ऋषि कपूर की दूसरी पारी ने साबित कर दिया उम्र नहीं टैलेंट मायने रखता है !

    ऋषि कपूर की दूसरी पारी ने साबित कर दिया उम्र नहीं टैलेंट मायने रखता है !

    बॉलीवुड के चिंटू उर्फ़ ऋषि कपूर को अपनी बात बेबाकी से रखने के लिए जाना जाता है। वो अक्सर किसी भी मुद्दे पर ट्वीट कर अपनी राय रखना नहीं भूलते। उनकी इस हरकत को कुछ लोग पसंद करते हैं तो कुछ लोग नकार देते हैं। इंडियन पॉलिटिक्स हो या विदेशी ऋषि कपूर सब मामलों में अपनी दिलचस्पी रखते हैं। साथ ही उनका अपने जिंदगी की दूसरी पारी की तरफ भी पूरा ध्यान रहता है।

    ऋषि कपूर उन चुनिंदा एक्टर्स में शामिल हो गए हैं। जिन्होंने अपने काम पर उम्र का असर होने नहीं दिया। 70-80 और 90 के दशक में अपनी अदाकारी से सबको कायल करने वाले ऋषि जब आज की जनरेशन के सामने आये तो घबराये नहीं बल्कि उम्र के इस पढाव में भी एक्सपेरिमेंट वाले किरदार चुन असली हीरो बन गए।

    अग्निपथ के रऊफ लाला

    साल 2011 में करण जौहर अमिताभ बच्चन स्टारर अग्निपथ लाने की तयारी कर रहे थे। इस फिल्म में ऋतिक रोशन और संजय दत्त लीड एक्टर्स थे। ऐसे में करण जौहर ने ऋषि कपूर को रऊफ लाला का नेगेटिव किरदार ऑफर किया। ऋषि कंफ्यूज थे क्योंकि अभी तक उन्होंने हमेशा हीरो वाले अच्छे रोल किये हैं। ऐसे में उनका नेगेटिव रोल में नज़र आना शायद ऑडियंस को पसंद नहीं आएगा। इस फिल्म में वो लड़कियां बेचने वाले दलाल बने थे। ऋषि ने ये किरदार निभा तो लिया। लेकिन जब बाद में ऋतिक और संजय दत्त को छोड़ कर रऊफ लाला की खूब तारीफ हुई। और शायद यही वो फिल्म थी जिससे ऋषि कपूर ने इंडस्ट्री में दूसरी पारी की दमदार शुरुआत की।

    कपूर एंड संस के दादा जी

    बेशक ये फिल्म आज की यंग जनरेशन की लाइफ पर आधारित थी, लेकिन ऋषि कपूर ने इसमें अहम् किरदार निभाया था। वो 90 साल के दादा जी बने थे, जो इस उम्र में भी हंसना, हंसाना मस्ती करना जानते थे। वो मंदाकनी के फैन थे। इस फिल्म के लिए सबसे चेलेंजिंग था उनका भारी-भरकम गेटअप। चेहरे से लेकर पूरे शरीर को तैयार किया जाता था। जिसके बाद वो ठीक से चल भी नहीं पाते थे। लेकिन ऋषि कपूर ने तो इस रोल में कमाल कर दिया।

    102 नोट आउट

    इसी साल आई ये फिल्म बेहद खास थी। इस फिल्म में करीब 28 साल बाद ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन की जोड़ी बड़े परदे पर नज़र आई थी। दूसरी और सबसे बड़ी वजह कि इस फिल्म में आज की जनरेशन का कोई हीरो नहीं था। मतलब इस फिल्म के हीरो 70 साल की उम्र पार कर चुके दो कलाकार थे। फिल्म में पहली बार ऋषि कपूर अमिताभ बच्चन के बेटे बने थे। ये फिल्म बेशक हिट नहीं हुई लेकिन लोगों को सीख देने और मनोरंजन के लिए सबसे बेस्ट है।

    मुल्क- मुराद अली मोहम्मद

    अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी ये एक अनोखी फिल्म थी। फिल्म एक ऐसे कोर्टकचहरी के ड्रामे पर आधारित थी जहां के मुस्लिक व्यक्ति के हक़ के लिए लड़ाई लड़ी जाती है। इस ने बहुत ऐसे सामजिक बिन्दुओं पर भी प्रकाश डाला जिसपर गौर नहीं किया जाता। इस फिल्म में ऋषि कपूर एक मुस्लिम मुराद अली मोहम्मद के किरदार में होते हैं। जिन्हें सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से दोषी माना जाता है। लेकिन अंत में जीत इसी किरदार की होती है। ऋषि कपूर ने न सिर्फ लुक से बल्कि इस पूरे किरदार से हमें खुश कर दिया। और ये भी बता दिया, सफल होने के लिए उम्र नहीं टैलेंट मायने रखता है।