इस वजह से मधुबाला की कब्र पर फूट-फूटकर रोये थे पिता अताउल्ला खान

    इस वजह से मधुबाला की कब्र पर फूट-फूटकर रोये थे पिता अताउल्ला खान

    इस वजह से मधुबाला की कब्र पर फूट-फूटकर रोये थे पिता अताउल्ला खान

    एक वो दौर था जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में खूबसूरती का मतलब मधुबाला होती थी। यही वो समय था जब मुमताज जहान बेगम देहलवी मधुबाला बनती जा रही थी। मधुबाला, जिसे उस दौर का हर फिल्ममेकर अपनी फिल्म की हीरोइन बनाना चाहता था। सादगी, ख़ूबसूरती, धीमी मुस्कान लोगों के जहन में छप गई थी। अगर हिंदी सिनेमा में ये ख़ूबसूरती नहीं होती तो सबकुछ अधुरा होता। इनकी जिंदगी के बारे में इतना कुछ लिखा गया है कि अगर कुछ पढ़ लिया जाये तो उनका जीवन आंखो के सामने तैरने लगेगा। उनका फ़िल्मी करियर, लव लाइफ, शादी और फिर कम उम्र में मौत। ये थी मधुबाला की अधूरी जिंदगी जो 14 फ़रवरी 1933 से शुरू हो कर 23 फ़रवरी 1969 को खत्म हो गई। जैसे कोई खूबसूरत सुबह के बाद सुहानी शाम ढल जाती है।

    इस वजह से मधुबाला की कब्र पर फूट-फूट कर रोये थे पिता अताउल्ला खान

    मधुबाला के बारे में लिखा, पढ़ा तो बहुत गया है लेकिन एक खूबसूरत हीरोइन की आदर्श बेटी वाली कहानी कभी सामने न आई हो जैसे। मधुबाला ख़ूबसूरती के किस्से तो कुछ ऐसे थे उस समय पहली बार अमेरिका की ‘थियेटर आर्ट्स’ नाम की  मैगज़ीन में इनके नाम का कॉलम छपा था। जिसमें मधु को दुनिया का सबसे बड़ा सितारा बताया गया। ये बहोत था किसी कलाकार के लिए जिसने अपने जीवन में कभी अमेरिका में कदम न रखा हो उन्हें वो देश सबसे बड़ा सितारा मानता था।

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    मधुबाला बतौर हीरोइन लाजवाब थी। वो अपनी ख़ूबसूरती से ज्यादा अदाकारी में माहिर थी। लेकिन अफ़सोस तो यही था कि आज भी वो अपनी सुंदरता और सादगी के लिए ज्यादा याद की जाती हैं। मधु, एक बेमिसाल हीरोइन के साथ आदर्श बेटी थी। आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके अपने 13 सदस्यों के परिवार को वो अकेले ही पाल रही थी। पिता अताउल्लाह के आदेश के बिना वो कोई काम न करती। कभी इच्छा जताई भी तो पिता ने पूरी नहीं की।

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    मधु और उनके पिता से जुड़ा ये किस्सा कम ही लोग जानते हैं। जब मधु इस दुनिया में नहीं रही थीं तो पिता अताउल्लाह बेटी की कब्र पर बच्चों की तरह खूब रोये थे। वो रोये कि बेटी को ऐसे विदा करके। रोने के पीछे सिर्फ मधु का दुनिया से चला जाना नहीं था। बल्कि एक वजह ये भी थी वो कभी मधु को खुशियां नहीं दे पाए जो वो चाहती थीं। मधु, घर, परिवार की जिम्मेदारियों में इस तरह बंध गई थी कि उन्होंने पिता के लिए अपने प्यार दिलीप कुमार का त्याग कर दिया। इतनी बड़ी हीरोइन लेकिन पिता के सामने कभी जिद्द ना कर सकी।

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    मधु, दिलीप को चाहती थी। एक गुलाब और चिट्ठी के साथ प्यार का इज़हार किया था। दिलीप को भी मधु से उतनी ही मोहब्बत थी जैसे कोई डूबती शाम से करता है। और फिर हर शाम उस शाम का इंतजार। हर प्रेम कहानी की तरह इनके प्यार की शुरुआत तो अच्छी थी। लेकिन कहां फिल्मों की तरह असल जिंदगी में भी हैपी एंडिंग होती है।

    इस वजह से मधुबाला की कब्र पर फूट-फूट कर रोये थे पिता अताउल्ला खान

    पिता को दोनों के प्यार की खबर हुई। मधु के पिता की वजह से रिश्ते में थोड़ी दूरी तो आई लेकिन दिल में प्यार बना रहा। मधु को फिल्म नया दौर के लिए मुंबई से दूर ग्वालियर जाना था। पिता नहीं माने तो मधु की जगह वैजयन्ती माला को हीरोइन बना दिया गया। साथ ही अख़बार में मधु की तस्वीर पर क्रॉस लगाकर छपवाई गई। पिता को ये बेइज्जती बर्दाश न हुई और वो मामले को कोर्ट तक ले गए। फिल्म के हीरो दिलीप कुमार ने इसी भरे कोर्ट में मधु से प्यार का इज़हार कर दिया। दिलीप कुमार ने कहा ‘हाँ, मैं मधुबाला से प्यार करता हूं और करता रहूंगा’ ये बात मधु को अपने प्यार की बेइज्जती लगी और दोनों के रिश्ते में दरार आ गई।

    इस वजह से मधुबाला की कब्र पर फूट-फूट कर रोये थे पिता अताउल्ला खान

    मधु चाहती थी कि दिलीप घर आ कर पिता से माफ़ी मांग लें और उनसे शादी कर लें। लेकिन दोनों खुद्दार इतने थे कि इस प्यार भरे रिश्ते में दोनों न झुके। दिलीप ने मधु से कह दिया कि वो अपने पिता का घर छोड़ कर आ जाए और उनसे सारे रिश्ते तोड़ दें। मधु उस पिता का दामन ऐसे नहीं छोड़ना चाहती थी, जिसने कभी उसकी ख्वाइश नहीं जानी। कुछ इस तरह दोनों के रास्ते अलग हो गए। दोनों फिल्मों में इतने व्यस्त हो जाना चाहते थे कि वो अधुरा किस्सा कभी याद ही न आये।

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    फिर क्या था बिना मन के मधु ने किशोर कुमार से शादी कर ली और दिलीप ने सायरा बानो से। सब कुछ ठीक ही तो था। लेकिन एक रोज़ सिर्फ 35 की उम्र में मधु कब्र में समा गई कभी तो पिता को एहसास होगा कि ये छोटी सी जिंदगी ख़ुशी से भी कट सकती थी। क्यों उन्होंने इतने दर्द दे कर उन्हें दुनिया से विदा किया। क्या होता कि अगर वो मान जाते, क्या होता कि मधु माफ़ी मंगवाने की जिद्द न पकडती और क्या होता कि दिलीप कुमार पिता को बड़ा समझ कर उनसे माफ़ी मांग लेते। अगर ऐसा होता तो ये कहानी, ये अंत और वो कब्र पर पिता अताउल्लाह का रोना न होता।

    इस वजह से मधुबाला की कब्र पर फूट-फूट कर रोये थे पिता अताउल्ला खान

    सिर्फ इतना ही नहीं, मधु को तो कुछ इस तरह से भुला दिया गया कि साल 2010 में उनकी कब्र तक ध्वस्त कर दी गई। ताकि उस जगह किसी और को दफनाया जा सके। ओह, मधु काश तुम आज जिंदा होती। तुम्हारी मौजूदगी यूं ही हवाओं में न होती। तुम, यूं ही इतनी कम उम्र में महान बन गई। इतनी महान कि प्यार करना और त्याग देना जमाना तुमसे सीखेगा।