जानिए ख़ूबसूरती की मल्लिका मुमताज़ के बारे में कुछ अनकही बातें !

    जानिए ख़ूबसूरती की मल्लिका मुमताज़ के बारे में कुछ अनकही बातें !

    मुमताज़ अपने जमाने की बेहद ही ख़ूबसूरत और टैलेंटेड आदकारा मानी जाती हैं। 60 -70 के दशक में उन्होंने दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया था। लोग उनकी आदाओं के कायल थे और उनके कई दीवाने थे। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया और एक के बाद एक बेहतरीन फिल्में दी। मुमताज़ का जन्म 31 जुलाई, 1947 को मुंबई के एक मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम अब्दुल समीद अस्कारी और माता का नाम बेगम हबीब अघा था। उनके  घर की माली हालत ठीक नहीं थी इसलिए महज़ 12 वर्ष की उम्र में उन्हें मनोरंजन-जगत में कदम रखना पड़ा। अपनी छोटी बहन मलिका के साथ वह रोजाना स्टूडियो के चक्कर लगाया करतीं थी।

    मुमताज़ की माँ नाज और चाची नीलोफर पहले से फ़िल्मी दुनिया में मौजूद थीं। मुमताज़ ने अपना डेब्यू फ़िल्म स्त्री से 1950 में किया और इसके बाद उन्होंने कई लो बजट की फिल्मों में भी काम किया। उन्होंने दारा सिंह के साथ 16 एक्शन फिल्में की और स्टंट फ़िल्म की हीरोइन कहलाने लगी। दारा सिंह के साथ 16 में से 10 फिल्में हिट साबित हुई और मुमताज़ का सिक्का फ़िल्म इंडस्ट्री में चल गया। बॉक्सर, टार्ज़न जैसी फ़िल्में सफल साबित हुई लेकिन एक तरफ फ़िल्मों में जहाँ दारा सिंह को 4.5 लाख रूपए एक फ़िल्म के मिले वहीं मुमताज़ को 2.5 लाख रुपये ही मिले। 

    1965 में फ़िल्म 'मेरे सनम' से पहली बार उन्होंने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और 'ये रेशमी जुल्फों का अँधेरा न घबराइए' उन पर फिल्माया गया था। मुमताज़ की बड़ी बड़ी आँखें और काली जुल्फों के बहुत लोग दीवाने थे। इसके बाद 1967 में फ़िल्म 'राम और श्याम' में उन्होंने दिलीप कुमार के साथ काम किया। इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए नोमिनेट हुई। इसके बाद मुमताज़ के पास ऑफर्स की लाइन लग गयी लेकिन उन्हें कभी लीड एक्ट्रेस का रोल नहीं मिला। उन्होंने शर्मीला टैगोर के साथ कई फिल्में की। जिनमें 'सावन की घटा' ,मेरे हमदम मेरे दोस्त' जैसी कई फिल्में हैं। 1965 में आई हिट फ़िल्म 'ब्रम्हचारी' का गाना 'आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे' जिसमें उनकी जोड़ी शम्मी कपूर के साथ बनी बहुत हिट हुआ था। इसके बाद 1969 में आई फ़िल्म 'दो रास्ते' में उनकी जोड़ी राजेश खन्ना के साथ बनी और ये फ़िल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इस फ़िल्म से मुमताज़ को काफ़ी फायदा हुआ और उन्हें बड़े रोल मिलने लग गये।

    अपने 12 साल के फ़िल्मी करियर में मुमताज़ ने 108 फिल्में की 1974 तक। उन्हें 1970 में बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड मिला फ़िल्म खिलौना के लिए। मुमताज़ ने धर्मेंद्र ,फ़िरोज़ खान ,संजीव कपूर के साथ कई फिल्में की लेकिन दर्शकों ने उन्हें राजेश खन्ना के साथ ज़्यादा पसंद किया। मुमताज़ ने राजेश खन्ना के साथ 8 सुपरहिट फिल्में दी, जिसमें वो सोलो हीरो थे। 

    मुमताज़ ने मिलिनियर मयूर मधवानी से शादी करने की सोची जब वो तीन फ़िल्म आप की कसम, रोटी और प्रेम कहानी की शूटिंग खत्म करने वाली थी।

      

    इस दौरान उन्होंने अपनी ये फ़िल्म और बाकी पड़े हुए प्रोजेक्ट को ख़त्म करने की सोची और 1974 में फ़िल्म इंडस्ट्री हमेशा के लिए छोड़ दी। मुमताज़ ने 29 मई 1974 को मयूर मधवानी से शादी की। मयूर से उन्हें दो बेटियाँ हैं नताशा और तान्या। तान्या ने फ़िरोज़ खान के बेटे फरदीन खान से 2005 में शादी कर ली। उनकी बहन मल्लिका दारा सिंह के छोटे भाई रंधावा की पत्नी हैं।

    इसके बाद 12 साल बाद फ़िल्म 'आँधियाँ' के लिए वो वापस आई मगर ये फ़िल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गयी और पकिस्तान में इस फ़िल्म ने सिल्वर जुबली मनाई। इसके बाद मुमताज़ ने कोई फ़िल्म नहीं की। साल 1996 में उन्हें फिल्म्फेयर  का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। इसके बाद इंटरनेशनल इंडियन फ़िल्म अकादमी द्वारा बैंकोक में उन्हें साल 2008 में उन्हें अचीवमेंट इन इंडियन सिनेमा नाम से सम्मानित किया गया। साल 2010 में आखरी बार मुमताज़ ने यूनी ग्लोब एंटरटेनमेंट्स की कैंसर पर एक डोक्युड्रामा में काम किया जिसका नाम 'वन ए मिनट' था और इसमें उनके साथ कई इंटरनेशनल स्टार्स थे।

    मुमताज़ की खूबसूरती का हर कोई कायल था।

    इस तरह बॉलीवुड की मल्लिका ने अपनी मेहनत और लगन से फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाई। राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी को खुद पसंद किया गया और राजेश खन्ना उनको मन ही मन चाहते भी थे। इन दिनों मुमताज़ अपने परिवार के साथ लंदन में हैं।

    हम आज भी मुमताज़ के दीवाने हैं !