शूजित सरकार: वो फिल्म डायरेक्टर जिसने वरुण धवन को एक्टर बना दिया !
बॉलीवुड में हर साल सैकड़ों फ़िल्में बनती हैं और हर फिल्म में जितना हो सके उतनी अलग कहानी रखने की कोशिश की जाती है। लेकिन फिर भी गिनीं-चुनी ही फ़िल्में दर्शकों को पसंद आती हैं और बॉक्स-ऑफिस पर कामयाब हो पाती हैं। ऐसे में हर डायरेक्टर की ये समस्या है कि हर बार कौन सी अनोखी कहानी उठाए और फिल्म बनाए। शूजित सरकार बॉलीवुड के ऐसे डायरेक्टर हैं जिन्होंने जितनी बार फ़िल्में बनाई, बिल्कुल अलग जायके की फिल्म बनाई और हर फिल्म पिछली फिल्म से बिल्कुल अलग बनाई।
13 अप्रैल को शूजित की नई फिल्म ‘ऑक्टोबर’ रिलीज़ हुई है। इस फिल्म को देखने वाला हर दर्शक एक बात ज़रूर कह रहा है कि उसने प्यार को इस तरह कभी नहीं देखा, जैसा शूजित ने अपनी फिल्म में दिखाया है। शूजित की कहानियां बहुत ही सहज होती हैं और जिंदगी के उन हिस्सों को छूती हैं, जो हिस्से अनछुए रह जाते हैं। आइए आपको बताते हैं शूजित की फिल्मों के बारे में-
1. यहां
2005 में आई ‘यहां’ शूजित सरकार की पहली फिल्म थी। अपनी पहली ही फिल्म में शूजित ने कश्मीर जैसी उलझी हुई चीज़ में हाथ डाल दिया। लेकिन ये कहानी कश्मीर के हालातों की नहीं थी, शूजित ने इसमें कश्मीर में चल रहे युद्ध जैसे हालातों पर ध्यान नहीं दिलाया और न ही कश्मीर के हालात पर कोई नया नैरेटिव गढ़ा। उनका ध्यान तो कश्मीर में पल रही एक लव-स्टोरी पर था, उन्होंने दर्शकों को वही दिखाई। ये शूजित का विज़न था।
2. विकी डोनर
फिल्मों में प्यार होता है। प्यार से बात या तो शादी पे जाती है या सेक्स पर। मगर इस फिल्म में बात प्यार से शुरू हुई प्यार पर ही रही शादी पर इसलिए गई क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं था। मगर सेक्स पर फिल्म का जो नजरिया था, वैसा कुछ भी, कभी भी इंडियन ऑडियंस ने फिल्मों में नहीं देखा था।
3. मद्रास कैफे
शूजित की डायरेक्ट की हुई ये तीसरी फिल्म जब रिलीज़ हुई, तो रेडिफ डॉट कॉम ने लिखा, ‘ये फिल्म इतिहास के एक भद्दे चैप्टर के बहुत स्मार्ट व्याख्या है।’ श्री लंका और भारत के बिगड़े हालात में जारी खूनी संघर्ष और प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बीच, एक काल्पनिक किरदार रख देने का काम शूजित ही कर सकते थे। इस फिल्म को बहुत सारे लोगों ने मास्टरपीस बताया था।
4. पीकू
बढ़ते उम्र के लोगों की एक कॉमन सी समस्या है- कब्ज़। लेकिन एक छोटी सी बीमारी से रिश्तों की इक्वेशन कितनी बन-बिगड़ सकती है, ये शूजित ने बहुत बेहतरीन तरीके से दिखाया। छोटी-छोटी चीज़ों से बड़ी बात कह जाना ही शूजित की खासियत है।
5. ऑक्टोबर
वरुण धवन को इस फिल्म में देखकर लगता ही नहीं कि ये वही एक्टर है जिसने ‘जुड़वाँ 2’ जैसी फिल्म की है। इस फिल्म की कहानी में प्यार का जो एंगल शूजित ने रचा, वो बिल्कुल नया है और अनोखा है। प्यार का ये एंगल ग्लैमरस तो बिल्कुल नहीं है, हां मगर सच्चा है। इस फिल्म के लिए शूजित की बहुत तारीफ़ की जा रही है।