कोरियाई फिल्म ओड टू माय फादर के हिसाब से ये हो सकती है सलमान खान की फिल्म भारत की कहानी !
जैसे जैसे साल 2019 आगे बढ़ रहा है, हम सभी को इस साल आने वाली फिल्मों का इंतज़ार और ज्यादा बेसब्री होती जा रही है। हर साल की तरह इस साल भी सलमान खान अपनी ईद पर फिल्म रिलीज़ करने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस साल हमें फिल्म भारत देने वाले हैं। डायरेक्टर अली अब्बास ज़फर की बनाई इस फिल्म को लेकर भाई के फैन्स के बीच काफी उत्साह है और अब इसके पहले टीज़र के बाद सलमान के किरदार और फिल्म की कहानी के बारे में जानने की दिलचस्पी और बढ़ गयी है।
अगर आप भी सोच रहे हैं कि सलमान खान की फिल्म भारत की कहानी क्या होगी तो आइये हम आपकी इसमें थोड़ी मदद करते हैं। फिल्म भारत कोरियाई फिल्म ओड टू माय फादर से प्रेरित है। हालाँकि सलमान की ये फिल्म पूरी तरह इस कोरियाई फिल्म जैसी नहीं होगी, पर कोरियाई फिल्म की कहानी जानकार आपको सलमान की भारत की कहानी का थोड़ा अंदाज़ा तो लग ही जायेगा।
कोरियाई फिल्म ओड टू माय फादर की कहानी शुरू होती है हंग्नम में चल रहे निर्वातन से, 1950 के कोरिया युद्ध के बाद हुआ था। जब कोरियाई लोग साउथ कोरिया(जो उस समय बना नहीं था) में भेजे जा रहे थे, एक छोटा लड़का दियोक-सू अपनी बहन माक-सून को भीड़ में खो देता है। दियोक-सू का परिवार बुसान में जा बस्ता है, जहाँ उसकी आंटी एक दूकान चलाती है। हालाँकि दियोक-सू के पिता अपनी खोयी बेटी को खोजने के लिए हंग्नम में ही रुक जाते हैं और दियोक-सू से वादा लेते हैं कि वो घर का बड़ा बेटा होने की वजह से पूरे परिवार को संभालने की जिम्मेदारी उठाएगा।
बुसान में रहना शुरू करने के बाद दियोक-सू छोटी उम्र में ही अलग-अलग नौकरियां करने लगता है। 1960 के समय में दियोक-सू अपने बेस्ट फ्रेंड दाल-गू के साथ खदानों में काम करने जर्मनी में बस जाता है। उसे वहीं काम करने वाली एक प्रवासी लड़की यंग-जा से प्यार हो जाता है। खदान में हुए एक हादसे और उसके वीसा की अवधि समाप्त होने के कारण दियोक-सू, अपने शहर बुसान वापस आ जाता है। हालाँकि कुछ महीनों बाद यंग-जा कोरिया वापस आ जाती है और बताती है कि वो गर्भवती है। फिर दियोक-सू और यंग-जा शादी कर लेते हैं और एक नयी ज़िन्दगी की शुरुआत करते हैं और इन दोनों को जुड़वाँ बच्चे भी होते हैं।
कुछ साल बीत जाते हैं और दियोक-सू की आंटी का देहांत हो जाता है। इसके बाद उनके अंकल दूकान को बेचने का फैसला करते हैं, जो कि घाटे में चल रही हैं। हालाँकि दियोक-सू इसके खिलाफ निर्णय लेता है। अपनी दूसरी बहन की अच्छी शादी की विश को पूरा करने के लिए दियोक-सू एक बार फिर कोरिया छोड़ता है और युद्धग्रस्त वियतनाम में जाता है। उसकी पत्नी यंग-जा उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन दियोक-सू अपने दोस्त दाल-गू के साथ चला जाता है। यंग-जा का डर सच हुआ जब दियोक-सू, वियतकॉन्ग से लोगों को बचाते हुए लंगड़ा हो गया।
कोरिया वापस आने के बाद दियोक-सू दोबारा अपनी दूकान में काम करने लगता है। एक दिन उसे टेलीविज़न पर एक प्रोग्राम दिखता है, जिसमें बताया जाता है कि उत्तरी कोरिया और दक्षिणी कोरिया के बंटवारे के समय जो रिश्तेदार एक दूसरे से बिछड़ गये थे उन्हें दोबारा मिलाया जायेगा। इस शो के लोग दियोक-सू को कांटेक्ट करते हैं और उसे बताते हैं कि हंग्नम में एक बूढ़ा आदमी है, जो उसका पिता हो सकता है। हालाँकि बाद में ये साफ़ हो जाता है कि वो बूढ़ा आदमी दियोक-सू का बाप नहीं है। दियोक-सू का परिवार एक बार फिर परेशान हो जाता है जब शो के लोग दोबारा उनसे सम्पर्क करते हैं और बताते हैं कि उन्हें एक औरत मिली है, जो दियोक-सू की बिछड़ी बहन माक-सून हो सकती है। दियोक-सू शो पर उस औरत से बात करता है और वो सच में माक-सून ही निकलती है। इसके बाद माक-सून का अपने परिवार से मिलन होता है। हालाँकि इसके कुछ समय बात दियोक-सू की माँ गुज़र जाती है।
आखिरकार वर्तमान के समय में, दियोक-सू अपनी दूकान को बेचने के लिए राज़ी हो जाता है, जिसे उसने अपनी पूरी ज़िन्दगी जी जान लगाकर बचाया था। उसे वो बात याद आती है कि उनके पिता ने एक बार उसे कहा था कि उसका परिवार इस दूकान पर दोबारा मिलेगा और एक बार फिर साथ होगा और इसीलिए दियोक-सू ने इस दूकान को अपने करीब रखा। दूकान के बिकने के बाद दियोक-सू अपनी पत्नी यंग-जा से कहता है कि उसने दूकान को बेचने का फैसला इसलिए किया क्योंकि अगर उसके पिता आज भी जिंदा हैं, तो अब बहुत बूढ़े हो गये होंगे और दूकान पर आकर अपने परिवार से मिलने की हालत में नहीं होंगे।