मुक्काबाज़ वर्सेज़ कालाकाण्डी: आखिर किसकी होगी जीत!

    मुक्काबाज़ वर्सेज़ कालाकाण्डी: आखिर किसकी होगी जीत!

    नए साल के पहले हफ्ते में मूवीज रिलीज़ करने का बॉलीवुड फोबिया इस साल भी बरकरार रहा लेकिन दूसरे हफ्ते से बॉलीवुड फिर से अपने शबाब पर आने वाला है। साल की शुरुआत दो ऐसी फिल्मों से होने जा रही है जिनका ट्रेलर अपने कंटेंट की वजह से दर्शकों में काफ़ी एक्साइटमेंट जेनरेट कर रहा है। 

    मुक्काबाज़ वर्सेज़ कालाकाण्डी: आखिर किसकी होगी जीत!

    साल के दूसरे हफ्ते यानी 12 जनवरी को दो डिफरेंट फ्लेवर की फ़िल्में रिलीज़ होने जा रही हैं, एक है अक्षत वर्मा की 'कालाकाण्डी' और दूसरी है अनुराग कश्यप की 'मुक्काबाज़।' 12 जनवरी इस साल का पहला मूवी फ्राइडे है इसलिए इन दोनों फिल्मों से ऑडियंस और बॉक्स ऑफिस, दोनों को ही काफी उम्मीदें हैं। दोनों में से कौन सी फिल्म ज़्यादा बिज़नेस करेगी ये जानने के लिए हमने दोनों फिल्मों को कम्पेयर किया। 'कालाकाण्डी' वर्सेज़ 'मुक्काबाज़' का नतीजा क्या निकला, आइए आपको बताते हैं- 

    1. दोनों फिल्मों की स्टोरी: 

    मुक्काबाज़ वर्सेज़ कालाकाण्डी: आखिर किसकी होगी जीत!

    'कालाकाण्डी' फिल्म, सैफ अली खान के करैक्टर की कहानी है। सैफ को एक दिन अचानक हुई एक मेडिकल प्रॉब्लम से पता लगता है कि उन्हें स्टमक कैंसर है। डॉक्टर उन्हें बताता है कि उनके पास अब ज़्यादा दिन नहीं हैं और इसलिए वो अपनी लाइफ को जितना हो सके मज़े में जिए और खुश रहें। इसके बाद सैफ जो कुछ भी ट्राई करते हैं उनसे बहुत सारी परेशानियां पैदा हो जाती हैं। इन परेशानियों और इनसे जूझते सैफ के किरदार की कहानी है 'कालाकाण्डी'। 'मुक्काबाज़' एक स्ट्रगलिंग बॉक्सर 'श्रवण' (विनीत कुमार सिंह) की कहानी है। श्रवण को पॉलिटिशयन मिश्रा (जिमि शेरगिल) की बहन प्यार हो जाता है। अपनी पोलिटिकल पावर से मिश्रा, श्रवण का बॉक्सिंग करियर खराब कर देना चाहता है। पॉलिटिक्स से जूझकर श्रवण अपना करियर और प्यार बचा पाने में कामयाब होता है या नहीं, यही कहानी है 'मुक्काबाज़।' 

    2. स्टारकास्ट:

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    'कालाकाण्डी' में एक बड़ा नाम सैफ अली खान हैं। उनके अलावा फिल्म में बहुत सारे ऐसे एक्टर्स हैं जो अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं, जैसे- विजय राज, दीपक डोबरियाल और कुणाल रॉय कपूर। 'मुक्काबाज़' में गैंग्स ऑफ़ वासेपुर फेम विनीत कुमार सिंह में लीड में हैं और उनके अपोज़िट फीमेल लीड में न्यूकमर सुनैना मिश्रा हैं। फिल्म में बड़ा नाम जिमी शेरगिल और भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन हैं।

    3. गाने:

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    गानों के मामले में 'मुक्काबाज़', 'कालाकाण्डी' के मुकाबले काफी आगे है। 'मुक्काबाज़' का पहला गाना 'पैंतरा' रिलीज़ होते ही म्यूजिक चार्ट्स पर छा गया था, इसके बाद आए गानों में 'बहुत हुआ सम्मान' और 'मुश्किल है अपना प्रेम प्रिये' भी बहुत तेज़ी से पॉपुलर हुए और लोगों की जुबान पर हैं। 'कालाकाण्डी' का पहला गाना- 'स्वैगपुर का चौधरी' अच्छा पॉपुलर हुआ था, इसका दूसरा गाना- 'काला डोरेया' अभी में रिलीज़ हुआ था और ठीक ठाक ही पॉपुलर हुआ। 'मुक्काबाज़' के गानों में एक यंग लवर का स्ट्रगल और एक देसी फ्लेवर है जिसकी वजह से इसके गाने बहुत ज़्यादा अपीलिंग हैं।

    4. डायरेक्शन: 

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    अनुराग कश्यप का डायरेक्शन बहुत टाइट फ्रेम में होता है। वो कहानी की पेस नहीं कम होने देते। अनुराग, अपने किरदारों के डिफरेंट ट्रीटमेंट के लिए भी जाने जाते हैं। अक्षत वर्मा ने अपना करियर 'दिल्ली बेली' से शुरू किया था। ये फिल्म यूथ के बीच काफी पॉपुलर हुई थी और इसने अच्छा बिज़नेस भी किया था। लेकिन 'कालाकाण्डी' में अक्षत खुद को रिपीट करते नज़र आ रहे हैं।

    5. यूनिकनेस लेवल: 

    'मुक्काबाज़' एक लव स्टोरी है और इसमें स्पोर्ट्स और पॉलिटिक्स का तड़का, इसे बहुत यूनिक बना रहा है। इसकी फ्रेशनेस यूथ में बहुत तेज़ी से फैली है और यही बात इसे आगे ले जाएगी। अक्षत वर्मा की 'कालाकाण्डी' पर, उनकी पिछली फिल्म- 'दिल्ली बेली' का असर ज़्यादा है। ये फिल्म अपने कैरेक्टर्स के अजीब मैनरिज़्म और गालियों पर ज़्यादा टिकी हुई है। 'मुक्काबाज़' का यूपी लिंगो इसका बड़ा प्लस पॉइंट है क्योंकि हाल फ़िलहाल यूपी के बैकग्राउंड पर आई फ़िल्में अच्छी चली हैं और ये मल्टीप्लेक्स ऑडियंस के साथ-साथ छोटे शहरों के सिंगल स्क्रीन पर भी बहुत पसंद की जाती हैं। इसलिए एक बात तो तय है कि 'मुक्काबाज़' की कमाई 'कालाकाण्डी' से ज़्यादा होने वाली है।