इस पिक्टोरियल रिव्यू के ज़रिये जानिए सैफ अली खान की फ़िल्म 'शेफ' में क्या है ख़ास!
फ़िल्म 'शेफ' में आपको लजीज़ खानों की महक मिलेगी और अगर आप खाने पीने के शौकीन हैं तो ये फ़िल्म आपको ज़रूर पसंद आएगी। राज कृष्ण मेनन द्वारा डायरेक्ट इस फ़िल्म में आपको बाप बेटे के रिश्ते जो खतरे में पड़े थे उनकी बनती चाल नज़र आएगी। माँ के किरदार में पद्मप्रिया का किरदार काफी काबिले तारीफ है। एक पंजाबी मुंडा और साउथ इंडियन एक्ट्रेस पद्मप्रिया यानी राधा ने अपने बेटे को वो सारी तालीम दी जो हर एक सभ्य और सुसंस्कृत बच्चे के लिए बेहद ज़रूरी होती हैं। उन्होंने अपने डाइवोर्स का असर उस बच्चे पे नहीं पड़ने दिया। आइये जानते हैं इन किरदारों को और करीब से -
रोशन के किरदार में सैफ
एक पंजाबी मुंडा जो दिल्ली की गलियों में मज़ेदार खानों का स्वाद चखता है और अपनी नाक के कारण मजबूर होता है। इसके चलते वो शेफ बनने की सोचता है और घर से बाहर भाग जाता है। थोडा सा चिड़चिड़ा और घमंडी उसे उसका कार्य बना देता है क्योंकि वो अपने पेशे से मजबूर होता है और उसके प्रति बहुत ही समर्पित होता है। कई बार फैसला लेने में घबराता है और इसमें उसकी पत्नी उसका साथ देती है।
राधा के किरदार में पद्मप्रिया
इस फ़िल्म में पद्मप्रिया का किरदार सबसे प्रसंसनीय है। फ़िल्म में वो बहुत ही संतुलित नज़र आई इसके साथ ही अपने बेटे और पति का ख्याल रखना उन्हें बखूबी आता है। एक स्वतंत्र महिला के किरदार में राधा खुद का डांस क्लास चलाती हैं और अपने कार्य के लिए किसी पर आत्मनिर्भर नहीं हैं। उन्होंने कभी भी अपने बेटे और पति को किसी बंदिश में नहीं बांधा और जो वो करना चाहते थे करने दिया।
अरमान के किरदार में स्वर्कामले
सैफ के बेटे के किरदार में स्वर्कामले एक बहुत ही समझदार और स्नेहशील बच्चे नज़र आये। अरमान ट्विटर और स्काइप जैसी तकनीक को इस्तेमाल करना बखूबी जानते हैं। अरमान ट्विटर के जरिये अपने पापा के बिजनेस को पूरे देश में फेमस कर देते हैं। कुलमिलाकर एक प्यारे बच्चे के किरदार में अरमान अच्छे लगे जो माँ-बाप की हर बात मानता है।
किस बारे में है फ़िल्म
फ़िल्म को देखकर आपके खाने की लालसा बहुत बढ़ जायेगी और इसके साथ ही आपको केरला के खूबसूरत नजारों में घूमने को मिलेगा। फ़िल्म की कहानी ठीक थक है और सहायक पात्रों ने इसमें कुछ हद तक जान डाली है और वो कारगर भी साबित हुई है। फ़िल्म में मिलिंद सोमन और सैफ के दोस्त चन्दन रॉय संयाल की कॉमिक टाइमिंग अच्छी थी।