इन बॉलीवुड फिल्मों ने बताया कि आम आदमी भी सुपरस्टार है !
Updated : January 27, 2019 05:30 PM ISTएक आम आदमी रोज़ सुबह उठता है, तैयार होता है, दफ्तर जाता है, आ कर खाना खाता है और सो जाता है। ये उसकी आम जिंदगी है। लेकिन कभी, कहीं, कुछ ऐसा हो जाता है जब सोया हुआ आम आदमी जाग जाता है। और जब वो जागता है, तो उससे पूरा शासन कांपता है। आम आदमी जब समाज में बदलाव लाने की ठान लेता है तो, बदल के ही छोड़ता है। आम आदमी जब अपने सपनों की तलाश में निकलता है तो उसे पूरा कर के ही मानता है। अनिल कपूर की आने वाली फिल्म ‘फन्ने खां’ भी आम आदमी की कहानी है, जहां एक आम इंसान सुपरस्टार बन सकता है। बॉलीवुड में आम आदमी पर पहले भी ऐसी खूबसूरत फ़िल्में बनी हैं।
आइए आपको बताते हैं वो बॉलीवुड फ़िल्में जिन्होंने बताया कि आम आदमी भी किसी सुपरस्टार से कम नहीं-
घर से सब्जी लेने बाज़ार के लिए निकला एक आदमी, पूरी सरकार को अपनी उंगलियों पर नचा डालता है और बदले में बस एक ही चीज़ चाहता है। जेल में बैठे 4 आतंकवादी। वो उन आतंकवादियों को छुड़ाना नहीं चाहता। बल्कि उन्हें ख़त्म करवाना चाहता है, वो नाराज़ है कि उसके शहर पर हमला करने वाले वो आतंकवादी अभी तक जिंदा क्यों हैं। सिर्फ डेढ़ घंटे की इस छोटी सी फिल्म ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था।
एक आदमी को अपनी पत्नी से प्यार है, उसकी पत्नी भी उसे बहुत प्यार करती है। लेकिन बच्चा पैदा होने के दौरान उसकी पत्नी की मौत हो जाती है। कारण ये है कि, उसके गांव से अस्पताल पास नहीं है। एक पूरा पहाड़ घूम के जाना पड़ता है। अगर पहाड़ के बीच से सड़क होती तो उसकी पत्नी नहीं मरती। बस, वो तय कर लेता है कि जो उसकी पत्नी के साथ हुआ, वो किसी और के साथ नहीं होगा। और अपने हाथ से खोद के पहाड़ के बीच से सड़क बना डालता है।
परेश रावल की इस फिल्म को हिंदी सिनेमा में बहुत ही आइकॉनिक माना जाता है। ये उन चंद फिल्मों में से है, जहां धार्मिक आडम्बरों और बाबाओं पर तीखा हमला बोला गया है। एक आम आदमी बने परेश रावल, तूफ़ान में अपनी दूकान तबाह होने से बर्बाद होने की कगार पर हैं। और इंश्योरेंस कम्पनी वाले कहते हैं कि भगवान् की भेजी आफत में उन्हें इंश्योरेंस के पैसे नहीं मिल सकते। बस, परेश रावल भगवन को ही कोर्ट में घसीट लाते हैं।
अपने बेटे की मौत से दुखी एक आदमी जो अब दुनिया में नहीं रहना चाहता, उसे अपने किराएदार के रूप में जिंदगी से लड़ने का एक बहाना मिल जाता है। उसकी किराएदार लड़की का बॉयफ्रेंड, एक नेता का लड़का है, जो शादी का झांसा दे के। उसका फायदा उठाता रहता है। आखिरकार मौका आने पर ये उससे शादी करने से इनकार कर देता है। इस लड़की को न्याय दिलाना अब उसके मकान मालिक का मकसद बन जाता है।
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