श्रीदेवी की अचानक हुई मौत के कारण ये प्रोजेक्ट माधुरी दीक्षित को मिला था। करण ने जाह्नवी कपूर को फिल्म धड़क में लेने के बाद श्रीदेवी को ये रोल ऑफर किया था।
संजय दत्त और माधुरी दीक्षित ने फिल्म के कलंक के साथ बड़े पर्दे पर पूरे 22 साल बाद दोबारा साथ काम किया है। इससे पहले इन दोनों ने 1996 में फिल्म महानता में काम किया था।
जब माधुरी को इस फिल्म के लिए लिया गया तो संजय दत्त इस फिल्म को छोड़ने वाले थे। अगर संजय इस फिल्म को छोड़ते तो अनिल कपूर को इस फिल्म में लिया जाने वाला था।
देव चौधरी का किरदार आदित्य रॉय कपूर से पहले अर्जुन कपूर को दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे करने से इनकार कर दिया था।
15 साल पहले यश जौहर ने इस फिल्म की कहानी के बारे में सोचा था और करण इस फिल्म को 2003 में बनाना चाहते थे। लेकिन वे इसे शुरू करने से पहले काफी भावुक हो गये थे।
करण की फिल्म कभी अलविदा ना कहना का नाम पहले कलंक रखा गया था। हालाँकि बाद में इसे बदल दिया गया। फिल्म कुर्बान को भी पहले कलंक नाम दिया गया था।
कलंक का नाम पहले शिद्दत रखा गया था। मज़े की बात ये है कि धर्मा की कई फिल्मों का नाम कलंक रखा गया था।
माना जाता है कि साल 2003 में शाहरुख़ खान. काजोल और अजय देवगन को कलंक में लेने के लिए सोचा गया था।
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