दबंग: उस आदमी की चुलबुल कथा जिसके थप्पड़ में प्यार है और आंखों में दबंगई !

    उस आदमी की चुलबुल कथा जिसके थप्पड़ में प्यार है और आंखों में दबंगई !

    दबंग: उस आदमी की चुलबुल कथा जिसके थप्पड़ में प्यार है और आंखों में दबंगई !

    अंग्रेजी लिटरेचर के सबसे पुराने किरदारों में से एक किरदार है- रॉबिनहुड। बहुत ज़बरदस्त योद्धा, तीर चलाने के मामले में एकदम अर्जुन का विदेशी भाई। लेकिन काम करता था लूटने का। आप उसे लुटेरा नहीं कह सकते, क्योंकि वो अमीरों को लूटता था और अपनी लूट का माल गरीबों में बांट देता था। उत्तरप्रदेश में एक जगह है- लालगंज, और यहां के इंस्पेक्टर हैं चुलबुल पांडे। 

    यूं तो चुलबुल पांडे पुलिसिये हैं, मगर छाती चौड़ी कर के रिश्वत लेते हैं। मूड बन जाए तो नकली एनकाउंटर भी कर देते हैं। और नकली एनकाउंटर, नकली न लगे इसलिए कांस्टेबल चौबे जी के कंधे पर गोली भी मार देते हैं। ये आपको हिंसक लग सकता है, लेकिन ऐसा है नहीं। पांडे जी ने चौबे जी के कंधे पर इसलिए गोली मारी है ताकि उनकी तम्बाकू खाने की आदत छूट जाए। उन्होंने बाकायदा चौबे जी को इसके लिए पैसे भी दिए हैं, रिश्वत से बचाए हुए पैसे। यही वजह है कि चुलबुल पांडे ठसक से कहते हैं- ‘हम यहां के रॉबिनहुड हैं।’ 

    लेकिन अगर आपको अब भी लगता है कि पांडे जी बुरे आदमी हैं और उनका दिल सिर्फ रिश्वत के लिए नर्म है, तो आपको बता दें, उनका दिल रज्जो के लिए भी नर्म है। रज्जो वही लड़की है जिसे चुलबुल पांडे ने ‘फर्स्ट टाइम’ देखा था, लेकिन उससे बात ‘नेक्स्ट टाइम’ ही हुई। रज्जो को देखते ही पांडे जी को लगा था कि दुनिया में बस 2 ही चीज़ें खूबसूरत है। पहली, भगवान के अति-क्रिएटिव हाथों से बनी रज्जो। दूसरी, रज्जो के हाथों से बने मिटटी के बर्तन। लेकिन पांडे जी की प्रायोरिटी फ़िक्स है। उन्हें हमेशा पहली चीज़ चाहिए। और इसके लिए वो दूसरी चीज़, यानी रज्जो के मिटटी के बर्तन तोड़ डालते हैं। क्यों ? क्योंकि रज्जो से 5 मिनट बात करने का यही तरीका है। 

    इसके लिए वो पैसे भरने के लिए भी तैयार हैं, क्योंकि पैसे की कमी नहीं है ! लेकिन रज्जो भी अपने फील्ड की दबंग है। सीधा कह देती है- ‘गलती का दाम नहीं लेती मैं।’ अब चुलबुल पांडे ठहरे दबंग। प्यार से पैसे देने पर रज्जो का ये एटीट्यूड कैसे बर्दाश्त कर लेते ! रज्जो को हड़काते हुए सीधा कहते हैं- ‘प्यार से दे रहे हैं रख लो, थप्पड़ मार के भी दे सकते हैं।’ रज्जो इस थप्पड़ से डरती तो नहीं, लेकिन थप्पड़ में छुपे प्यार से पिघल जाती है। और बात ‘चि० चुलबुल पांडे संग आयु० रज्जो’ हो जाती है। 

    दिल से गुलगुले चुलबुल पांडे, बस एक ही इंसान को देखकर चट्टान बन जाते हैं- छेदी सिंह। छेदी सिंह नादान बच्चा है। उसे नहीं पता कि जब चुलबुल पांडे जैसे हाथी उसकी दम पर पैर रख दे, तो चुपचाप दुम निकाल कर भग लेने में ही भलाई है। और वो उल्टा पांडे जी पर गुर्राने लगता है। नतीजा- चुलबुल पांडे उसमें इतने छेद कर डालते हैं कि न वो सांस लेने लायक रहता है, न पादने लायक। 

    उसके हर छेद से उसकी आत्मा के टुकड़े निकलकर परलोक को चले जाते हैं। चुलबुल पांडे उर्फ़ रॉबिनहुड पांडे की इस अजर-अमर कथा को सुनने से मनुष्य ‘दबंग’ योनि को जाता है और उसे असीम आनंद की प्राप्ति होती है। बोलिए दबंगेश्वर श्री चुलबुल पांडे की जय !