शकुंतला देवी रिव्यू: यूं हीं नहीं विद्या बालन को 'बायोपिक क्वीन' कहा जाता है, शानदार है फिल्म
- रिव्यू
- अपडेट:
- लेखक: Usha Shrivas
मूवी: Shakuntala Devi
रेटेड : 3.0/5.0
कास्ट : विद्या बालन
डायरेक्टर : Anu Menon
विद्या बालन की फिल्म शकुंतला देवी लंबे समय से सुर्ख़ियों में बनी हुई है। ये फिल्म गणितज्ञ शकुंतला देवी की बायोपिक है जिन्हें ह्युमन कंप्यूटर के नाम से भी जाना जाता था। कुछ दिनों पहले फिल्म का ट्रेलर सामने आया जिसे खूब पसंद किया गया था। अब फिल्म अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हो गई और जिसे आप बार बार देखना चाहोगे।
ये फिल्म एक आम लड़की शकुंतला की कहानी है जो कभी स्कूल नहीं गई, कभी अंग्रेजी नहीं पढ़ी। लेकिन स्कूल, कॉलेज में बच्चों को पढ़ाया भी और इंग्लिश में किताबे भी लिखीं। गणितज्ञ शकुंतला देवी की कहानी में सिर्फ गणित ही नहीं है बल्कि एक हंसमुख, जिंदादिल औरत है जो अपनी पहचान खुद बनाती है। वो डरती नहीं है, वो लडती है, वो जीतती है। लेकिन जब रिश्ते संभालने की बात आती है तो इतनी बड़ी पहचान होने के बाद भी पिछड़ जाती है। फिर लडती है रिश्तों को भी जीतती है। फिल्म में एक डायलॉग है ‘शकुंतला देवी हमेशा जीतती है’। शायद यही वो डायलॉग है जो फिल्म के किरदार को कभी हारने नहीं देता।

शकुंतला देवी का जन्म 1929 में हुआ लेकिन जब फिल्म में उनकी जर्नी दिखाई जाती है तो वो इतनी प्रोग्रेसिव सोच की बातें करती हैं जिनको लेकर हम आज लड़ रहे हैं। हम होमोसेक्सुअल पर बहस कर रहे हैं लेकिन शकुंतला इस मुद्दे पर दशकों पहले किताब लिख चुकी थीं। उनका किरदार बीच बीच में ये एहसास करता है कि जरुरत नहीं प्यार जरुरी है। वो इस मुद्दे पर भी बहस करती हैं कि बेटे की शादी के बाद उसकी बीवी पेरेंट्स के साथ रह सकती है तो एक बेटी क्यों नहीं? वो कभी अपने पिता जैसा नहीं बनना चाहती और माँ को कभी माफ़ नहीं कर पाई। लेकिन जब खुद की बेटी से दूर हुई तो हर रिश्ते की अहमियत समझ आ गई।
अनु मेनन के डायरेक्शन में बनी ये एक अच्छी फिल्म है जो यकीन दिलाती है कि एक औरत ने अकेले उस दौर में क्या हासिल कर लिया था। फिल्म में गणित के अलावा जो सबसे खास है वो माँ बेटी का रिश्ता, पिता का प्यार है। सही शब्दों में कहे तो ये एक इमोशनल जर्नी है। करियर और परिवार के बीच फंसी औरत की, जो सिर्फ अपने से जुड़ी चीज़ों के बारे में सोचती है। वो जीना जानती है। अंत में ये फिल्म आपको इमोशनल कर देती है। वहीं कुछ सीन आपको ओवर ड्रामेटिक लगेंगे। वहीं कुछ जगह फिल्म थोड़ी भागती है। कुछ सीन में ठहराव नहीं दिखता। थोड़ी राइटिंग में भी कमी लगी।

अब फिल्म की परफॉरमेंस की बात करते हैं जिसके बिना ये रिव्यू पूरा नहीं। मेरे हिसाब से इस पूरी फिल्म को अच्छी परफॉरमेंस पर ही चलाया जा सकता है। विद्या बालन को यूं ही नहीं बायोपिक क्वीन माना जाता रहा है। उन्होंने अपनी एक्टिंग से फिल्म में कमाल कर दिया है। स्क्रीन पर जितनी बार विद्या नज़र आई दिल खुश हो गया। वो किरदार को घोट कर पी गईं। वहीं उनकी बेटी अनु के किरदार में सान्या मल्होत्रा ने शानदार काम किया। अमित साध अपनों सधी हुई एक्टिंग से दिल जीत लेंगे और जिशु सेनगुप्ता का किरदार आपको पसंद आएगा।

अनु मेनन के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म एक कामयाब औरत की बात करती है। उन्होंने शानदार डायरेक्शन से कमाल कर दिया है। वहीं विक्रम मल्होत्रा के अबुंदंतिया एंटरटेनमेंट द्वारा ‘शकुंतला देवी’ को प्रोड्यूस किया गया है। फिल्म पहले थिएटर पर रिलीज़ होने वाली थी लेकिन कोरोना वायरस की वजह से आज ये फिल्म डिजिटल प्लेटफार्म ‘अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हो गई है। एक बार तो ये फिल्म देखना बनता है।मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार!
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