‘बम्बल बी’ से जो सबसे बड़ा ज्ञान मुझे मिला वो ये, कि जॉन सीना से ज़्यादा इमोशन मशीनों के चेहरे पर नज़र आते हैं। लेकिन ये फिल्म ‘ट्रांसफार्मर्स’ सीरीज की सबसे बेहतरीन फिल्म है। ‘बम्बल बी’ की कहानी स्टार्ट होती है 1987 में। जैसा कि पिछली ट्रांसफार्मर्स मूवी से में हमने देखा है, साइबरट्रॉन प्लेनेट के मैकेनिकल लाइफ फॉर्म्स, ट्रांसफार्मर्स 2 तरह के हैं ऑटोबॉट और डिसेप्टिकॉन।
और ये लोग मशीन हो के भी रेसिस्म में भिड़े हुए हैं मतलब एक दूसरे की नस्ल ही साफ़ कर देना चाहते हैं। ऑटोबॉट बी-127 को उसके लीडर से टास्क मिला है कि अर्थ पर जा के नया बेस तैयार करे जहां से ऑटोबॉट दोबारा खा पी के डिसेप्टिकॉन पर अटैक कर सकें। धरती पर बी-127 जहां टपकता है, वहां कर्नल जैक बर्न्स यानी जॉन सीना की स्पेशल टीम, सेक्टर 7 ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर रही है।
बी-127 का पीछा करते हुए एक डिसेप्टिकॉन आ जाता है और फिर जैसा कि WWE में काफी टाइम से हो रहा है, जॉन सीना पिट जाता है। बी-127 डिसेप्टिकॉन को मार तो देता है मगर इस पंगे में उसका वॉइस-बॉक्स डैमेज हो जाता है। और वो बेहोश होने से पहले एक फॉक्सवैगन बीटल में ट्रांसफॉर्म हो जाता है।
ये बीटल मिलती है चार्ली वाटसन को, उसके 18वें बर्थडे पर। चार्ली के पापा की डेथ हो चुकी है और वो अभी उस सदमे में ही है। चार्ली जब अपनी कार स्टार्ट करती है तो, बी-127 एक्टिवेट हो जाता है। बी 127 की हमिंग साउंड की वजह से चार्ली उसका नाम रखती है बम्बल बी। और दोनों में दोस्ती यारी हो जाती है। अब बम्बल बी के एक्टिवेट होते ही डिसेप्टिकॉन को भी उसका सिग्नल मिल जाता है। तो क्या डिसेप्टिकॉन फिर से बम्बल बी पर अटैक करेंगे ? क्या जॉन सीना को समझ आएगा कि बम्बल बी असल में धरती का दुश्मन नहीं दोस्त है ? और क्या चार्ली और बम्बल बी साथ में रह पाएंगे ? यही है फिल्म की कहानी !
‘बम्बल बी’ की सबसे बड़ी खासियत है, मशीन्स और ह्यूमन इमोशंस का सॉलिड कॉम्बिनेशन। चार्ली और बम्बल बी के सीन्स बहुत प्यारे हैं। चोट की वजह से मेमोरी खो चुका बम्बल बी, बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह रियेक्ट करता है जिसे दुनिया के बारे में कुछ नहीं मालूम। इन सीन्स में ये मशीन आपको इंसानी बच्चों जितनी क्यूट लगेगी। चार्ली वाटसन के करैक्टर में हेली स्टीनफ़ील्ड इस फिल्म को वो इमोशंस देती हैं, जो बहुत अपीलिंग हैं।
ट्रांसफार्मर्स सीरीज की पिछली फिल्मों की तरह हेली को फिगर चमकाने के लिए नहीं रखा गया है। उनका कैरेक्टर बम्बल बी की कहानी का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट है। ट्रेविस नाईट के डायरेक्शन में ये सबसे बड़ी स्पेशलिटी है कि उन्होंने सिर्फ एक्शन और एनीमेशन पर फोकस नहीं किया। बल्कि उन्होंने ड्रामा पार्ट को बहुत अच्छे से डेवलप किया है। फिल्म में एक्शन का ओवरडोज़ बिल्कुल नहीं है।
और सबसे मजेदार था आवाज़ जाने के बाद बम्बल बी का कम्युनिकेशन। वो बात करने के लिए जिस तरह रेडियो पर गानों का यूज़ करता है वो बहुत मजेदार है। कुल मिलाकर 'बम्बल बी' बहुत मजेदार स्टोरी है और ये फिल्म उम्मीद देती है कि ट्रांसफार्मर्स सीरीज की फ़िल्में भी वाकई एंटरटेनिंग हो सकती हैं।