दीपिका ने कहा दिल्ली में 'छपाक' की शूटिंग करना बहुत लिबरेटिंग लगा क्योंकि किसी ने उन्हें पहचाना ही नहीं!

    दीपिका ने कहा दिल्ली में 'छपाक' की शूटिंग पर किसी ने पहचाना ही नहीं

    दीपिका ने कहा दिल्ली में 'छपाक' की शूटिंग करना बहुत लिबरेटिंग लगा क्योंकि किसी ने उन्हें पहचाना ही नहीं!

    बॉलीवुड एक्टर दीपिका पादुकोण, डायरेक्टर मेघना गुलज़ार की फिल्म ‘छपाक’ में एक एसिड अटैक सर्वाइवर का रोल निभा रही हैं। दीपिका ने कहा है कि उनके दिमाग में ये ख़याल आया ही नहीं कि उन्हें इस फिल्म के लिए एक निश्चित तरीके से नजर आना छोड़ना पड़ेगा। आपको बता दें कि दीपिका ने इस फिल्म के लिए बहुत हेवी प्रोस्थेटिक्स का इस्तेमाल किया है ताकि उनका चेहरा एक एसिड अटैक सर्वाइवर की तरह लगे। 

    अनुपमा चोपड़ा से बात करते हुए दीपिका ने बताया, ‘जहाँ तक कि लुक की बात है और ग्लैमरस न नज़र आने की बात है तो, ये ख़याल मेरे दिमाग से गुज़रा भी नहीं। कभी भी। जब मेघना पिछले साल मेरे पास आईं, मैं बिल्कुल अलग सोच में थी। मैं पद्मावत वाले किरदार से जस्ट बाहर निकली थी। मैं बड़े कन्टेम्परेरी स्पेस में ये जवानी है दीवानी और कॉकटेल जैसा कुछ करना चाहती थी। तो वो घर आती हैं, लैपटॉप खोलती हैं और नैरेशन शुरू करती हैं। दो पेज सुनने के बाद ही मैंने तुरंत कहा मैं ये फिल्म कर रही हूँ। और उन्होंने पूछा, सच में? मैंने कहा कि मुझे मेरी अगली फिल्म मिल गई है, बस। उसके बाद वो कुछ बहुत अलग बताने लगीं और उस बातचीत के बीच में मैंने कहा, मैं आपको एक बार हग कर सकती हूँ? उन्हें ये पचाने में बहुत टाइम लगा क्योंकि अपने दिमाग में वो कहीं न कहीं ये सोच रही थीं कि हम कोशिश करेंगे वो ना करेंगी लेकिन हम फिर से कोशिश करेंगे। उन्हें ये गिल्ट नहीं चाहिए था कि उन्होंने ट्राई नहीं किया। आपको बता दें कि दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ 10 जनवरी को रिलीज़ हो रही है।

    दीपिका का ये भी दावा है कि उनके लिए खुद दीपिका पादुकोण जैसा न नज़र आना बहुत लिबरेटिंग था। उन्होंने कहा, ‘ये इतना लिबरेटिंग था कि क्या कहूँ! क्योंकि लोग मुझे पहचान नहीं रहे थे। हम दिल्ली में शूटिंग कर रहे थे और बाद में ये खबर तो फ़ैल ही गई कि यहाँ इस फिल्म की शूटिंग चल रही है और मैं यहाँ शूट कर रही हूँ। जहाँ भी हम शूट कर रहे थे, मैं बिना पहचान में आए कहीं भी जा सकती थी। लोग मेरी तरफ देखते थे, वो मेरे चेहरे के बारे में जानना चाहते थे लेकिन मुझे पहचान नहीं रहे थे। कुछ लोग सोच रहे थे, ये वही हैं, या वो नहीं हैं। ये बहुत लिबरेटिंग था क्योंकि मुझे इस तरह बिना पहचान में आए घूमे हुए काफी वक़्त हो गया।’