बॉलीवुड के इन 6 किरदारों ने गानों में किये अपने वादों को फिल्म में तोड़ दिया !
बॉलीवुड की ज़्यादातर फिल्मों में जिस एक चीज़ को गंभीरता से लिया जाता है वो है वादे। हमने बॉलीवुड में ऐसी कई फ़िल्में देखी हैं, जिनमें कसमे और वादों ने बड़ा पार्ट निभाया है। वहीं बहुत सारे ऐसे भी किरदार हैं, जिन्होंने किसी ना किसी वादे को निभाने के लिए अपनी कब्र खुद खोदी हो।
हालाँकि असली ज़िन्दगी की ही तरह बॉलीवुड में भी, अगर कोई नियम होता है तो उससे बचने के तरीके भी होते हैं। जहाँ बॉलीवुड की फिल्मों में कई किरदार अपने वादों को पूरा करने के लिए बहुत आगे बढ़ जाते हैं वहीं कुछ अपने वादों को पूरा नहीं कर पाते। आपने अगर ध्यान दिया हो तो ज़्यादातर किरदार गाने गाकर वादे करते हैं और बहुत सी बार ऐसा भी हुआ है जब उन्होंने अपने ही किये वादे को फिल्म में तोड़ दिया हो।
ये रहे बॉलीवुड के वो कुछ किरदार जिन्होंने अपने गाने में किये वादों को फिल्मों में तोड़ा -
वादा राह - खाकी
फिल्म खाकी में, अक्षय कुमार और ऐश्वर्या राय एक दूसरे के लिए 'वादा रहा, प्यार से प्यार का.अब ना होंगे जुदा' गाते हैं। लेकिन फिल्म के अंत में ऐश्वर्य अदौबले एजेंट निकलती हैं और अक्षय कुमार की मौत हो जाती है। तो इस जुदाई की बात ये दोनों कर रहे थे, वो आ ही गयी।
मैं वापस आऊंगा - बॉर्डर
संदेसे आते हैं गाने में, फिल्म के जवान बहुत विश्वास के साथ कहते हैं कि वे घर वापस लौटकर आयेंगे और गाते हैं मैं वापस आऊंगा। लेकिन दुर्भाग्यवश, जो एक जवान सही में घर वापस आता है वो सनी देओल होता है। उनके अलावा अक्षय खन्ना, सुनील शेट्टी और पुनीत इसार ने 'मैं वापस आऊंगा' गाया तो था लेकिन वे कभी वापस नहीं लौटे और युद्ध में मारे गये।
कसमें वादे निभाएंगे हम - कसमें वादे
जब आपकी फिल्म का नाम कसमें वादे हो और आप कसमें वादे निभायेंगे हम... मिलते रहेंगे जन्म जन्म' गाते हैं तो जनता की उम्मीद का बढ़ना लाज़मी है। लेकिन दूसरे जन्म तो छोड़िये सुमन और अमित, जिन्होंने ये गाना गाया, वो इसी फिल्म में अलग हो जाते हैं। फिल्म में अमित की मौत हो जाती है और बाद में सुमन, अमित के जैसे दिखने वाले लड़के शंकर से शादी कर ले लेती है।
अगर तुम मिल जाओ - ज़हर
जब सोनिया (शमिता शेट्टी) और सिद्धार्थ (इमरान हाशमी) की फिल्म में शादी होती है तो सोनिया ना सिर्फ उसके लिए जमाना छोड़ने का वादा करती है बल्कि कहती है 'कसम तेरी कसम, तकदीर का रुख मोड़ देंगे हम'! लेकिन जब ये दोनों अलग होते हैं तो सोनिया, सिद्धार्थ को एक मर्डर केस में पकड़वाने की कोशिश तक करती है। वो सिद्धार्थ होता है जो सोनिया और अपनी तकदीर का रुख मोड़ता है।
सोनिया, तुम इतनी बेरहम कैसे हो सकती हो?
जब तक है जान- जब तक है जान
ये वो फिल्म है, जिसमें कोई भी कुछ बोलता है उसे पूरा नहीं करता। खूबसूरत ट्यून के साथ शाहरुख़ एक कविता गाते हैं, जिसमें वे वादा करते हैं, 'तेरे हाथ से हाथ छोड़ना, तेरा सायों का रुख मोड़ना, तेरा पलट के फिर ना देखना, नहीं माफ़ करूँगा मैं, जब तक है जान, जब तक है जान...' एक और पंक्ति में कहते हैं, 'तेरे झूठे कसमें वादों से, तेरे जलते सुलगते ख्वाबों से, तेरी बेरहम दुआओं से, नफरत करूँगा मैं, जब तक है जान, जब तक है जान। लेकिन क्योंकि ये बॉलीवुड है, तो वो बहुत जल्दी अपनी 'नफरत' को भूल जाते हैं और कटरीना को वापस अपना लेते हैं।
इस फिल्म में शाहरुख़ बिल्कुल सख्त लौंडा नहीं थे!
आंखें की गुस्ताखियां- हम दिल दे चुके सनम
नंदिनी बहुत गंभीरता से गाती है, 'ये ज़िन्दगी आपकी की ही अमानत रहेगी, दिल में सदा आपकी ही मोहब्बत रहेगी, इन साँसों को आपकी ही ज़रूरी रहेगी।' लेकिन फिल्म के अंत में वो अपने पति वनराज से प्यार करने लगती है। और बेचारा हमारा समीर 'तड़प तड़प कर रह जाता है।'