और इसलिए शाहरुख़ खान की 'कल हो ना हो' जैसी फिल्म बॉलीवुड में दोबारा नहीं बन सकती !

    और इसलिए शाहरुख़ खान की 'कल हो ना हो' जैसी फिल्म बॉलीवुड में दोबारा नहीं बन सकती !

    और इसलिए शाहरुख़ खान की 'कल हो ना हो' जैसी फिल्म बॉलीवुड में दोबारा नहीं बन सकती !

    बॉलीवुड के फैन होने के नाते हम सभी को स्टार्स और फिल्मों के बारे में जानने का बेहद शौक होता है। बॉलीवुड में सालभर में 100 से ज्यादा फ़िल्में रिलीज़ होती हैं और हर हफ्ते एक नयी फिल्म का आना सिनेमा के दीवानों के लिए ख़ुशी का मौका होता है। लेकिन बहुत सी फ़िल्में ऐसी होती हैं जो एक बार अगर आपके मन में बस जाएँ तो फिर उतरने का नाम नहीं लेती। बॉलीवुड ने हमें कई बढ़िया फ़िल्में दी हैं और शाहरुख़ खान की फिल्म 'कल हो ना हो' उन्हीं फिल्मों में से एक है।

    शाहरुख़ खान, सैफ अली खान और प्रीती जिंटा स्टारर इस फिल्म में बहुत कुछ था और अगर आपने ये फिल्म देखी है तो ऐसा मुश्किल ही होगा कि किसी को ये फिल्म बुरी लगी हो। इस फिल्म की कहानी, परफॉरमेंस, स्टारकास्ट से लेकर म्यूजिक तक सबकुछ अच्छा था। लेकिन जब इस फिल्म में इन सब चीजों से ज्यादा भी बहुत कुछ था। अमन और नैना की दोस्ती, अमन और रोहित की दोस्ती, हंसना-रुलाना, रिश्ते निभाना सबकुछ इस फिल्म की सुन्दरता को और बढ़ाता है।

    और इसलिए शाहरुख़ खान की 'कल हो ना हो' जैसी फिल्म बॉलीवुड में दोबारा नहीं बन सकती !

    'कल हो न हो' एक काफी हल्की फुल्की फिल्म थी, जिसमें प्यार और दोस्ती के साथ रिश्तों की अहमियत को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया था। नैना और उसकी ना का रिश्ता और दादी और जिया का रिश्ता और यहाँ तक कि अमन का नैना के परिवार से अचानक आकर मिल जाना। इस फिल्म में रिश्तों की कहानी अलग ही थी। हर इंसान का किरदार दूसरे से यूँ जुड़ा था कि मज़ा आ गया।

    अमन का प्यार नैना के लिए पूरा था लेकिन अमन का नैना का ना हो पाना, हम सभी के दिल को तोड़ने वाला था। लेकिन अगर आप सैफ के किरदार रोहित पर नज़र डाले तो मेरे लिए वो सबसे दिलदार इंसान था। रोहित को पता था कि नैना, अमन को पसंद करती है और अमन, नैना को। लेकिन फिर भी रोहित के मन में अमन के लिए इज्जत और नैना के लिए प्यार भरपूर था।

    ये शायद पहली बार था कि बॉलीवुड की फिल्म में होमोसेक्सुअलिटी को मजाक के तौर पर ही सही लेकिन दिखाया गया हो। अमन और रोहित की मस्ती और कांताबेन का उन्हें देखकर घबरा जाना हम सभी के लिए बेहद फनी था। ये फिल्म हर तरह से दिल को छूने वाली थी। जब इसने हंसाया तो बहुत हंसाया और जब रुलाया तो बहुत रुलाया। आखिर कौन नहीं चाहता था कि अमन को नैना मिल जाए? आखिर कौन नहीं चाहता था कि अमन, जो दूसरों को खुशियां बांटता है, उसे अपनी ज़िन्दगी को भी कुछ समय और ख़ुशी-ख़ुशी जीने का मौका मिले? अमन का जाना दर्शकों के लिए किसी अपने एक जाने जैसा था।

    'कल हो न हो' बॉलीवुड की उन फिल्मों में से थी, जिसने जनता का भरपूर मनोरंजन किया और इमोशनल भी किया। इस फिल्म को मॉडर्न ज़माने की आनंद भी कहा गया। अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की फिल्म आनंद ने भी हमें ज़िन्दगी के बारे में बड़ी सीख दी थी और हंसाने के साथ रुलाया भी।

    और इसलिए शाहरुख़ खान की 'कल हो ना हो' जैसी फिल्म बॉलीवुड में दोबारा नहीं बन सकती !

    कल हो ना हो, अपने आप में अलग फिल्म थी, जिसे हम हमेशा प्यार करेंगे !