Bastar Review: काफी डिस्टर्बिंग है बस्तर मूवी, एक्शन से ज्यादा दिखाई दिए अदा शर्मा के तेवर
बस्तर
बस्तर की कहानी माओवादियों के आतंकवाद के ऊपर है। कैसे उन्होंने हमारे हजारों जवानों को शहीदों कर दिया। जिसके बाद आईपीएस नीरजा माधवन इनका खात्मा करने निकल पड़ती हैं।
द केरल स्टोरी फिल्म की टीम इस बार 'बस्तर' नाम की फिल्म लेकर आई है जो कि 15 मार्च को रिलीज हो गई है। विपुल अमृतलाल शाह फिल्म के प्रोड्यूसर हैं और सुदीप्तो सेन फिल्म के डायरेक्टर। अदा शर्मा को एक बार फिर लीड रोल मे रखा गया है। एक्ट्रेस फिल्म में आईपीएस नीरजा माधवन के रोल नजर आई हैं जो बस्तर से नक्सलियों का खात्मा करने निकली हैं। लेकिन क्या ये फिल्म लोगों को थिएटर तक लाने में कामयाब होगी?
फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी काफी बिल्कुल साफ है कि बस्तर इलाके माओवादियों ने आतंक मचा रखा है। सिर्फ 76 जवान ही नहीं बल्कि वो सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारते नजर आते हैं। वो इलाके में ना देश का झंडा फरहाने देते हैं और ना ही विकास का कोई भी काम होने देते हैं। वो सब्जी की तरह इंसानों को काटते हैं और गोलियों से तड़ातड़ भून डालते हैं। नीरजा माधवन इन्हें हटाने की पूरी कोशिश करती है लेकिन उल्टा उनपर ही केस और कार्रवाई चलने लगती है क्योंकि पॉलिटिक्स बीच में आ जाती है। कुछ भ्रष्ट लोग अपना एजेंडा चलाने और घोटाले करने के लिए माओवादियों को हटाने नहीं देना चाहते।
फिल्म में क्या अच्छा?
मेकर्स की इस बात की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने इस सेंसेटिव मुद्दे को उठाने की कोशिश की है। इलाके में एक महिला किस तरह से नक्सलियों के खिलाफ लोहा ले रही है। वो साफ यहां दिखता है। फिल्म में महिला सशक्तिकरण का अच्छा उदाहरण देखने को मिलता है। यहां तक कि जिस परिवार के मुखिया को मारा गया है, वहां की महिला भी माओवादियों का खात्मा करने के लिए अपने अंदर की नारी शक्ति जगाती है और मेन विलेन को वो ही मारती है।
कहां रह गई कमी?
बस्तर में रिएलिटी दिखाने के चक्कर में जो सीन्स दिखाए गए हैं जो काफी डिस्टर्ब करते हैं। ऐसा लगता है कि बिना सेंसर के हम ओटीटी या सोशल मीडिया पर ये कंटेंट देख रहे हैं। डायरेक्टर सुदिप्तो सेन ने बस्तर की हालत ज्यों कि त्यों दिखाने की कोशिश की है। माओवादियों का लीडर एक जगह एक शख्स के कई टुकड़े करता है। एक एक टुकड़े करते हुए सीन्स को बड़ी तसल्ली के साथ दिखाया जा रहा है। कमजोर दिल वाले तो बिल्कुल ये मूवी देखने ना जाएं।
इसी तरह सलवा जुडूम के नेता को मारने का सीन भी काफी डिस्टर्ब करता है। वहीं यूनिवर्सिटी में जवानों के खिलाफ जहर उगलने वाले सीन को काफी इरीटेटिंग बना दिया गया है। अदा शर्मा एक्टिंग करने की बजाय पूरी फिल्म में तेवर दिखाते ही नजर आ रही हैं।
बस्तर और माओवादियों की समस्या को अगर आप जानना समझना चाहते हैं तो आप इंटरनेट पर काफी कुछ खंगाल सकते हैं जो कि आपको फैक्ट के साथ मिल जाएगा। लेकिन अगर हां आप ये मूवी देखेंगे तो हो सकता है कि आप बुरी तरह से डिस्टर्ब और इरीटेट हो जाएं।