इन 5 बड़े कारणों से आपको फिल्म 'लव सोनिया' हरगिज़ मिस नहीं करनी चाहिए !
Updated : September 13, 2018 02:48 PM ISTबॉलीवुड में हर साल सैकड़ों फ़िल्में बनती हैं और इन फिल्मों का मकसद सिर्फ और सिर्फ एंटरटेनमेंट होता है। लेकिन कभी-कभी एंटरटेनमेंट की इस बाढ़ में अचानक से कहीं कोई फिल्म सिर उठाकर कड़ी हो जाती है और दर्शकों के मुंह पर किसी भयानक सच्चाई का थप्पड़ दे मारती है। ‘लव सोनिया’ ऐसी ही फिल्म है। मनोज बाजपाई, ऋचा चड्ढा, आदिल हुसैन, फ्रीडा पिंटो, राजकुमार राव जैसे बेहतरीन एक्टर्स से भरी इस फिल्म में, टीवी एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर ने अपना फिल्म डेब्यू किया है।
‘लव सोनिया’ एक ऐसी फिल्म है जो आपको डिस्टर्ब करती है। आप थिएटर से बाहर तो निकल आते हैं, लेकिन फिल्म से बाहर नहीं निकल पाते। ये एक ऐसी फिल्म है जिसे ज़रूर देखा जाना चाहिए। और क्यों देखा जाना चाहिए इसकी वजहें हम आपको बताते हैं-
1. झिंझोड़ देने वाली कहानी
‘लव सोनिया’ की कहानी दो बहनों प्रीती (रिया सिसोदिया) और सोनिया (मृणाल ठाकुर) की कहानी है। दोनों बहनें एक दिन उस गरीबी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाना चाहती हैं, जो उनके पिता (आदिल हुसैन) की सूखी खेती से उन्हें विरासत में मिली है। लेकिन उनके गरीब पिता को इस गरीबी और कर्जे से पीछा छुड़ाने का सबसे आसान तरीका एक ही सूझता है। वो अपनी बड़ी बेटी प्रीती को लोकल ज़मींदार दादा ठाकुर (अनुपम खेर) के हाथों में बेच देता है। दादा ठाकुर की हेल्पर अंजलि, प्रीती को अच्छा काम दिलाने का वादा करके अपने साथ मुंबई ले जाती है और उन घिनौनी गलियों में बेच आती है जहां लड़कियों से वेश्यावृत्ति कराई जाती है। प्रीती पर बीते हुए से बेखबर सोनिया, अपनी बहन को खोजते हुए चोरी से दादा ठाकुर से मिलने चल देती है। बहन को खोजने गई सोनिया के साथ क्या होता है, उसे किन-किन हालातों से गुज़रना पड़ता है, यही ‘लव सोनिया’ की कहानी है।
2. घिनौनी सच्चाईयां
वेश्यावृत्ति पर बॉलीवुड कई फ़िल्में बना चुका है, लेकिन ‘लव सोनिया’ इस घिनौने व्यापार को परत-दर-परत सबसे सच्चाई से उघेड़ती है। शरीर की मंडी में इन लड़कियों को किस तरह के भद्दे और नरक जैसे हालातों में रखा जाता है, ये आपको इस फिल्म में सबसे सच्चाई से देखने को मिलेगा। कई जगह पर ये सच्चाई इतनी भद्दी हो जाती है कि हॉल में बैठे दर्शक अपनी नाक सिकोड़ लेते हैं।
3. बेहतरीन एक्टिंग परफॉरमेंस
आदिल हुसैन, अनुपम खेर, फ्रीडा पिंटो, मनोज बाजपाई, राजकुमार राव, ऋचा चड्ढा जैसे ज़बरदस्त एक्टर्स से भरी इस फिल्म में बेहतरीन एक्टिंग परफॉरमेंस हैं। फिल्म में लीड रोल निभा रहीं मृणाल ठाकुर की आंखें कई दिनों तक आपका पीछा करती रहेंगी। फिल्म जिस बेचारगी और दर्द को दिखाना चाहती हैं, वो मृणाल की आंखों में भर आता है। सपोर्टिंग कास्ट की छोटी-छोटी परफॉरमेंस में उनका बर्ताव और बोलचाल बिल्कुल रियल है।
4. बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी
रेड लाइट एरिया में आपको क्या देखने को मिल सकता है ? इस्तेमाल कर के फेंके हुए कॉन्डोम, सिगरेट के टुकड़े पर्दों के पीछे से झांकते नंगे जिस्म, सीलन भरी दीवारें और कमतर रौशनी। ये सारी चीज़ें ‘लव सोनिया’ फिल्म में, कैमरे की ज़द में रहती हैं। कैमरा जिस तरह से घूमता है, आपको सीलन भरे कमरों की बदबू महसूस होती है और लगता है जैसे आपकी आंतें ऐंठी जा रही हों। ये सिनेमेटोग्राफी की खासियत है।
5. डायरेक्शन और रिसर्च
फ़िल्म के डायरेक्टर तबरेज़ नूरानी की तारीफ़ इस लिए भी बनती है कि उन्होंने ‘लव सोनिया’ को एक ऐसी फिल्म बनाया जो देह-व्यापर से जुड़ी घिन को आपमें उतार देती है। ‘लव सोनिया’ की कहानी में जो सच्चाई है वो किसी भी हाल में बिना रिसर्च के सम्भव नहीं है। इस फिल्म को देखना एक भद्दी सच्चाई की गहराई में गोता खाने जैसा है।