Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया को हीरो नहीं चाहिए!

    Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया!

    Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया को हीरो नहीं चाहिए!

    एक होता है हीरो। हीरो पर फ़िल्म बनती है। हीरो का टशन जमता है। हीरो मारता है तो स्क्रीन पर आग लगा देता है। लेकिन पिच्चर हिट करवानी है तो थोड़ा रोमांस भी मांगता है न! अब तो एक सुंदर चेहरा चाहिए होगा… तो अब आएगी एक एक्ट्रेस। हीरो के साथ रहेगी, इसलिए उसे बोलेंगे हीरोइन। लेकिन उसने हीरोइक काम क्या किया? है जवाब? ना, पता नहीं! 

    कट टू 2020… कहानी चेंज! फ़िल्म को लीड कर रही है एक एक्ट्रेस। रोल है एसिड-अटैक विक्टिम का। तेज़ाब से जला हुआ चेहरा। 

    Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया को हीरो नहीं चाहिए!

    बॉलीवुड की 'सुंदरता' की डेफिनेशन से कोसों दूर। फ़िल्म देखने कोई जाएगा? जाएगा सर… क्योंकि दीपिका पादुकोण की फ़िल्म है, नाम- छपाक। इसके बाद एक दूसरी फिल्म आती है 'पंगा'। लीड रोल- 30 से बड़ी उम्र की शादीशुदा पूर्व कबड्डी प्लेयर। एक बच्चे की मां, लेकिन फिर गेम में कमबैक करना चाहती है। फ़िल्म की यू इस पी यानी बेचने का मुद्दा- कंगना की फ़िल्म है। 'थप्पड़', फुल टाइम हाउसवाइफ की कहानी। पति के बस एक थप्पड़ मार देने से अड़ जाती है भिड़ जाती है। यू एस पी- तापसी की फ़िल्म है। 

    Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया को हीरो नहीं चाहिए!

    बॉक्स-ऑफिस की बात छोड़ दो 'छपाक', 'पंगा' या 'थप्पड़' अपनी कमाई टिकट खिड़की से वसूल रही हैं। म्यूजिक, टीवी और डिजिटल राइट्स मिला के तीनों की कमाई हिट की कैटेगरी में ही आएगी। मगर इम्पोर्टेन्ट पता है क्या है? साल के 3 महीने भी खत्म नहीं हुए और ऑलरेडी 3 फीमेल लीड फिल्में। कैसे हुआ ये? ये हुआ ऐसे कि एक लड़ाई है जिसमें कभी प्रियंका चोपड़ा कूदी थीं। 

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    वही प्रियंका जो आज हॉलीवुड में है। उस लड़की ने करियर के स्टार्टिंग में ही 'ऐतराज़' में नेगेटिव रोल प्ले कर डाला था। वो एक दिन स्क्रीन पर इंडिया की ओलिंपियन बॉक्सर 'मैरी कॉम' बन गई। ऐसे ही एक दिन 'परिणीता' से विद्या बालन आई। जिसने 'इश्किया' में आदमियों की नाक रगड़वा दी और 'डर्टी' पिक्चर में पोल सी खोल दी। 

    Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया को हीरो नहीं चाहिए!

    मगर असल में हुआ क्या? ये सुंदर चेहरे, अचानक सच्ची वाली हीरोइन कैसे बनने लगीं? होता तो ये पहले भी था, मगर बहुत लिमिटेड कैपेसिटी में। स्मिता पाटिल, दीप्ति नवल, शबाना आज़मी, थे ये सब पहले भी। मगर वो सिनेमा अलग था थोड़ा, आर्ट फ़िल्म कह देते थे लोग। लेकिन अब तो जितने नाम हैं सब मेन स्ट्रीम हैं। बड़ी बजट फिल्मों वाले। तो फिर क्या बदला? असल में अब इन चेहरों ने एक कसम सी खा ली है। काम करना है, नाम बनाना है। इन्हें हीरो नहीं चाहिए। कोई अनुष्का शर्मा 'एन एच 10' में वो गुस्सा स्क्रीन पर उतार रही होती है कि बड़े-बड़े एंग्री यंग मैन ठंडे पड़ जाएं। 

    Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया को हीरो नहीं चाहिए!

    ये तो सब बड़े नाम हो गए। लेकिन एक बड़ी खेप है- नेहा धूपिया, कल्कि केकलां, स्वरा भास्कर, कोंकणा सेन शर्मा, ऋचा चड्ढा, नीना गुप्ता, सुप्रिया पाठक… एक से एक दमदार एक्ट्रेस हैं सब की सब। बहुत सारी फिल्मों में थोड़ी थोड़ी दिख जाएंगी। लेकिन जहां भी दिखेंगी, याद रह जाएंगी। क्योंकि इन्होंने फंडा बना लिया है- रोल लम्बा नहीं बाबूमोशाय, दमदार होना चाहिए। और अब यही इनकी आइडेंटिटी है- दमदार। 'बागियों' और 'टाइगरों' के बगल में फ़िल्म की शोभा बढ़ाने वालियों को भी रोल में वजन चाहिए। और सिर्फ इंडियन आर्मी में ही जगह नहीं चाहिए… आर्मी और स्पाई वाली फिल्मों में भी अपना हिस्सा चाहिए।

    Womens Day 2020: पैट्रियार्की से 'पंगा' और 'बदला' लेने वाली वुमनिया को हीरो नहीं चाहिए!

    फिल्मों में फीमेल्स को  'सामान' की तरह ट्रीटमेंट वाले दिन हवा हुए दोस्त, अब 'सम्मान' का दौर है। 'उरी' वाले परेश रावल साहब की तरह बोले तो- ये बॉलीवुड की नई वुमन है। ये वुमनिया चुप नहीं बैठेगी… ये पैट्रियार्की से पंगा लेगी भी और उसकी सांड की आंख भी करेगी।