'मणिकर्णिका' में कंगना ने महिला किरदार को जिस तरह से निभाया है, वो ऐतिहासिक है !

    'मणिकर्णिका' में कंगना ने महिला किरदार को जिस तरह से निभाया है, वो ऐतिहासिक है !

    इस शुक्रवार यानी गणतंत्र दिवस वाले हफ़्ते में बॉलीवुड की 2 फ़िल्में रिलीज़ हुई हैं। एक है कंगना रानौत की फिल्म ‘मणिकर्णिका’ और दूसरी है नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की ‘ठाकरे’। जैसा कि हमारा रिवाज़ है कि हम सबसे पहले फिल्म देखते हैं, ताकि आपको उसके बारे में बता सकें। और आप हमारी भरोसेमंद राय पर विश्वास कर के अपना प्लान बना सकें। तो हमने ये दोनों फ़िल्में देख डालीं। और आपको बताया कि दोनों फिल्मों में क्या खूबियां हैं और क्या कमियां।

    'मणिकर्णिका' में कंगना ने महिला किरदार को जिस तरह से निभाया है, वो ऐतिहासिक है !

    लेकिन एक बात जजों दिमाग में अटक गई वो है ‘मणिकर्णिका’ फिल्म में कंगना रानौत की परफॉरमेंस। यानी उनकी एक्टिंग, उनका काम। कंगना वैसे भी कमाल की एक्ट्रेस कही जाती हैं। लेकिन ‘मणिकर्णिका’ में उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के किरदार में जो कुछ भी किया, वो बिलकुल अद्वितीय और अद्भुत है। मैंने अपने रिव्यू में कहा था कि कंगना की जानदार एक्टिंग के मुकाबले, फिल्म थोड़ी सी कमज़ोर लगती है।

    लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि फिल्म देखने लायक नहीं है। फिल्म देखी जा सकती है। और आप ज़रूर देखिए। ‘मणिकर्णिका’ देखते वक़्त कई बार फिल्म के बीच, आप अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाएंगे। ये वो सीन होंगे जहाँ स्क्रीन पर कंगना युद्ध कर रही हैं, या अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन कर रही हैं। ये सीन आपको किसी दिव्य अलौकिक चीज़ की तरह लगेंगे। मुझे तो कम से कम ऐसा ही लगा।

    'मणिकर्णिका' में कंगना ने महिला किरदार को जिस तरह से निभाया है, वो ऐतिहासिक है !

    फिल्म देखकर बाहर निकलने के बाद भी कंगना का वो रूप, उनका युद्ध कौशल मेरी आंखों के आगे घूम रहा था। मैं बाहर आ कर फिल्म बनाने वालों को तो कोस रहा था मगर कंगना के प्यार में था। इसका कारण क्या हो सकता है ? ये मैंने बड़ी देर तक सोचा। सोचने के बाद समझ आया कि दरअसल, कंगना ने इस फिल्म में जो किया है, वो किसी ऐक्ट्रेस को हमने करते देखा ही नहीं। फ़िल्में चाहे कैसी भी हों, ये तो हमें मानना पड़ेगा कि सिनेमा एक ताकतवर माध्यम है। और इसकी वजह है छवियां। यानी इमेज।

    'मणिकर्णिका' में कंगना ने महिला किरदार को जिस तरह से निभाया है, वो ऐतिहासिक है !

    अब अगर हम सिनेमा स्क्रीन पर दिखाए जाने वाले योद्धाओं को देखें, तो वो जिस तरह से लड़ते हैं, जिस तरह का उनका पूरा ‘ऑरा’ होता है, वो बहुत विशाल होता है। स्क्रीन पर दिखे वाला योद्धा हमने पुरुष ही देखा है। उसका विशाल शरीर होगा, धाकड़ बॉडी होगी। वो जो भी बोलेगा उसमें अलग ही स्टाइल होगा। इस तरह के योद्धाओं को स्क्रीन पर देखने का आसार ये है कि अगर मैं ‘योद्धा’ बोलूं तो आपको हमेशा पहले पुरुष ही याद आएगा। लेकिन ‘मणिकर्णिका’ फिल्म में कंगना रानौत ने ये कहानी बदल दी है।

    वो किसी फिल्म के पुरुष योद्धा जितने ही शानदार तरीके से तलवार भांज रही हैं। उनकी चाल-ढाल में वो नजाकत नहीं है, जिसे महिला किरदारों के साथ स्क्रीन पर हमेशा चिपका दिया जाता है। रानी लक्ष्मीबाई बनीं कंगना जब चलती हुई दिख रही हैं, तब उनकी चाल एक योद्धा वाली चाल है, नजाकत वाली नहीं। वो आंख में आंख डालकर दुश्मनों के शरीर चीर रही हैं। और युद्ध करते हुए उनके पूरे चेहरे पर दुश्मन के ख़ून के छींटे डरावने तरीके से नज़र आते हैं। उनका ‘ऑरा’ बहुत भव्य है।

    'मणिकर्णिका' में कंगना ने महिला किरदार को जिस तरह से निभाया है, वो ऐतिहासिक है !

    उस छवि को देखकर ही समझ आता है कि इससे माफ़ी नहीं मांगी जा सकती। केवल युद्ध किया जा सकता है और हारा जा सकता है। किसी एक्ट्रेस ने स्क्रीन पर महिला पात्र के लिए ये ऑरा तैयार करने में कामयाबी नहीं पाई। मगर कंगना ने ये कर दिखाया है। ‘मणिकर्णिका’ हिट होती है या फ्लॉप, इससे कोई फर्क नहींपड़ता। मगर ये फिल्म कर के कंगना महिला किरदार की इमेज बदल चुकी हैं। और ये इस फिल्म की सबसे बड़ी उपलब्धि है। महिला किरदार को इस रूप में दिखाने के लिए ‘मणिकर्णिका’ को आने वाले समय में एक बेहद महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ की तरह देखा जाएगा।