इन 5 वजहों की वजह से आप 'जीरो' छोड़कर 'के जी एफ' (KGF) देख सकते हैं !
शाहरुख़ के फिल्म ‘जीरो’ 21 दिसम्बर, शुक्रवार को सिनेमा हॉल्स में रिलीज़ हो गई। इस फिल्म का सभी को बहुत बेसब्री से इंतज़ार था। लेकिन हुआ ये कि लोगों को ये फिल्म उतनी नहीं पसंद आ रही, जितनी इससे उम्मीदें की जा रही थीं। ऐसे में ऑडियंस के सामने ये बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि क्रिसमस वाली इन छुट्टियों में आखिर कौन सी फिल्म देखी जाए। तो हमारे पास इस समस्या का इलाज है।
शाहरुख़ की ‘जीरो’ के सामने ही एक और फिल्म रिलीज़ हुई है, नाम है ‘के जी एफ़’ (KGF)। कन्नड़ में बनी ये फिल्म हिंदी में डबिंग के साथ रिलीज़ हुई है। आप बिना शक ‘जीरो’ छोड़ के ‘के जी एफ’ देख सकते हैं। ऐसा करने के 5 कारण हम आपको बताते हैं:
1. पैसा वसूल
‘जीरो’ के साथ सबसे बड़ी कमी ये है कि ये फिल्म देखने के बाद निराशा ही हाथ लगती है। ट्रेलर से बहुत मजेदार लव-स्टोरी लगने वाली ये फिल्म असल में ढंग से रोमांस भी पेश नहीं कर पाती। लेकिन ‘के जी एफ’ अपने आप में एक ऐसा पैकेज है, जिसमें पूरा मसाला है। गैंगस्टर ड्रामा पर बनी ये फिल्म आपको बाँध के रखती है और आपको कहानी से बाहर नहीं निकलने देती।
2. स्पीड
‘जीरो’ इतनी धीमी फिल्म है कि मैंने पूरी फिल्म में 6 बार घड़ी में टाइम देखा था। ऐसा लगता है जैसे आपका टाइम ही नहीं कट रहा। ‘के जी एफ’ की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड है। ये फिल्म तुलना में ‘जीरो’ से लम्बी है। लेकिन इसके बावजूद फिल्म की स्पीड आपको बोर नहीं करती। फिल्म की कहानी लगातार मौजूदा वक़्त और 70 के दशक के बीच ट्रेवल करती है, और आपका अटेंशन बांधे रखती है।
3. कहानी का अंदाज़
‘जीरो’ के मुकाबले ‘के जी एफ़’ की कहानी बहुत ज्यादा टाइट है और दर्शकों को बांध के रखती है। ‘जीरो’ एक रोमांटिक फिल्म है, लेकिन इसमें बहुत सारे ऐसे मोमेंट हैं जो दर्शकों को हॉल में अकेला छोड़ देते हैं। वहीँ ‘के जी एफ’ एक मसाला फिल्म होने के बावजूद, इतने शानदार तरीके से बांधे रखती है कि फिल्म के एंड तक आते-आते दर्शक खुद के जी एफ में पहुंच जाते हैं।
4. स्क्रीनप्ले
अच्छी कहानी कहने के लिए जो सबसे ज़रूरी चीज़ है, वो है स्क्रीनप्ले। ‘के जी एफ’ देखते वक़्त कहानी आपकी स्क्रीन पर इस तरह से चलती है कि आप हर छोटी डिटेल को नोटिस करते चलते हैं। आपको पता है कि अब कहानी किस तरफ जाने वाली है। लेकिन स्क्रीन पर ये कुछ इस तरीके से होगा कि आपने बिल्कुल भी नहीं सोचा।
5. डायलॉग
‘जीरो’ में जो चीज़ सबसे ज्यादा निराश करती है, डायलॉग्स। ‘जीरो’ के डायलॉग्स में देसी टच तो है, लेकिन वो नयापन नहीं है जिसकी उम्मीद की जा रही थी। इसके उलट ‘के जी एफ’ के डायलॉग बहुत मसाला भरे हैं। आप सोच के जाते हैं कि डायलॉग ज़रा भड़काऊ होंगे, मगर डायलॉग्स के इमोशन आप तक करंट की तरह पहुँचते हैं।