मिलिए शूटर और रिवॉल्वर दादी से, जिनकी जिंदगी पर बन रही है फिल्म 'सांड की आंख' !

    मिलिए शूटर और रिवॉल्वर दादी से, जिनकी जिंदगी पर बन रही है फिल्म 'सांड की आंख' !

    मिलिए शूटर और रिवॉल्वर दादी से, जिनकी जिंदगी पर बन रही है फिल्म 'सांड की आंख' !

    आपकी ज़िन्दगी में सबसे जाबड़ इंसान कौन है ? आपका जवाब चाहे कुछ भी हो, लेकिन ये इंसान चन्द्रो तोमर और प्रकाशी तोमर से ज्यादा दमदार नहीं होगा, जिन्हें शूटर दादी और रिवॉल्वर दादी के नाम से जाना जाता है। बागपत, उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव, जोहरी, से आने वालीं ये दोनों महिलाएं, दुनिया में सबसे ज्यादा उम्र की शार्प-शूटर हैं।

    डायरेक्टर तुषार हीरानंदानी, अपनी फिल्म ‘सांड की आंख’ में इनकी कहानी दिखाने जा रहे हैं। फिल्म में दोनों दादियों के किरदार के लिए, 2 दमदार एक्ट्रेसेज़, तापसी पन्नू और भूमि पेड्नेकर को कास्ट किया गया है।

    आइए आपको बताते हैं इन जाबड़ और दमदार दादियों के बारे में सबकुछ:

    कैसे हुई शुरुआत चन्द्रो तोमर (87 साल) की शूटिंग से दोस्ती-यारी तब हुई, जब उनकी पोती ने कहा कि वो पास का ही जोहरी राइफल क्लब ज्वाइन करना चाहती है। लेकिन उसे अकेले जाने में ज़रा हिचक थी। बस, दादी शेफाली के साथ क्लब चल दीं। क्लब में जब शेफाली से भारी राइफल नहीं लोड हुई, तो दादी ने राइफल लोड की और यूँ ही, मज़े-मज़े में एक निशाना लगा दिया।

    उनका पहला ही शॉट जाकर सीधा टारगेट बोर्ड के बीचोंबीच लगा, जिसे ‘बुल्स आई’ भी कहा जाता है। कोच ने जब दादी का नेचुरल शॉट देखा, तो उन्हें शूटिंग में आगे जाने के लिए मोटिवेट करना शुरू कर दिया।

    प्रकाशी तोमर की कहानी भी सेम ही है। उन्होंने भी अपना पहला निशाना तुक्के में ही लगाया था, जब वो अपनी बेटी सीमा तोमर को इसी, जोहरी राइफल क्लब में ज्वाइन कराने के लिए लेकर गयी थीं। बल्कि, प्रकाशी तोमर ने सीमा का हौंसला बढ़ाने के लिए शूटिंग शुरू की थी, क्योंकि उसे शूटिंग सीखने में ज़रा संकोच था।

    खून में ही है शूटिंग 

    चन्द्रो और प्रकाशी दादी, दोनों के ही परिवार में अब कई नए बच्चे हैं जो शूटिंग की दुनिया में बहुत नाम कमा रहे हैं। सीमा, 2010 के राइफल और पिस्टल वर्ल्ड कप में मैडल जीतने वाली पहली भारतीय है। वहीँ शेफाली को इंटरनेशनल शूटर का दर्जा प्राप्त है। वो हंगरी और जर्मनी में इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं।

    अभी भी हैं बहुत मज़बूत 

    चन्द्रो तोमर ने 30 नेशनल चैंपियनशिप जीती हैं और वो प्रकाशी के साथ मिलकर, हफ्ते में एक बार जोहरी राइफल क्लब में ज़रूर प्रैक्टिस करती हैं। शूटिंग में नाम बनाने की वजह से ही इन दोनों को शूटर दादी और रिवॉल्वर दादी के नाम से भी जाना जाता है। चन्द्रो तोमर के पास एक राइफल भी है जिसकी कीमत 1.9 लाख रूपए है। चन्द्रो इसे अपनी ज़िन्दगी की सबसे कीमती अमानत मानती हैं।

    डी आई जी को हराना 

    एक बार चन्द्रो तोमर का मुकाबला, दिल्ली पुलिस के डी आई जी से होना था। लेकिन उन्होंने बड़ी आसानी से, पुराने चैंपियन रहे डी आई जी को हरा दिया। रिपोर्ट्स का कहना है कि डी आई जी ने चन्द्रो दादी के साथ फोटो  खिंचवाने से मन कर दिया था। क्योंकि वो एक बुज़ुर्ग महिला के हाथों हार जाने से बहुत दुखी था।