पागलपंती रिव्यू: मल्टीस्टारर इस फिल्म देखने के लिए आपको दिमाग घर छोड़ना पड़ेगा !
जॉन अब्राहम, पुलकित सम्राट और अरशद वारसी स्टारर फिल्म पागलपंती आज रिलीज़ हो गई है। इस फिल्म को देखने के बाद आप समझ जायेंगे कि ट्रेलर में दी गई वार्निंग बिलकुल सही साबित हुई। ट्रेलर में बताया गया था कि फिल्म देखते समय दिमाग लगाने की कोशिश न करे। अब फिल्म भी कुछ वैसी है बिना लॉजिक वाली।
फिल्म में मेकर्स फिल्म चलाने के लिए मोदी भजन कर रहे हैं। यहां मैं पीएम मोदी की नहीं बल्कि नीरज मोदी की बात कर रही हूं। अब आप सोचेंगे कि ये नाम तो सुना-सुनाया लग रहा है तो शायद आपको सही लग रहा है, क्योंकि फिल्म वाले इस नीरज मोदी का उस नीरव मोदी से गहरा कनेक्शन है जो देश के करोड़ो लूट कर विदेशों में बस गए हैं। और फिल्म का चमत्कार तो देखिये जो काम 11 मुल्कों की पुलिस नहीं कर पाई वो अकेले जॉन अब्राहम ने फिल्म में कर दिया। मतलब नीरज मोदी की गिरफ्तारी।
खैर कहानी की बात करते हैं जिसके लिए आपको दिमाग घर पर ही रखना पड़ेगा। तो कहानी है तीन पनौतियों की जिसमें जॉन अब्राहम सबसे बड़े वाले हैं। पटाखों का बिज़नस हो या नौकरी बेचारों का काम ही नहीं बनता। कहानी आगे बढ़ाने के लिए दो जीजा साले मतलब सौरभ शुक्ला और अनिल कपूर की एंट्री भी करा दी जाती है। इनकी एंट्री के बाद लगेगा कि फिल्म में फिर चमत्कार होगा। लेकिन नहीं जी, चमत्कार तो नहीं होता दो डॉन और पैदा हो जाते हैं फिर एक और डॉन, इस डॉन के बाद फिर एक और डॉन। मतलब इस फिल्म में ही इतने डॉन है जितने दिल्ली की तिहाड़ जेल में नहीं मिलेंगे।
आगे फिल्म में भूतिया ट्विस्ट भी है जिसे देखने के बाद आपको बचपन के टीवी शो शाकालाका बूमबूम और सोन परी याद आ जायेंगे। क्योंकि इन शोज़ में भूतिया ट्विस्ट ज़्यादा मज़ेदार थे। इसके अलावा फिल्म में जबरदस्ती घुसाए गये गाने, पैसों की लूट, गाड़ियों का उड़ना और जानवरों की एंट्री है जिसके लिए तो आप वीकेंड पर चिड़ियाघर भी जा सकते हैं।
इसके आगे की कहानी जानने का मन हो तो धमाल, टोटल धमाल, हाउसफुल 4 जैसी फ़िल्में देख लीजिये पागलपंती आसानी से समझ आ जाएगी। एकाध कॉमेडी सीन्स को छोड़ दे तो ये फिल्म देखते समय आप हंसेंगे कम और रोयेंगे ज्यादा।
फिल्म का डायरेक्शन अनीस बज्मी ने किया है जो ऐसी ही पागलपंती दिखा कर कमाल कर चुके हैं। लेकिन सॉरी बॉस इस बार इनका मैजिक फीका पड़ गया। मलतब फिल्म में सही डायरेक्शन की कमी आपको बार बार खटकेगी।
अब परफॉरमेंस की बात करते हैं जो मैं करना नहीं चाहती। इस कॉमेडी फिल्म में कॉमेडी के नाम पर सौरभ शुक्ला और अरशद वारसी ही जमे हैं। बाकी जॉन अब्राहम पर तो देशभक्ति फ़िल्में ही सूट करती है। वैसे देशभक्ति से याद आया कि देश के नाम पर फिल्म में इमोशनल करने की भी बेवजह कोशिश की गई है। वहीं इस त्रिमूर्ति के तीसरे हीरो पुलकित सम्राट ने कोई तीर नहीं उखाड़ा। कृति खरबंदा एक्टिंग कम ओवर एक्टिंग करती ज्यादा नज़र आई हैं। उर्वशी रौतेला क्यों थी फिल्म में ये अब तक समझ नहीं आया। हां इलियाना डिक्रुज़, अनिल कपूर और ब्रिजेन्द्र काला का काम आपको खुश कर सकता है।
तो फाइनल बात ये है कि मैंने फिल्म देखते समय दिमाग अपने पास ही रख लिया था। लेकिन आपको ये फिल्म देखनी हो तो प्लीज इस बिना लॉजिक वाली फिल्म को देखने के लिए अपना दिमाग बाहर किराये पर रख दीजियेगा और अपना सारा दुख भूल जाना क्योंकि आप हर कुछ देर में अपना सिर पकड़ कर रो सकते हैं। स्पेशली एंड वाले सीन को देख तो बच्चे भी अपनी हंसी भूल जायेंगे।
मेरी तरफ से फिल्म को 5 में से डेढ़ स्टार।