इन 5 बॉलीवुड फिल्मों में शाहरुख़ खान ने चुराई दूसरों की मँगेतर !

    इन 5 बॉलीवुड फिल्मों में शाहरुख़ खान ने चुराई दूसरों की मँगेतर !

    शाहरुख़ खान को बॉलीवुड का रोमांस किंग माना जाता है। तो इस बात में कोई शक नहीं है कि अंत में उन्हें अपनी हीरोइन मिल ही जाती है। शाहरुख़ की नयी फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। हैरी यानी शाहरुख़ सजल यानी अनुष्का को उनके मँगेतर से चीन ले जाते हैं। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी फिल्म में शाहरुख़ ने हीरोइन को उसके मँगेतर से चुराया हो। आइये आपको बताते हैं शाहरुख़ की ऐसी फिल्मों के बारे में जहाँ वो दूसरों की दुल्हनिया चुरा ले गये।

    दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995)

    इस लिस्ट की शुरुआत उस फिल्म से करते हैं, जिसने इतिहास रच दिया था। फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' की वजह से शाहरुख़ और काजोल की जोड़ी को पहचान मिली और वे सभी के फेवरेट बन गये। आखिर किस राज और सिमरन की लव स्टोरी के बारे में नहीं पता। वो स्टोरी जो यूरोप में शुरू हुई और पंजाब में आकर पूरी हुई। अगर आपको याद हो तो सिमरन के बाउजी ने उनकी शादी अपने बचपन के दोस्त के बेटे कुलजीत से तय की थी, लेकिन राज के जादू के आगे कुलजीत की एक ना चली और सिमरन राज के साथ चली गयी। शाहरुख़ खान का ये रोल आज भी सभी के दिलों में बसा हुआ है।

    परदेस (1997)

    इस बार शाहरुख़ ने महिमा चौधरी को अपूर्व अग्निहोत्री से छीना था। सुभाष घाई द्वारा निर्देशित इस सुपरहिट फिल्म में महिमा ने एक देसी लड़की का किरदार निभाया था, जिसकी सगाई अपूर्व से होती है, जो कि एक बिगड़ैल एनआरआई है। फिल्म के अत में महिमा को एहसास होता है कि अपूर्व नहीं बल्कि उसका सौतेला भाई शाहरुख़ उसका सच्चा प्यार है।

    दिल तो पागल है (1997)

    इस बार बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार की मँगेतर माधुरी दीक्षित को शाहरुख़ अपना बनाते हैं। राहुल और पूजा एक डांस स्टूडियो में मिलते हैं और वहीं से उनकी प्रेम कथा शुरू होती है। लेकिन पूजा की सगाई उसके बचपन के दोस्त अजय से हो रखी है। ऐसे में शाहरुख़ खान का जादू एक-बार फिर चलता है और राहुल को उसकी हीरोइन मिल जाती है।

    कुछ कुछ होता है (1998)

    एक बार फिर काजोल शाहरुख़ के लिए अपने मँगेतर को छोड़ देती हैं और वो मँगेतर कोई और नहीं बल्कि सलमान खान है। फिल्म 'कुछ कुछ होता है' में राहुल और अंजलि ने हम सभी को दोस्ती का मतलब सिखाया और जब ये दोस्ती प्यार में बदली तो हम सभी चाहते थे कि राहुल और अंजलि साथ रहें। अंत में आखिरकार राहुल को अंजलि और दशकों को हैपी एंडिंग मिल ही गयी। इसी सुपरहिट फिल्म के बाद शाहरुख़ का नाम राहुल नाम से हमेशा के लिए जुड़ गया।

    वीर-ज़ारा (2004)