डायरेक्टर सूरज बरजात्या की फ़िल्मों में आपको ये 7 चीज़ें ज़रूर मिलेंगी !
Updated : December 02, 2018 12:45 AM ISTबॉलीवुड इंडस्ट्री में हर साल कई फ़िल्में बनती हैं लेकिन कुछ ही ऐसी फ़िल्में होती हैं, जो दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ जाती हैं। फिल्मों में एक्टर्स की जितनी मेहनत होती है उतनी ही बाकि कास्ट और क्रू की भी। लेकिन एक फिल्म के बेहतर या बकवास होने का सबसे बड़ा श्रेय अगर किसी व्यक्ति को जाता है तो वो है फिल्म के डायरेक्टर। जैसा कि कहा जाता है एक फिल्म डायरेक्टर की सोच का आईना होती है और एक्टर्स के अलावा डायरेक्टर ही इकलौता ऐसा इंसान है जो एक फिल्म को किसी भी तरीके से पलटकर उसे ज़बरदस्त हिट या ज़बरदस्त फ्लॉप बना सकता है।
ऐसे ही एक डायरेक्टर हैं हमारे और आपके फेवरेट सूरज बरजात्या, जिन्होंने हमेशा से ही एक सुशील और संस्कारी परिवार के बारे में फ़िल्में बनाकर भारतीय जनता के संस्कारी अभिनव का गौरव बढ़ाया है। हमारे बॉलीवुड में यूं तो कई अलग-अलग जॉनर की फ़िल्में आई हैं लेकिन 90s के समय से अभी तक आने वाली सूरज बरजात्या की फ़िल्मों में आपको हमेशा बहुत कुछ अच्छा देखने को मिलता आया है। ये बात आप सभी मानेंगे कि सूरज की फ़िल्मों में जो बात है वो किसी की फिल्म में नहीं।
ऐसे में हमने सोचा कि भले ही सूरज की फ़िल्में अच्छी होती हैं लेकिन उनमें बहुत सी बात एक जैसी ही होती हैं, जैसे कि फैमिली ड्रामा या संस्कार। ये फैक्टर्स उनकी फ़िल्मों को तो ख़ास बनाते ही हैं साथ में हमें फुल एंटरटेनमेंट भी देते हैं। तो आइये आपको बताये कि वो कौन-सी 7 चीज़ें हैं जो आपको सूरज बरजात्या की हर फिल्म में मिलेंगी।
1. बड़े-बड़े परिवार
सूरज बरजात्या की किसी भी फ़िल्में में आपको हम दो हमारे दो की स्टोरीलाइन नहीं देखने को मिलेगी। बरजात्या अपनी हर फिल्म में कम से कम 15 लोगों का एक छोटा और सुखी परिवार तो ज़रूर होता है। जिसमें मम्मी, पापा, मेन लीड्स, बुआ, फूफा, ताया, ताई और उनके परिवार सहित नौकर चाकर भी रहते हैं।
2. शादियां
छोटी-मोटी शादियां तो आपने बॉलीवुड की कई फ़िल्मों में देखी होंगी। लेकिन सूरज बरजात्या की फ़िल्मों में शादियों को किसी त्योहार की तरह दिखाया जाता है, जहां सभी लोग साथ मिलकर कम से कम दो गाने तो ज़रूर गाते हैं।
3. संस्कारी और खुश लोग
सूरज बरजात्या ने अपने जीवन में शायद ही किसी फिल्म में लोगों को दुखी या बदतमीज़ दिखाया होगा। उनकी फिल्म के बड़े परिवारों के सभी लोग बेहद संस्कारी होते हैं और सभी अपने से बड़ों-छोटों सभी का बहुत सम्मान करते हैं। दुनिया के सबसे संस्कारी बाबूजी अलोक नाथ बॉलीवुड को सूरज बरजात्या की फ़िल्मों से ही मिले हैं।
4. त्याग
त्याग हर कोई इंसान अपने जीवन में आसानी से नहीं कर सकता है। लेकिन सूरज बरजात्या ने हम सभी को इस शब्द की अलग परिभाषा सिखाई है और हम सभी ने उनकी फ़िल्मों के संस्कारी किरदारों को एक-दूसरे के लिए बड़े-बड़े त्याग करते देखा है। जैसे फिल्म 'हम आपके हैं कौन' में निशा का प्रेम को छोड़ उसके बड़े भैया के साथ शादी करने के लिए तैयार हो जाना क्योंकि परिवारवाले चाहते हैं। या फिर 'हम साथ साथ हैं' में मोहनीश भल और तब्बू का सलमान और माँ की ख़ुशी के लिए घर छोड़ देना।
5. ड्रामा
त्याग की शुरुआत हमेशा इन फ़िल्मों में होने वाले ड्रामे से होती है। जैसे 'हम साथ साथ हैं' में प्रेम को सारे हक दिलाने के लिए उसकी माँ का हंगामा करना और बड़े भैया को घर से निकालना या फिर फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' में स्वारा भास्कर और सलमान के बीच की लड़ाई। क्योंकि वो परिवार ही क्या जिनके बीच थोड़ी नोकझोक ना हो।
6. गॉसिप करते रिश्तेदार
फ़िल्मों में सारे ड्रामे की शुरुआत किसी रिश्तेदार के कान भरने से होती है। ये बात सूरज बरजात्या की फिल्म में काफी हद तक असलियत से जुड़ी हुई है। हम सभी किसी न किसी रिश्तेदार को जानते हैं, जो कुछ ना कुछ बोलकर घर में झगड़े करवाता है। है ना?
7. आभारी नौकर
सूरज बरजात्या की हर फिल्म में संस्कारी परिवार के नौकर बड़े आभारी होते हैं। उन सभी को इन बड़े परिवारों में बराबर का दर्जा दिया जाता है और सभी मिलकर सुखी परिवार की तरह रहते हैं और एक-दूसरे की मुश्किलों को दूर करते हैं।
ये सारी ख़ासियत मिलाकर बनती है सूरज बरजात्या की ग्रैंड और संस्कारी फिल्म, जो हम सभी की फेवरेट है।