Article 370 Review: आर्टिकल 370 की पेचीदगी को आसानी से समझाती है यामी गौतम की फिल्म
आर्टिकल 370
आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर से हटाए गए आर्टिकल 370 की ही कहानी बताती है। इसे हटाने का विचार कैसे आया है और इस प्रक्रिया को आखिरकार कैसे पूरा किया गया, फिल्म में ये सब दिखाया गया है।
यामी गौतम स्टारर फिल्म 'आर्टिकल 370' शुक्रवार 23 फरवरी को सिनेमाघरों में दस्तक दे रही है। फिल्म में यामी गौतम के अलावा प्रियामणि, अरुण गोविल, किरण कर्माकर, राज अर्जुन, दिव्या सेठ और राजेंद्रानाथ जुतसी अहम रोल मे हैं। आर्टिकल 370 की सबसे अच्छी बात ये है कि फिल्म सिर्फ यामी गौतम को ही फुटेज नहीं देती है बल्कि एक सबजेक्ट है और इसके हर एक किरदार को स्क्रीन पर पूरा स्पेस दिया गया है। फिल्म में जम्मू-कश्मीर के लिए स्पेशल धारा 370 की पेचीदगियों को आसानी से समझाने की कोशिश की गई है और इसे कैसे हटाया गया। इसका पूरी प्रक्रिया दिखाई गई है।
फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी अजय देवगन के नैरेशन से शुरू होती है। एक्टर की आवाज में आर्टिकल 370 के इतिहास को संक्षिप्त में बताया जाता है। इसके बाद कहानी सीधे एक सिक्योरिटी फोर्सेस लेडी ऑफिसर जूनी हकसर (यामी गौतम) की तरफ मुड़ जाती है। जो जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करना चाहती है। इसलिए वो बिना अपने ऊपर के अफसर की परमिशन के ही आतंकवादी बुरहान वानी का खात्मा करने अपनी टीम के साथ निकल निकल पड़ती है। लेकिन उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ती है और उसका दिल्ली ट्रांसफर हो जाता है।
पर बात यहीं नहीं खत्म हो जाती। यहां से तो शुरुआत होती है, जब पीएमओ की ज्वाइंट सेक्रेटरी (प्रियामणि) की नजर उस पर पड़ती है। इधर पीएमओ आर्टिकल 370 को खत्म करने की योजना बनाता है और उधर जम्मू कश्मीर में जूनी हक्सर को जम्मू कश्मीर में शांति बनाए रखने की कमना सौंपी जाती है। इस तरह आर्टिकल 370 समाप्त होने तक जो जो घटनाएं होती हैं, वो इस फिल्म में दिखाई गई हैं।
फिल्म में क्या अच्छा?
आर्टिकल 370 के डायरेक्टर आदित्य जांभले ने पॉलिटिकल और सिक्योरिटी परिस्थितियों का काफी अच्छा बैलेंस दिखाया है। कहीं पर आपको ये नहीं लगेगा कि फिल्म पूरी तरह से पॉलिटिकल है और ना ही आपको ये लगेगा कि फिल्म सिर्फ यामी गौतम के एक्शन पर बेस्ड है। फिल्म पर सच्ची घटनाओं से प्रेरित जरूर है लेकिन उसे वैसा का वैसे पेश नहीं किया गया है बल्कि क्रिएटिवी की लिबर्टी यहां ली गई है।
वैसे तो सभी को पूरा स्पेस फिल्म में मिला है लेकिन यामी गौमत और प्रियामणि फिल्म को लीड करते नजर आते हैं। एक महिला पावर आपको यहां देखने को मिल जाएगी। आर्टिकल 370 को हटाने में कितना समय और कितनी दिक्कतें आईं, वो सब इसमें कवर करने की बाखूबी कोशिश की गई है। फिल्म में अलगावादी नेता, कट्टरपंथी, पाकिस्तान, हमारे देश की पॉलिटिक्स, खासकर के जम्मू कश्मीर की पॉलिटिक्स सबकी कुछ बैलेंस तरीके से दिखाया गया है।
आर्टिकल 370 को हटाने का प्रयास थोड़ा पेचीदा रहा है। संविधान की भाषा को आम तरीके से फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है। फिल्म के सेकेंड हाफ ज्यादा बढ़िया लगता है। फिल्म के छोटे छोटे ट्विस्ट भी आपको पसंद आएंगे।
कहां रही कमी?
जिस प्रकार से सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी, उस हिसाब से फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर थोड़ा कमजोर पड़ता नजर आता है। फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको स्लो लग सकता है। वहीं यामी गौतम ने फिल्म में अपना पूरा 100 प्रतिशत दिया है लेकिन उनकी पर्सनैलिटी ऐसी है कि वो NIA एजेंट के तौर पर कास्टिंग के हिसाब से थोड़ा कम फिट बैठती नजर आती है।
हालांकि उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक के डारेक्टर आधित्य धर जो कि इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं। उनकी इस फिल्म को एक बार जरूर देखना चाहिए। आप भले ही फिल्म के सभी फैक्ट्स पर यकीन नहीं करेंगे लेकिन घर जाकर आप इस सबजेक्ट को गूगल या यूट्यूब पर जाकर खंगालेंगे जरूर। कभी कभी सिर्फ एक्शन, रोमांस और ड्रामा से हटकर कुछ फिल्में अच्छे सबजेक्ट्स पर बनती हैं और ये फिल्म उनमें से एक है।