मुंबई सागा रिव्यू: जॉन अब्राहम और इमरान हाशमी फिल्म से कहानी गायब, सिर्फ एक्शन से नहीं होगा एंटरटेनमेंट
- रिव्यू
- अपडेट:
- लेखक: Usha Shrivas
मूवी: Mumbai Saga
रेटेड : 3.0/5.0
कास्ट : जॉन अब्राहम , इमरान हाशमी , सुनील शेट्टी
डायरेक्टर : संजय गुप्ता
जॉन अब्राहम और इमरान हाशमी फिल्म ‘मुंबई सागा’ आज रिलीज़ हो गई है। संजय गुप्ता के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में हनी सिंह के गाने के अलावा कुछ भी नया नज़र नहीं आता। फिल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड के चर्चित अमर नाइक और अश्विन नाइक की जिंदगी से इंस्पायर्ड है। फिल्म एक्शन से जबदरस्त है लेकिन कहानी में फ्लो नहीं।
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक दिन दहाड़े मर्डर केस है। लेकिन ये मर्डर तक कहानी पहुंचे कैसे, यही दिखाने के लिए मेकर्स आपको अमर्त्य राव यानी जॉन अब्राहम के गुंडे बनने के दौर में ले जाते हैं। अमर्त्या राव जो रेलवे ब्रिज पर सब्जियां बेचता है। उसकी कमजोरी है उसका छोटा भाई अर्जुन उर्फ़ प्रतीक बब्बर। भाई को बचाने और गायतोंडे (अमोल गुप्ते) के गुंडों को हफ्ता न देने के लिए अमर्त्य गुंडा बनता है। इसमें अमर्त्य को भाऊ बोले तो महेश मांजरेकर का साथ मिलता है। अब शहर का सबसे बड़ा गुंडा है तो पुलिस, दूसरी गैंग के गुंडे तो दुश्मन बनेंगे ही। और जहां दुश्मन ज्यादा होते हैं वहां धोखा बहुत मिलता है। तो इसे धोखे, बदला, दुश्मनी की कहानी है ‘मुंबई सागा’।
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डायरेक्टर संजय गुप्ता इसी तरह की दमदार मसाले दार एक्शन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। फिल्म में भी कुछ शानदार और कुछ फेक एक्शन सीन्स हैं। ये एक्शन सीन देखने से ज्यादा आप बैकग्राउंड साउंड सुनकर ही डर जायेंगे। इन एक्शन सीन की खासियत है कि जॉन खड़े खड़े। बिना किसी एक्सप्रेशन के अजीब दिखने वाले गुंडों की हड्डियां तोड़ रहे हैं। जॉन से ज्यादा एक्स्प्रेशन तो उनके असिस्टेंट गुंडों के चेहरे पर नज़र आते हैं। आप शुरू से लेकर अंत तक फिल्म की कहानी से जुड़ने की कोशिश करते रहेंगे, लेकिन वो कनेक्शन बैठा पाना थोडा मुश्किल टास्क लगता है। सीन्स भागते नज़र आते हैं, डायलॉग ओवर फ़िल्मी हैं। उस पर एक्सप्रेशनलेस जॉन, अच्छे नहीं लगते। इसके साथ साथ गायतोंडे, भाऊ, भाई सब की कहानी साथ साथ चलती जो फ्लो नहीं बना पाती। इसी बीच होती है विजय सावरकर यानी इमरान हाश्मी की एंट्री। इस एंट्री के बाद लगता है कि अब कहानी पलट गई है। लेकिन यहां भी आपके हाथ धोखा ही लगता है जो आपको फिल्म देखने के बाद समझ आएगा।
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परफॉरमेंस की बात करें तो मेरे लिए जॉन अब हर एक्शन फिल्म में एक जैसे ही लगते हैं। उनकी दो चार एक्शन फिल्मों की के सीन्स को आपस में मिला दिए जायें तो आप पहचान नहीं पाएंगे कि कौनसा एक्शन सीन, कौनसी फिल्म का है। वैसे कुछ जगह पर जॉन अच्छे लगे हैं। इमरान हाशमी मुझे हर सीन में पसंद आये। उनकी एंट्री सिम्पल और शानदार थी। जॉन के साथ फिल्माए इनके एक्शन सीन जबरदस्त है। महेश मांजरेकर का काम इम्प्रेसिव है। ये आपको बाला साहेब ठाकरे की याद दिलाते हैं। गायतोंडे उर्फ़ अमोल गुप्ते ने भी ठीक ठाक काम किया है।।।गुलशन ग्रोवर, सुनील शेट्टी फिल्म में नहीं भी होते तो भी शायद कोई खास फर्क नहीं पड़ता। हां, प्रतीक बब्बर और रोहित रॉय की परफॉरमेंस शानदार लग सकती है। काजल अग्रवाल को फिल्म में घरवालों की फ़िक्र करने के लिए रखा गया है और वो अपना काम ठीक तरीके से कर लेती हैं।
संजय गुप्ता ने पिछली फिल्मों की तुलना में ये फिल्म मुझे थोड़ी फीकी लगी। वैसे मेरी तरह से इस फिल्म को ढाई स्टार्स थे।।लेकिन मुझे इमरान कुछ ज्यादा ही पसंद आ गए हैं, इसलिए फिल्म को मेरी तरफ से तीन स्टार्स। अगर आपने लंबे समय से कोई एक्शन फिल्म नहीं देखी है तो ‘मुंबई सागा’ देख आइये।
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