कॉन्सेप्ट से धमाकेदार लग रहीं 2018 की ये फ़िल्में निकलीं फ़ुस्स !
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- लेखक: Subodh Mishra (एडिटोरियल टीम)
बॉलीवुड में हर साल सैकड़ों फ़िल्में बनाई जाती हैं, जो ऑडियंस के सामने इम्तिहान के लिए उतरती हैं। हिट और फ्लॉप से इतर, एक फिल्म का असली टेस्ट ये होता है कि ऑडियंस उसके बारे में क्या राय बनाते हैं। साल 2018 बॉलीवुड फिल्मों में नए कॉन्सेप्ट और बेहतरीन एक्सपरिमेंट का साल रहा। ‘स्त्री’, ‘राज़ी’ और ‘बधाई हो’ जैसी फिल्मों ने अपने कॉन्सेप्ट और कहानी से लोगों को हैरान कर दिया। लेक्किन दूसरी तरफ बहुत सारी फ़िल्में ऐसी आईं जिनके मजेदार कॉन्सेप्ट की वजह से लोगों ने उनका बहुत इंतज़ार किया। मगर सिनेमा हॉल में पहुँचने के बाद, ये फ़िल्में उतनी मजेदार नहीं लगीं आइए आपको बताते हैं ऐसी फिल्मों के बारे में-
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कालाकांडी
'कालाकांडी' एक मरते आदमी की कहानी थी, जो अपनी बाकी बची जिंदगी ड्रग्स और उल्टे-सीधे काम करते हुए बिताना चाहता है। फिल्मों में अब तक मौत की तरफ जाते लोग अच्छे काम करते ही दिखते थे, लेकिन ये कॉन्सेप्ट नया था। और जब सैफ इस किरदार को जीते नज़र आए तो उम्मीदें और भी बढ़ गईं। लेकिन ये फिल्म देखने में इतनी मजेदार नहीं लगी !
- 2/13
अय्यारी
सेना को वैसे भी देश में बहुत पवित्र चीज़ माना जाता है, लेकिन ये एक ऐसी फिल्म थी जो आर्मी में फैले भ्रष्टाचार पर बात कर रही थी। मनोज वाजपेयी जैसे एक्टर के होने के बावजूद फिल्म दर्शकों को बांध के नहीं रख पाई !
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दास देव
फिल्म की कहानी एक ऐसे लड़के की है जिसे अपने हाई-प्रोफाइल पॉलिटिकल परिवार की विरासत संभालनी है।यूपी पर बेस्ड ऐसी पॉलिटिकल कहानी सुनने में कितनी अच्छी लगती है। लेकिन फिल्म देखने में उतनी मजेदार नहीं लगी !
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ब्लैकमेल
अपनी बीवी और उसके बॉयफ्रेंड को ब्लैकमेल करते इरफ़ान से अच्छा एक फिल्म में क्या हो सकता है। लेकिन एक हद के बाद ये फिल्म बहुत बोझिल और लम्बी लगने लगती है !
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भावेश जोशी
समाज में करप्शन दूर करने निकले एक सुपर हीरो की कहानी कितनी ज़बरदस्त लग सकती थी, लेकिन हर्षवर्धन कपूर की ख़राब एक्टिंग और सेकंड हाफ की बोरियत ने फिल्म को डुबा दिया !
- 6/13
संजू
'संजू' इस साल की उन फिल्मों में से है जिनका इंतज़ार बहुत बेसब्री से किया जा रहा था। संजय दत्त की जिंदगी से जुड़े बड़े विवादों और केसेज़ को इस फिल्म में देखने का इंतज़ार सभी को था। लेकिन राजकुमार हिरानी की ये फिल्म उतनी दमदार नहीं थी जितनी हो सकती थी। ईमानदारी से देखें तो राजकुमार हिरानी इससे बहुत अच्छी फ़िल्में बना सकते हैं !
- 7/13
फन्ने खां
ऑस्कर जीतने वाली कहानी पर बनी ये फिल्म ट्रेलर वगैरह से तो फिर भी इंटरेस्टिंग लाग्ग रही थी, लेकिन हॉल में पहुँचने के बाद इस फिल्म ने बहुत निराश किया। अनिल कपूर, राजकुमार राव और ऐश्वर्या राय जैसे अच्छे एक्टर्स को एक साथ, एक ही फिल्म में कैसे वेस्ट किया जा सकता है, ये इस फिल्म ने दिखाया !
- 8/13
पलटन
जे पी दत्ता कको इंडिया में वॉर फिल्मों का मास्टर माना जाता है, आखिर 'बॉर्डर' को कोई कैसे भूल सकता है। लेकिन 'पलटन' के रूप में उन्होंने एक ऐसी फिल्म बना दी, जिसे देखकर लगता ही नहीं कि ये फिल्म उन्होंने ही बनाई है !
- 9/13
हेलिकॉप्टर ईला
एक ऐसी मां की कहानी जो अपने बेटे की जिंदगी में हद से ज़्यादा नाक घुसाती है। इस कहानी को कितनी बेहतर तरीके से स्क्रीन पर उतारा जा सकता है। लेकिन पूरी फिल्म में काजोल की ओवरएक्टिंग दर्शकों को पका के रख देती है !
- 10/13
साहेब बीवी गैंगस्टर 3
'साहेब बीवी और गैंगस्टर' सीरीज की फ़िल्में बहुत ही ज़बरदस्त होती हैं। इस बार साहेब और उनकी बीवी क्या कमाल करने वाले हैं ये देखने का इंतज़ार सबको था। लेकिन संजय दत्त के आने के बावजूद ये फिल्म बहुत ख़राब हो गई।
- 11/13
बाज़ार
शेयर बाज़ार और फाइनेंसियल ड्रामा पर बनी इस फिल्म से उम्मीद की जा रही थी कि ये भारत की 'वुल्फ़ ऑफ़ द वॉल स्ट्रीट' निकलेगी, लेकिन इस फिल्म में ड्रामा और बेवजह के गानों ने बहुत मूड ख़राब किया !
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मुल्क
धार्मिक मतभेदों और भेदभाव पर बात करती इस फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत धमाकेदार था। 'मुल्क' एक ज़बरदस्त कोर्त०-रूम ड्रामा फिल्म थी। मगर इस फिल्म को ट्विटर ट्रोल्स और नेगेटिव पब्लिसिटी ने बहुत नुक्सान पहुँचाया !
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जीरो
शाहरुख़ खान की फिल्म को इस लिस्ट में रखते हुए बुरा तो बहुत लग रहा है, मगर क्या ही करें! 'जीरो' ऐसी फिल्म थी जिसका इंतज़ार हर किसी को बहुत बेसब्री से था। एक असामान्य कद वाले आदमी की लव स्टोरी स्क्रीन पर देखने के लिए हर कोई बेसब्र था। लेकिन ये फिल्म बहुत भटकी हुई और बोरिंग निकली !
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