Khuda Hafiz Chapter 2 review: विद्युत जामवाल के जबरदस्त एक्शन और जानदार मुद्दे के बाद भी कमजोर पड़ी फिल्म
खुदा हाफिज चैप्टर 2
खुदा हाफिज चैप्टर 2 की कहानी पिछले पार्ट से ही शुरू होती है। इस बार समीर अपनी गोद ली हुई बेटी नंदिनी के लिए लड़ते नजर आते हैं।
विद्ययुत जामवाल और शिवालिका ओबेरॉय स्टारर फिल्म खुदा हाफिज चैप्टर 2 सिनेमाघरों में 8 जुलाई को दस्तक दे चुकी है। ये साल 2020 में आई फिल्म खुदा हाफिज का सीक्वल है। दूसरे पार्ट में भी विद्युत अपने जबरदस्त एक्शन में नजर आए हैं लेकिन फिल्म की कहानी और फिल्म का पेस दोनों काफी स्लो पड़े हैं। हालांकि फिल्म में काफी बड़ा और सेंसेटिव मुद्दा उठाया गया है। जिसे लेकर आपके अंदर इमोशन जरूर जांगेगे और आपको भी विद्युत के कैरेक्टर के लिए बुरा लगेगा कि किसी इंसान की किस्मत कितनी खराब हो सकती है। तो आइए जानते हैं कि फिल्म की कहानी कैसी है, क्या आप ये फिल्म देखने जा सकते हैं या नहीं।
कैसी है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी पिछले पार्ट से ही शुरू होती है। नरगिस (शिवालिका) अपने पास्ट की वजह से ट्रॉमा में चली गई है। उसे ठीक होते होते एक साल हो गए हैं लेकिन वो अपने अतीत से उबर नहीं पाई है। अब उसके डिप्रेशन का इलाज चल रहा है। समीर (विद्युत जामवाल) इस पूरी जर्नी में नरगिस का साथ देते हैं लेकिन नरगिस को लगता है कि हर कोई उन्हें बेचारी की तरह ट्रीट कर रहा है। समीर को एक अनाथ बच्ची मिल जाती है जिसे वो अपने घर ले आते हैं और नरगिस को भी उससे प्यार हो जाता है। तीनों की जिंदगी खुशहाल चलने लगती है कि अचानक से उनकी बेटी को किडनैप कर लिया जाता है और अपनी बेटी को बचाने और उसके दुश्मनों से बदला लेने के लिए समीर निकल पड़ते हैं। इस बार उनके दुश्मन लखनऊ शहर के बाहुबली हैं और उन्हीं के बच्चों के बच्चियों को किडनैप किया और उनके साथ घिनौना काम किया।
फिल्म में क्या अच्छा?
फिल्म में इस बार भी आपको विद्युत जामवाल के एक्शन्स देखने को मिलेंगे। खुदा हाफिज की तरह खुदा हाफिज 2 भी सिर्फ एक्शन फिल्म नहीं है। इसमें आपको विद्युत और शिवालिका की एक्टिंग देखने को मिलती है। आपको इसमें साइड एक्टर काफी पसंद आएंगे। फिर चाहे वो लीड विलेन ठाकुर जी यानी शीबा चड्ढा हो या कसाई के रोल में दिब्येंदु भट्टाचार्जी। राजेश तैलांग ने जर्नलिस्ट रवि कुमार का रोल किया है और जब वो सेंसेटिव सीन को शूट करने से रोकते हैं तो आपको बहुत अच्छा लगेगा की मीडिया यहां सनसनी नहीं फैला रही है बल्कि जिम्मेदारी से अपना काम कर रही है। आपको नंदिनी का रोल करने वाली छोटी बेटी रिद्धी शर्मा भी बहुत क्यूट लगेगी।
फिल्म में क्या खराब?
एक अच्छा मुद्दा होते हुए भी फिल्म वो जादू नहीं दिखा पाई। जो फिल्म दिखा सकती थी। विद्युत जामवाल आखिरी में जिस विलेन से लड़ते नजर आते हैं। आपको लगेगा कि इतना हल्का विलेन क्यों दिखाया गया आखिरी में। फिल्म का पेस बहुत धीमा है। एक एक चीज को देर तक दिखाने में फोकस की गई है। सेकेंड हाफ में तो आपको हर एक सीन के बाद आगे की स्टोरी पता चलती चली जाएगी। एक वक्त पर आकर आप ये कहेंगे कि मुझे घर जाना है। जबरदस्ती के ऐसे ऐसे एंगल जोड़ दिए गए हैं जिनकी जरूरत नहीं थी। विद्युत को जबरदस्ती अपने दुश्मनों से लड़ने के लिए विदेश भेजा जाता है, ये वाली स्टोरी तो आपको बिल्कुल हजम नहीं होगी। फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो खुदा हाफिज के मुकाबले इस पार्ट में गाने और म्यूजिक भी कमजोर ही नजर आता है।
कुल मिलाकर आप ये फिल्म तभी देख सकते हैं, जब आप विद्युत जामवाल है फैन हैं या उनके एक्शन्स देखना चाहते हैं। सच कहें तो विद्युत इससे अच्छे एक्शन्स अपनी बाकी फिल्मों में दिखा चुके हैं। हम इस फिल्म को 5 में से 2 स्टार दे रहे हैं।