मान बचाया था उसी प्रकार क्या स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के साथ अपना सम्मान वापस हासिल करना और जो कुछ बचा है उसके लिए लड़ना उनका हक़ नहीं है?"
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