जब दिलीप कुमार ने कहा ‘पिटाई के डर से’ बदल लिया था अपना असली नाम- मुहम्मद यूसुफ खान!
दिलीप कुमार ने ‘पिटाई के डर से’ बदल लिया था अपना असली नाम
दिलीप कुमार इस फानी दुनिया को भूलकर आज एक दूसरी दुनिया में चले गए, और इसी के साथ बॉलीवुड के गोल्डन दौर का आखिरी चिराग भी चला गया। 98 के दिलीप साहब उस दौर में इंडस्ट्री में आए थे जब सिनेमा में बस दो ही रंग थे- काला और सफ़ेद। मगर उनका काम सिर्फ उनके दौर तक नहीं रुका, बल्कि दिनों दिन और रंग पहचानती सिनेमा स्क्रीन को प्रेरणा देता चला गया।
लेकिन अपने काम से अमर हो जाने वाले दिलीप साहब का असल नाम यह था ही नहीं, असल नाम था- मुहम्मद यूसुफ खान। इतना तो चलिए सभी को पता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने नाम बदला क्यों? इस बारे में 1970 में महेंद्र कौल के साथ एक इंटरव्यू में दिलीप साहब ने कहा था कि उनके पिता को सिनेमा ‘नौटंकी’ लगती थी।
वो इसे इतना नापसंद करते थे कि अपने दोस्त दीवान बशेश्वरनाथ कपूर के पोते राज कपूर पर भी लानत भेजते थे और इसकी शिकायत करते थे। वीडियो में वो कहते नज़र आ रहा हैं- “पिटाई के डर से मैंने ये नाम रखा”।
हालांकि, अपनी आत्मकथा में दिलीप साहब बताते हैं, “उन्होंने (देविका रानी) ने कहा, मैं जल्द ही बतौर एक्टर तुम्हारे लॉन्च के बारे मीन सोच रही थी और मुझे लगा कि ये बुरा नहीं होगा अगर तुम एक स्क्रीन-नेम रख लो। जानते हो, एके ऐसा नाम जिससे तुम पहचाने जाओ और तुम्हारे दर्शक उससे रिलेट कर सकें और ऐसा नाम, जो स्क्रीन पर तुम्हारी रोमांटिक इमेज बन जाने के बाद, जो ज़रूर होना है, तुमपर जंचे। मुझे लगा दिलीप कुमार अच्छा नाम है। मैं जब तुम्हारे बारे में सोच रही थी तो ये अचानक से मेरे दिमाग में आ गया। तुम्हें कैसा लग रहा है?”
और ये नाम ऐसा चला कि 1944 में ‘ज्वार भाटा’ से फिल्मों में कदम रखने वाले दिलीप कुमार ने 1998 में आई ‘किला’ तक काम किया और बीच में ‘देवदास’, ‘नया दौर’ और ‘मुग़ल-ए-आज़म’ जैसी एक से एक यादगार फ़िल्में दीं।