Bhakshak Movie Review: बालिका गृह में बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचार की ये कहानी हैरान करती है, भूमि पेडनेकर की परफॉरमेंस है शानदार
भक्षक
भक्षक की कहानी बिहार के मुजफ्फरपुर के एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ हुए रेप पर आधारित है! फिल्म में भूमि पेडणेकर एक पत्रकार की भूमिका में नज़र आती हैं जो सच सामने लाने के लिए बड़े रसूकदारों से लड़ जाती है! कहानी का अंत सुखद और हैरान करने वाला होता है!
भूमि पेडनेकर स्टारर फिल्म भक्षक है आज नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर हुई है। फिल्म के ट्रेलर ने आपको बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की याद जरुर दिलाई होगी। कुछ साल पहले इसी बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप, उनके साथ मारपीट और नशीली दवाओं का सेवन कर उन्हें शहर के रसूकदारों को परोसा जाता था। अब इसी मुद्दे पर भूमि अपनी फिल्म ले आई हैं जिसकी सच्चाई आपको हैरान करती है। इस फिल्म से आप समझ पाएंगे कि बालिका गृह में मासूम बच्चियों के साथ किस तरह हरकत की जाती है।
फिल्म की कहानी क्या है इसका अंदाज़ा आपको ट्रेलर से लग गया होगा। वैशाली सिंह नाम की जर्नलिस्ट के किरदार में भूमि पेडनेकर अपने छोटे से चैनल कोशिश को बड़ा नाम दिलाना चाहती है इसलिए लोकल लेवल की खबरों को राज्य तक पहुंचाती है। भूमि के किरदार के हाथों एक सबसे बड़ी खबर लगती है जिसका सच जानने के लिए उन्हें बड़े रसूकदारों लोगों से भिड़ते देखा जा सकता है। लेकिन इस कहानी का हर सीन आपको परेशान करता है। फिल्म की शुरुआत एक ऐसे सीन से होती है जो आपके रोंगटे खड़े कर देता है। भूमि पेडनेकर फिल्म में पत्रकार के किरदार में हैं शुरू में उनके किरदार को बच्चियों के साथ हो रहे शोषण में कोई सच्चाई या अपने चैनल पर दिखाने वाली खबर नहीं लगती। लेकिन जिस तरह से शुरू से अंत तक वो सच सबके सामने लाने के पीछे पड़ जाती हैं वो तारीफ करने लायक हैं।
भूमि अपने छोटे से चैनल पर बालिका गृह में बच्चियों के साथ होने वाले दुष्कर्म की खबर देती हैं। बाद में उन्हें बड़े लोगों द्वारा परेशान किया जाता है। परिवार पर अत्याचार किया जाता है। बालिका गृह के अंदर की स्थिति एक बार फिर दिल दहला देती है। बच्चियों को नशे के इंजेक्शन देते केयर टेकर, बड़े पदों पर बैठे लोगों को परोसते देख आत्मा छन्नी हो जाती है। बड़ी मश्कक्त और चालाकी के बाद भूमि का किरदार सच दुनिया के सामने लाता है जिसके बाद देश की मीडिया उस खबर को कवर करती देखी जाती है।
ये फिल्म की कहानी मुजफ्फरपुर बिहार पर बेस्ड है। हालांकि, फिल्म के डायरेक्टर पुलकित का कहना है कि उनकी ये फिल्म किसी भी भी घटना से इंस्पायर्ड नहीं है। बल्कि, देश के कई बालिका गृह में ऐसी हैरान करने वाली घटनाएं होती हैं। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी शानदार है। कई सीन दिल दहला देते हैं। ये सच लोगों को के दिमाग पर भारी पड़ने वाला है। किस तरह सरकार के कुछ बड़े अधिकारी इस कुकर्मों में शामिल पाए जाते हैं वो और भी ज्यादा परेशान करने वाला होता है।
इस फिल्म को शाहरुख़ खान की प्रोडक्शन कम्पनी रेड चिल्लीस से गौरी खान ने गौरव वर्मा के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया है। फिल्म में भूमि के अलावा संजय मिश्रा की परफॉरमेंस दिल खुश कर देती है। हां, पूरी कहानी भूमि के इर्द-गिर्द ही दिखाई जाती है। कुछ जगहों पर कहानी भागती है। लेकिन कलाकारों की परफॉरमेंस शानदार है। साई ताम्हणकर भी फिल्म महिला पुलिस ऑफिसर के किरदार में जबरदस्त लगी हैं। आदित्य श्रीवास्तव इस फिल्म के विलेन के किरदार में हैं। आदित्य ने बंसी भैया का किरदार निभाया है जो बालिकाओं के साथ दुष्कर्म करने के साथ उन्हें दूसरी जगह भी परोसते थे। ये फिल्म एक बार जरुर देखी जनि चाहिए। वैसे तो ऐसी फ़िल्में किसी भी नंबर की डिमांड नहीं करती लेकिन क्या करें हमारा काम ही कुछ ऐसा है। मेरी तरफ से इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार्स।