'मर्द को दर्द नहीं होता' फिल्म की ये 5 बातें आपने आज तक किसी फिल्म में नहीं देखी होंगी !
Updated : March 22, 2019 06:14 PM ISTबॉलीवुड में हर साल ढेर की ढेर फ़िल्में रिलीज़ होती हैं। लेकिन बीच-बीच में एक आध फ़िल्में ऐसी आती हैं जो हमेशा के लिए लोगों के दिलो-दिमाग पर छप जाती हैं। ऐसी ही फिल्म है ‘मर्द को दर्द नहीं होता’।
होली के दिन रिलीज़ हुई इस फिल्म को पहली बार 2018 के मामी फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था। यहां पर इस फिल्म को पहले 2 थिएटर में दिखाया जा रहा था, लेकिन हाउसफुल शोज़ देखते हुए बाद में इस फिल्म को 5 स्क्रीन्स पर दिखाने का फैसला किया गया था। आइए आपको बताते हैं वो 5 वजहें जो ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ को एक आइकॉनिक फिल्म बनाती हैं:
1. इसका अलग फ्लेवर
‘मर्द को दर्द नहीं होता’ का ट्रेलर देखकर बहुत लोगों को ये लगेगा कि ये शायद एक सुपरहीरो फिल्म है। लेकिन ऐसा नहीं है। मामी फेस्टिवल में ये फिल्म देखने वाले बहुत सारे लोगों ने कहा था कि इसका लीड किरदार ‘सूर्या’, इंडिया का डेडपूल है।
लेकिन ये भी गलत है। ‘सूर्या’ एक नॉर्मल इंसान है, लेकिन एक बीमारी की वजह से उसकी क्षमता नॉर्मल लोगों से ज़रा ज्यादा बढ़ जाती है। इस फिल्म में एक्शन है, कॉमेडी है रोमांस है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है कि इसे सिर्फ किसी एक केटेगरी में रखा जा सके। इसमें सबकुछ है।
2. बेवकूफियां यानी स्टुपिडिटी
बचपन से लेकर लड़कपन तक एक शब्द ने हमारा पीछा नहीं छोड़ा- स्टुपिड। मतलब, घर पे खेलते-खेलते कुछ काण्ड हो जाए तो हम- स्टुपिड। स्कूल में कुछ मज़ेबाज़ी कर लें तो हम- स्टुपिड। और तो और अपने फेवरेट सुपरहीरो शक्तिमान की तरह गोल-गोल घूमने लगें, तो भी स्टुपिड।
वक़्त बदला, और हम अन्दर से भले स्टुपिड ही रह गए हों, मगर बाहर से लोगों को इंटेलिजेंट नज़र आने लगे। ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ हमारे अन्दर के ‘स्टुपिड’ को सेलिब्रेट करती है।
3. एक ऐसी हीरोइन जिसका अंदाज़ ही अलग है
फिल्म की एक्ट्रेस राधिका मदन की एंट्री किशोर कुमार के ऐसे गाने पर है, जो एकदम पारम्परिक, ‘नखरेवाली’ टाइप हो। मागर इस गाने में स्क्रीन पर नज़र आ रही राधिका फिल्म के सबसे ज़बरदस्त एक्शन सीन में नज़र आती हैं।
फिल्म के एक सीन में वो जिस तरह से खुजली की बड़ाई और उसकी मिठास बता रही हैं, वैसा कुछ आपने नहीं देखा होगा। ये सीन अपने आप में बहुत सारे ऐसे नियमों को तोड़ देता है, जो अनकहे तौर पर लड़कियों के लिए तय हैं।
4. डायलॉग
‘मर्द को दर्द नहीं होता’ के डायलॉग बिल्कुल नए हैं। ऐसे डायलॉग आपने किसी फिल्म में नहीं देखे होंगे। ऊपर से इन्हें कहने का अनोखा अंदाज़। जहां महेश मांजरेकर अपने एक स्वीट अंदाज़ में हर बात कह रहे हैं, वहीँ अभिमन्यु के बोलने में एक अलग सा तुलतुलापन है जो अक्सर लड़कपन में बहुत सारे लड़कों में रहता है।
5. 90s के पॉप कल्चर को ट्रिब्यूट
90s का दौर हम सबके नास्टैल्जिया का एक बड़ा हिस्सा है। ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ के डायलॉग, गाने, एक्टर्स का स्टाइल और बैकग्राउंड स्कोर सबकुछ 90s को एक शानदार ट्रिब्यूट देता है।