जब नसीरुद्दीन शाह पर हुआ था चाक़ू से हमला और ओम पुरी ने सामने आकर बचाई थी उनकी जान !

    जब नसीरुद्दीन शाह पर हुआ था चाक़ू से हमला और ओम पुरी ने सामने आकर बचाई थी उनकी जान !

    नसीरुद्दीन शाह बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं। एक तरफ जहां बॉलीवुड के सारे स्टार और सुपरस्टार फिल्म की कमाई के आधार पर अपना नाम बनाते हैं, वहीँ नसीर साहब ने हमेशा ऐसी फ़िल्में करने की कोशिश की जिनमें कहानी ज़्यादा मज़बूत हो। नसीरुद्दीन शाह के साथ के ही एक्टर्स अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की फ़िल्में देखकर आपको स्टारडम का मतलब समझ आता है, लकिन जब आप नसीरुद्दीन शाह की फ़िल्में देखते हैं तो आपको समझ में आता है कि फिल्म बनाने की कला क्या होती है। 

    नसीर की ‘मिर्च मसाला’, ‘जाने भी दो यारों’ और ‘इजाज़त’ जैसी फिल्मों ने बॉक्स-ऑफिस पर बहुत ही कम पैसे कमाए, लेकिन आज ये फ़िल्में बॉलीवुड की क्लासिक फिल्मों में गिनी जाती हैं। बॉलीवुड में जब तक नसीर साहब जैसे अभिनेता हैं, फिल्मों का कलात्मक पक्ष हमेशा मज़बूत रहेगा। लेकिन क्या आपको पता है कि नसीर साहब यानी नसीरुद्दीन शाह आज तक हमारे बीच स्वस्थ और, मज़बूत बने हुए इसके पीछे स्वर्गीय बॉलीवुड एक्टर ओम पुरी का बहुत बड़ा हाथ है ? क्या आपको पता है कि ओम पुरी ने अपनी जान दांव पर लगा कर नसीरुद्दीन शाह की जान बचाई थी ? नहीं पता, तो हम बताते हैं... 

    ये तो बहुत लोगों को पता है कि नसीर और ओम पुरी बहुत अच्छे दोस्त थे। नसीर और ओम पुरी ने न सिर्फ कई फिल्मों में साथ काम किया था, बल्कि दोनों ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा और फिल्म और टेलीविज़न इंस्टिट्यूट में साथ में पढ़ाई की है। दोनों बहुत गहरे दोस्त थे और एक घटना के वक़्त ओम पुरी ने, चाकू से हुए हमले के दौरान नसीर की जान भी बचाई थी। इस घटना के बारे में, जब नसीरुद्दीन के ही एक पूर्व मित्र, जसपाल ने उनपर चाक़ू से हमला किया था, नसीर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा कि ओमपुरी ने डिनर टेबल के कूद के, हमलावर को पकड़ा और उसे और ज़्यादा वार करने से रोका। ओम पुरी पुलिस वैन में नसीर को हॉस्पिटल ले कर गए और उनकी जान बचाई।

    नसीर साहब लिखते हैं, ‘भूमिका’ (1977) की शूटिंग के दौरान मई और ओम डिनर कर रहे थे तभी वहां जसपाल आ गया, जिससे मैं काफी दिन से दूरी बनाए हुए था। उसने ओम से हाय-हेलो की और मुझे घूरता हुआ, मेरे पीछे की टेबल पर जा कर बैठ गया। थोड़ी देर बाद मुझे अपनी पीठ पर एक तीखा वार महसूस हुआ। मैं लड़ने के लिए तैयार होता हुआ उठने की कोशिश करने लगा। मेरे उठने से पहले ही ओम चिल्लाता हुआ मेरे पीछे की तरफ झपटा। मैं पीछे घूमा तो जसपाल चाकू लिए खड़ा था, जिससे खून टपक रहा था। वो दोबारा हमला करने जा रहा था, लेकिन उसे ओम और दो लोगों ने पकड़ा हुआ था।’ 

    जब नसीर उठने की कोशिश कर रहे थे तो ओम पुरी जसपाल से निपटे और होटल के मेनेजर से बहस कर रहे थे, जिसका कहना था कि वो पुलिस के आने से पहले नसीर को हॉस्पिटल ले जाने नहीं देगा। लेकिन ओम पुरी ने पुलिस वाले को चिढ़ाते हुए नसीर को पुलिस वैन में डाल दिया। इससे पुलिस वाला बुरी तरह चिढ़ गया। नसीर आगे लिखते हैं, ‘ओम को उतरने के लिए कहा गया और बहुत रिक्वेस्ट के बाद हमें वहीँ रहने दिया गया।’ नसीर कहते हैं कि वो हमेशा ओम पुरी के शुक्रगुज़ार रहेंगे कि वो भगवान के दूत की तरह वहां मौजूद थे और उनकी जान बचाई।