कंगना रनौत की बहन रंगोली ने बाँटा एसिड अटैक सर्वाइवर होने का भयावह सच !

    कंगना रनौत की बहन रंगोली ने बाँटा एसिड अटैक सर्वाइवर होने का भयावह सच !

    कंगना रनौत ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनायी है। सिर्फ आई कैंडी न बनकर उन्होंने महिलाओं पर केंद्रित फिल्मों में काम किया है और क्वीन का टाइटल अर्जित किया है।

    उनको स्त्री सशक्तिकरण का एक नया चेहरा माना जा रहा है बॉलीवुड में।  

    लेकिन आखिर क्या है ऐसा जो उन्हें भी प्रेरित करता है ?

    हाल में ही पिंकविला को दिए एक इंटरव्यू में कंगना और उनकी बहन रंगोली ने कई ऐसी बातें की जिनको सुन कर गर्व भी हुआ और कुछ दर्द उन्होंने ऐसे बांटे जिनको पढ़ कर आँखें नम होने से रुक न सकीं।  

    कंगना ने हाल में ही ख़बरों को नयी दिशा दी थी जब उन्होंने एक फेयरनेस क्रीम का एड करने से इंकार कर दिया था।  उन्होंने अपनी बहन का हवाला देते हुए कहा था कि उनकी बहन सांवली और खूबसूरत है , ऐसे विज्ञापन करके वह उनका और उन जैसी कई लड़कियों का मनोबल नहीं गिरा सकतीं। वहीँ से पूरी दुनिया का ध्यान उनकी बहन रंगोली पर गया जिनके जीवन की एक बिलकुल ही नयी कहानी लोगों के सामने आई है।  

    Source : mediawick.com

    कंगना ने इस इंटरव्यू में बताया कि सभी लड़के रंगोली के पीछे पड़े रहते थे लेकिन उसने कभी किसी को भाव नहीं दिया और जिस लड़के से हमारे माता-पिता ने उसकी शादी तय की थी, वह उसी से प्यार करती थी।  

    लेकिन उसकी ज़िन्दगी बदल गयी जब उस पर एसिड अटैक हुआ और उसके मंगेतर ने शादी करने से इंकार कर दिया। लेकिन उसके बाद उन्होने अपने बचपन के दोस्त में अपने प्यार को पा लिया। 

    कैसे गुज़रीं रंगोली इस भयावह दौर से जिसने उन्हें बदल कर रख दिया, सुनिए उन्हीं की ज़ुबानी !

    Source : pinkvilla.com

    "एसिड को अगर तुरंत ट्रीट नहीं किया जाये तो यह त्वचा के भीतर घुस जाता है , इसीलिए आनन फानन में की गयी मेडिकल हेल्प इसे सिर्फ कंट्रोल कर सकती है।  अगर हमला गहरा हो तो यह आपके अंगों को तबाह कर सकता है। मैंने एक कान खो दिया है, एक आँख में 90% रौशनी चली गयी है, एक अक्षम ब्रेस्ट है। और वह भी तब जब मैंने देश में उपलब्ध सबसे बेहतरीन ट्रींटमेंट्स लिए हैं। एसिड अटैक कोई सामान्य दुर्घटना नहीं है, जब ये हुआ था तब मैं सांस नहीं ले पा रही थी क्योंकि मेरी सांस की नली सिकुड़ रही थी।  मेरे दिमाग में उस समय निशानों की चिंता नहीं थी। तीन महीने तक मैं खुद को आईने में नहीं देख पायी। मैं थर्रा कर रह गयी थी। मेरे लिए सबसे ज़रूरी अपनी ज़िन्दगी के  लिए संघर्ष करना था क्योंकि मेरी खाने की और सांस लेने की नलियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी थीं। मैंने एक महीने तक हॉस्पिटल में थी और मुझ पर मल्टीपल ऑपरेशन किये गए। हर रोज़ ही मुझे किसी न किसी चीज़ के लिए ऑपरेशन थिएटर ले जाया जाता था। "

     

    "प्लॉस्टिक सर्जरी इतनी आसान नहीं। यह आपको एक नया चेहरा नहीं दे देती।  मुझे अपनी जाँघों से स्किन निकलवा कर ग्राफ्ट करानी पड़ी। इसमें तकरीबन 57 सर्जरीज़ हुईं।  शारीरिक दर्द तो काफी ज़्यादा था ही, 23 साल की उम्र में मानसिक आघात भी बहुत बड़ा था ये मेरे लिए। कंगना उस समय स्ट्रगल कर रही थी, पर वो मुझे यहाँ लेकर आई। मेरे माता-पिता मेरी शक्ल तक नहीं देख पाते थे। "

    "यह ताकत इतनी आसानी से नहीं आती। मेरे माता पिता वही फिल्मी नाटक करने में व्यस्त थे कि अब इससे कौन करेगा शादी, इसका क्या होगा।  जब मैं हॉस्पिटल से वापिस आई, कंगना मुझे अपने हाथों से स्पंज देती थी। ग्राफ्टिंग बिलकुल ताज़ा थी और उसपर बहुत ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत होती थी।  कंगना मेरे सामने कभी नहीं रोई लेकिन मैं उसके आंसुओं को महसूस कर सकती थी।" 

    Source : oddpad.com

    "लोग मेरे निशानों को देखते हैं और कहते हैं, यह क्या दुर्घटना हो गयी।  अरे हो गयी तो हो गयी। अब आगे बढ़ो न।  स्त्रियों को भी अपने साथ हुई बातों पर अटक कर नहीं रह जाना चाहिए, लोगों को आगे बढ़ते रहना चाहिए। "

     

    हमें आप पर बेहद गर्व है, रंगोली ! आप यूं ही लोगों की प्रेरणा बनती रहें।