स्पेशल: जब फिल्मों में भाइयों से ज़्यादा मज़बूत निकलीं उनकी बहनें !
Updated : August 12, 2019 08:00 AM ISTरक्षा बंधन भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। भाई-बहन के रिश्ते को सेलिब्रेट करने वाले इस त्यौहार को पूरे भारत के किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। रक्षाबंधन के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है राखी, जिसे भाई की कलाई पर बांधते वक़्त बहनें भाइयों से ये वचन लेती हैं कि वो सदा उनकी रक्षा करेंगी। लेकिन जैसे वक़्त के साथ हर चीज़ बदलती है उसी तरह रिश्तों के समीकरण भी बदलते हैं। आज लड़कियां काफी सक्षम और मज़बूत हो रही हैं और खुद को बहुत अच्छे से संभल सकती हैं। इसके लिए उन्हें भाई पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। बॉलीवुड फिल्मों ने भी भाई-बहन के बीच इस बदलाव को दिखाया है।
आइए आपको बताते हैं बॉलीवुड की उन फिल्मों के बारे में जहां बहनों ने मजबूती से अपने भाई का साथ दिया और उनके लिए खड़ी हुईं-
नागेश कुकुनूर की इस फिल्म को हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्मों में गिना जा सकता है। इस फिल्म का मुख्य पात्र इकबाल एक ऐसा लड़का था जो न बोल सकता था न सुन सकता था। लेकिन क्रिकेट से उसे बहुत लगाव था और वो एक फ़ास्ट बॉलर बनना चाहता था। उसके इस सपने को पूरा करने में उसकी छोटी बहन खदीजा ने भी बहुत मेहनत की। खदीजा ने ही इकबाल के बोलिंग कोच को इकबाल की बातें समझने में मदद की। खदीजा के ज़रिए ही इकबाल बाकी दुनिया से बात कर पाता था !
1993 में हुए मुंबई बम धमाकों के बैकग्राउंड पर आधारित इस फिल्म में ऋतिक रोशन के किरदार का नाम अमान था और उनकी बहन का नाम फ़िज़ा। मुंबई धमाकों के बाद अमान भटककर एक आतंकवादी गिरोह का मेंबर बन जाता है और आम जिंदगी से गायब हो जाता है।लेकिन फ़िज़ा ये ठान लेती है कि वो न सिर्फ अपने भाई को खोजेगी, बल्कि उसे सही रस्ते पर भी लाएगी। ये किरदार, करिश्मा कपूर के करियर के सबसे बेहतरीन किरदारों में से एक माना जाता है !
एच आई वी के जानलेवा संक्रमण पर बनी इस फिल्म को कल्ट का दर्जा प्राप्त है। निखिल यानी संजय सूरी को एक जांच में एच आई वी पॉजिटिव पाया जाता है। यहां से निखिल की जिंदगी बदल जाती है और हर कोई उनसे दूर जाना चाहता है और हद तो तब हो जाती है जब इस बीमारी से पीड़ित होने की वजह से उन्हें अरेस्ट कर लिया जाता है। लेकिन उनकी बहन अनामिका यानी जूही चावला उनके लिए स्टैंड लेती हैं और निखिल के लिए न्याय की लड़ाई लड़ती हैं। इस फिल्म को एड्स और समलैंगिकता पर बनी एक बेहतरीन फिल्म माना जाता है !
'दिल धड़कने दो' को पारिवारिक रिश्तों पर बनी सबसे अच्छी फिल्मों में शुमार किया जाता है। इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा और रणवीर सिंह ने भाई-बहन का किरदार निभाया था । फिल्म में प्रियंका का किरदार कहीं ज़्यादा मज़बूत और आत्मनिर्भर था, जब्क्की रणवीर का किरदार मस्तीखोर । अपने पापा के बिज़नेस को संभालने में प्रियंका ही आगे रहती हैं और अपने भाई के मुकाबले उसे ज़्यादा बेहतर संभालती हैं !
इस लिस्ट में नागेश कुकुनूर की एक और फिल्म का होना ये बताता है कि वो इंसानी रिश्तों को कितनी संजीदगी से दिखाते हैं। छोटू 8 साल का बच्चा है और आँखों से देख नहीं सकता।लेकिन उसे स्कूल जाना है और उसकी बहन परी रोज़ उसका हाथ थामकर उसके साथ स्कूल जाती है।पूरी फिल्म में कहीं भी परी ने छोटू का हाथ नहीं छोड़ा। बहन-भाई के रिश्ते पर बनी ये फिल्म बेहद खूबसूरत है !
अनुराग कश्यप की इस फिल्म में एक बॉक्सर के संघर्ष की कहानी दिखाई गई है, जिसका करियर उसके प्यार की वजह से दांव पर लगा हुआ है । बॉक्सर श्रवण के पिता हमेशा उससे खफा रहते हैं कि वो बॉक्सिंग की जगह पढ़ाई पर क्यों नहीं ध्यान देता। लेकिन डांटते-कोसते पिता के सामने श्रवण की छोटी बहन उसकी ढाल बनती है और उसे भरोसा देती है कि वो केवल बॉक्सिंग पर ध्यान दे, पढ़ाई में नंबर ला कर पापा को वो खुश कर लेगी !
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