इन 5 कारणों से नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म 'मंटो' हर हाल में देखनी चाहिए !
पिछले कुछ सालों में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन अभिनेता बनकर उभरे हैं। काफी लम्बे समय तक फिल्म इंडस्ट्री में गुमनाम रहे नवाज़ुद्दीन, अब उस दर्जे पर पहुंच गए हैं, जहां लोग सिर्फ उनके नाम पर फिल्म देखने जाने लगे हैं। जुलाई में आई वेब-सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ में गणेश गायतोंडे का किरदार निभाकर नवाज़ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो ऑडियंस को एंटरटेन करने वाली बहुत सारी मजेदार परफॉरमेंस दे सकते हैं। 21 सितम्बर यानी इस शुक्रवार को नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘मंटो’ रिलीज़ होने जा रही है।
ये फिल्म उर्दू के मशहूर कहानीकार सआदत हसन ‘मंटो’ की जिंदगी पर आधारित है और नवाज़ इसमें ‘मंटो’ का लीड किरदार निभा रहे हैं। इस फिल्म को कई सारे फिल्म ‘फेस्टिवल्स’ में दिखाया जा चुका है और हर जगह लोगों ने इस फिल्म की बहुत तारीफ़ की है। फिर भी अगर आपको ‘मंटो’ देखने के लिए और कारण चाहिए तो आइए हम आपको बताते हैं-
1. एक बेहतरीन लेखक की कहानी
सआदत हसन ‘मंटो’ को भारत के सबसे बेहतरीन कहानीकारों में से एक माना जाता है। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त मंटो को पाकिस्तान जाना पड़ा था, लेकिन उनका दिल कभी हिंदुस्तान से बाहर नहीं निकला। उनकी कहानियों में इस बंटवारे की जो नंगी सच्चाई और दर्द था, उसने लोगों को हैरान कर दिया और उन्हें खूब रुलाया। उनकी बेबाकी आज भी लोगों को हैरान करती है। ऐसे में उनकी कहानी को फिल्म में देखना एक बेहतरीन अनुभव होगा।
2. भारत-पाकिस्तान बंटवारे की नंगी सच्चाई
बंटवारे की भद्दी सच्चाइयों को अपनी कहानियों में उतारने वाले ‘मंटो’ की जिंदगी पर्दे पर उतारते वक़्त, उनकी इस बेबाकी को सिनेमा पर ज़रूर उतारना होगा। मंटो की बेबाकी ने उन्हें कई बार अदालत के चक्कर लगवाए हैं और इसलिए फिल्म में हमें कई ऐसी सच देखने को मिलेंगे, जो कि बेहतरीन सिनेमेटिक मोमेंट होंगे।
3. नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी
अगर आप ‘मंटो’ के बारे में नहीं भी जानते हैं, तो नवाज़ को तो जानते ही हैं। और फिर आप ये भी जानते ही होंगे कि नवाज़ की एक्टिंग कितनी बेहतरीन है और उनका हर किरदार, सिनेमा का एक बेहतरीन किरदार होता है। तो सिर्फ नवाज़ की एक्टिंग के लिए भी ये फिल्म देखी जा सकती है। और कहानी तो फिल्म देखकर आपको समझ आएगी ही।
4. आज़ादी के वक़्त का भारत
मंटो के लिखने का समय भारत के आज़ादी के वक़्त का है। इसलिए उस समय के भारत के शहरों को दिखाने के लिए स्पेशली काम किया गया है। फिल्म देख चुके हमारे सोर्सेज़ की मानें तो इस फिल्म में 1940 के दौर का मुंबई और दिल्ली बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है।
5. नॉर्मल मसाला फिल्मों की बोरियत से बचने के लिए
पिछले काफी समय से सिनेमा हॉल्स में लगातार मसाला फिल्मों का ही दौर चल रहा है। कॉमेडी-रोमांस और एक्शन से इतर दर्शकों को कुछ एकदम नया स्टाइल और कहानी नहीं देखने को मिले हैं। ऐसे में बदलाव के लिए ‘मंटो’ एक बेहतरीन फिल्म होगी। इस फिल्म को नंदिता दास जैसी बेहतरीन सिनेमा शख्सियत ने डायरेक्ट किया है और इसका असर भी फिल्म की कहानी पर साफ़ देखा जा सकता है। इसलिए ‘मंटो’ एक ज़रूर देखने लायक फिल्म है।