प्रियंका चोपड़ा की रेसिज्म स्टोरी: घर में बुलाई गईं 'काली', एयरपोर्ट पर नहीं समझा गया फर्स्ट क्लास लायक!

    प्रियंका चोपड़ा की रेसिज्म स्टोरी: घर में बुलाई गईं 'काली'

    प्रियंका चोपड़ा की रेसिज्म स्टोरी: घर में बुलाई गईं 'काली', एयरपोर्ट पर नहीं समझा गया फर्स्ट क्लास लायक!

    अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत ने पूरी दुनिया को एक बार फिर रेसिज्म जैसी बुरे पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। हम आपको रोजाना एक किस्सा बता रहे हैं कि कैसे हमारे आदर्श एंटरटेनमेंट कलाकार, जो आज एक चमकता सितारा हैं, उन्होंने भी रेसिज्म का सामना किया है। इसी कड़ी में आज बात प्रियंका चोपड़ा की।, भारत की टॉप एक्ट्रेसेज़ में शुमार प्रियंका ने हॉलीवुड में भी काम करके, दुनिया भर में अपनी पहचान बना ली है लेकिन एक चीज़ जिससे वो बहुत साल तक जूझी हैं, वो ही रेसिज्म। प्रियंका के साथ ये बचपन से शुरू हो गया था।

    बरखा दत्त के साथ एक पुराने इंटरव्यू में प्रियंका ने बताया था, ‘मेरे सारे कज़िन गोर-चिट्टे थे, मैं अकेली थोड़ी सांवली थी सिर्फ़ मज़ाक के लिए मेरी पंजाबी फैमिली मुझे काली-काली-काली कहते रहते थे। 13 साल की उम्र में मैं फेयरनेस क्रीम लगाना चाहती थी और चाहती थी कि मेरा रंग बदल जाए।’ लेकिन ये मामला बचपन में ही नहीं ख़त्म हुआ। जब प्रियना पढने के लिए अमेरिका गईं तब भी उनके साथ यही बर्ताव हुआ। NDTV को एक इंटरव्यू में प्रियंका ने बताया था, ‘जब मैं अमेरिका में हाई स्कूल की पढ़ाई कर रही थी, मैंने बहुत रेसिज्म झेला। मुझे उसी नाव से वापिस जाने के लिए कहा गया जिसमें मैं आई हूं। ब्राउनी कहा गया और वो सब... ऐसा सब नहीं करते थे लेकिन हाई स्कूल में कुछ लोगों का एक ग्रुप था।’ बचपन से ये देखकर बड़ी हुईं प्रियंका आखिरकार उस पड़ाव पर पहुँचीं जहाँ पहुंचने वाली लड़की को सुन्दरता की मिसाल मान लिया जाता है। लेकिन वहां भी रेसिज्म उनके आड़े आया। 2000 के मिस इंडिया कॉम्पिटिशन के मेंटर्स में से एक प्रदीप गुहा ने प्रियंका की अनऑफिशियल बायोग्राफी लिखी थी। उन्होंने लिखा, ‘ज्यूरी में हर कोई उनके फेवर में नहीं था। एक व्यक्ति ने कहा था कि वो बहुत डार्क हैं। मैंने कहा- कम ऑन यार साउथ अमेरिका की लड़कियों को देखो वो जीतती रहती हैं और उनमें से कई तो खूब डार्क हैं, और अफ्रीका से अआने वाली लड़कियां भी।’

    खैर प्रियंका जीतीं और इतिहास में शुमार हो गईं, फिल्मों में आ गईं और अपना नाम आसमान पर लिख डाला लेकिन रेसिज्म की हद देखिए, न्यू यॉर्क के एक एअरपोर्ट के फर्स्ट क्लास लाउन्ज में बैठी प्रियंका को वहां बैठने के काबिल नहीं समझा गया! इस बारे में प्रियंका ने करण जौहर के शो पर बताया था। प्रियंका बताया था कि ग्राउंड स्टाफ के एक व्यक्ति ने उनके साथ बहुत बेहूदगी से बर्ताव किया था। उसने माफ़ी तभी मांगी जब प्रियंका ने बहस की कि वो एक वैलिड फर्स्ट क्लास पैसेंजर हैं! ये तो उस प्रियंका की कहानी है, जो हमारी नज़र में एक सितारा हैं। सोचिए, देशभर में कितने ही बच्चों के साथ उनके रंग के आधार पर भेदभाव होता होगा, उनके साथ ख़राब बर्ताव होता होगा और उन्हें कमतर महसूस कराया जाता होगा!