बॉलीवुड की इन फिल्मों को देखने से आपको आएगी 26 जनवरी की असली फीलिंग !
Updated : May 15, 2018 03:30 PM ISTआज हम बड़े गर्व से अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं और कल ही यानी 25 जनवरी को एक फिल्म रिलीज़ हुई है जिसका नाम है ‘पद्मावत’। इस फिल्म की रिलीज़ के विरोध में करणी सेना ने देशभर में जो ड्रामा खड़ा किया क्या वो एक लोकतंत्र पर धब्बा नहीं है? क्या अपनी जाति के गर्व के लिए देश को नुकसान पहुंचाना संविधान का अपमान नहीं है? अपने व्यक्तिगत और जातीय मुद्दों पर समाज को अगर ऐसे ही तोड़ा जाता रहेगा तो क्या देश आगे बढ़ पाएगा?
आज ही के दिन सन 1950 में भारत ने अपना संविधान लागू किया था। ये संविधान हमें बहुत सारे अधिकार देता है और हमें एक नागरिक के रूप में हमारे इन अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है। लेकिन अगर किसी देश के लोग ही अपने अधिकारों को लेकर जागरूक ही न हों या फिर आपस में ही एक दूसरे के अधिकार छीनते रहें तो संविधान की कीमत कागज़ की एक किताब से ज़्यादा नहीं रह जाएगी। हमें ये सब बातें सोचनी होंगी। ऐसे में हमारे देश को जागरूक बनाने के लिए बॉलीवुड ने भी कदम-कदम पर अपनी कुछ बढ़िया फ़िल्मों से योगदान दिया है।
क्योंकि बॉलीवुड की फ़िल्में सिर्फ़ मनोरंजन ही नहीं देतीं, बदलाव की चिंगारी को हवा भी देती हैं। कभी लोग ‘चक दे इंडिया’ देखकर अपनी लड़कियों को स्पोर्ट्स के लिए आगे बढ़ाते हैं तो कभी नाना पाटेकर की फिल्म ‘क्रांतिवीर’ देखकर धार्मिक भेदभाव भुला देते हैं। इसलिए सिनेमा हमारे देश और समाज का एक बड़ा हिस्सा है।
आइये आज हम आपको बताते हैं उन फिल्मों के बारे में, जो हमें समाज में बदलाव लाने का सन्देश देती हैं -
1. मातृभूमि: ए नेशन विदआउट वुमेन
डायरेक्टर मनीष झा की यह फिल्म इस थीम पर आधारित है कि अगर सेक्स रेश्यो इसी तरह गिरता रहा तो एक वो दिन भी आएगा जब देश में औरतें बचेंगी ही नहीं। कैसा होगा वो समाज जहां औरतें बस गिनती की बचेंगी, ये इस फिल्म में बहुत बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। मर्दों से भरे समाज में महिलाओं की स्थिति को समझने के लिए यह फिल्म ज़रूर देखी जानी चाहिए।
2. स्वदेस
बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख़ खान अपने बॉलीवुड करियर में 100 के करीब फ़िल्में की हैं। लेकिन स्वदेस फिल्म में उनके निभाए किरदार को उनके इतने लम्बे करियर का सबसे बेहतरीन किरदार कहा जा सकता है। विदेश में रहने वाला एक भारतीय जब वापिस अपने देश लौटता है तो इतने साल बाद भी देश को जाति और धर्म की बेड़ियों में फंसा देखकर उसे कैसा महसूस होता है, ये जानने के लिए ‘स्वदेस’ ज़रूर देखनी चाहिए।
3. मंथन
बॉलीवुड की दुनिया के सबसे महान डायरेक्टर्स में से एक श्याम बेनेगल की यह फिल्म बदलाव की सोच का मास्टरपीस है। ये फिल्म ‘श्वेत क्रांति’ (White Revolution) की थीम पर आधारित है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों से खुद से ज़्यादा समाज के लिए सोचना शुरू किया और दूध की कमी से जूझते देश में दूध की नदियां बहा दीं।
4. रंग दे बसंती
देश में भ्रष्टाचार की समस्या को फिल्म ‘रंग दे बसंती’ ने बहुत ही बेहतरीन ढंग सी पेश किया। इस फिल्म ने हमें ये याद दिलाया कि एक वक़्त था जब हमारे नौजवान देश की आज़ादी के लिए लड़े थे और आज अगर हमें भ्रष्टाचार ख़त्म करना होगा तो फिर से युवाओं को आगे आना होगा। देश के युवाओं को आपस की बेवकूफाना लड़ाइयों को छोड़कर देश के भले के लिए लड़ना होगा।
5. ओह माय गॉड
अक्षय कुमार और परेश रावल की ज़बरदस्त परफॉरमेंस वाली इस फिल्म ने हमें बताया कि आँखों पर पट्टी बाँध देने वाला धर्म कितनी बुरी चीज़ है। धर्म की नाम पर पैसे बटोरने वाले झूठे बाबाओं और संतों की पोल खोलती इस फिल्म ने लोगों को धर्म के नाम पर चल रही बेवकूफियों से बचना सिखाया।