‘मिन्नल मुरली’ रिव्यू: नेटफ्लिक्स के इस देसी सुपरहीरो की कहानी ढाई घंटे का धमाकेदार एंटरटेनमेंट है!
मिन्नल मुरली
मलयालम (2021)
डायरेक्टर: बेसिल जोसेफ
कास्ट: टोविनो थॉमस, गुरु सोमसुन्दरम
केरल के एक छोटे से गांव में रहने वाला जैसन एक दिन आसमान से गिरी बिजली की चपेट में आ जाता है और उसमें सुपरपावर्स आ जाती हैं। जैसन अभी अपनी शक्तियों के मज़े ही ले रहा है, तभी उसे पता चलता है कि वो अकेला नहीं था जिसे उस बिजली के बोल्ट से शक्तियां मिलीं। कोई और भी है जो अपनी शक्तियों का पूरा इस्तेमाल शुरू कर चुका है, लेकिन लोगों को नुक्सान पहुंचाने के लिए...
मलयालम सिनेमा ने पछले कुछ वक़्त में जो एक से बढ़कर एक शानदार नगीने पेश किए हैं, उसे देखते हुए ‘मिन्नल मुरली’ से मुझे उम्मीदें भी थीं। लेकिन इंडियन सुपरहीरो फिल्म्स का जो रिकॉर्ड रहा है उसे देखते हुए डर भी था कि कहीं फिर से माथा न पकड़ना पड़े।
केरल के एक छोटे से गांव में एक रात ‘सदियों में एक बार’ टाइप घटना होती है और गांव के दो लोगों पर एक साथ बिजली गिरती है। जैसन और सेल्वन दोनों की बैकस्टोरी काफी दिलचस्प है और बिजली गिरने के बाद दोनों में कुछ अनोखी शक्तियां यानी सुपरपावर्स आ जाती हैं।
जबतक दोनों को एहसास होता है कि उनके अलावा किसी और पर भी बिजली गिरी थी, तबतक गांव में काफी कुछ परेशान करने वाली चीज़ें होने लगती हैं। और जब दोनों आमने-सामने आते हैं, तो अभी तक मज़े में चलती आ रही कहानी, आखिरी के एक घंटे में बहुत सीरियस हो जाती है। यहां देखिए 'मिन्नल मुरली' का ट्रेलर:
डायरेक्टर बेसिल जोसफ की स्टोरीटेलिंग आप पर ऐसा जादू करेगी कि फिल्म से नज़र, ध्यान और दिल हटाना मुश्किल हो जाएगा। एक सुपरहीरो की ऑरिजिन स्टोरी को इतने लयात्मक तरीके से दिखाने में उनका हुनर खुलकर चमकता है।
जैसन के रोल में टोविनो थॉमस ने तो जो जादू किया है वो है ही, लेकिन सेल्वन बने गुरु सोमसुन्दरम एक फिनोमिना हैं। उनके कैरेक्टर का आर्क ढेर सारे इमोशन और गुस्से से होकर गुज़रता है और इनमें से अधिकतर सीन्स में उनके डायलॉग नहीं हैं। वो सिर्फ अपने चेहरे से, अपनी बॉडी-लैंग्वेज से सबकुछ एक्सप्रेस करते चले जाते हैं।
‘मिन्नल मुरली’ देखते हुए ज़ोर से हंसी तो बहुत जगह आती है लेकिन पूरी फिल्म में मेरे चेहरे पर एक स्माइल बनी रही कि वाओ, हमारे यहां, इंडिया में ये कमाल की फिल्म बनी है। ये फिल्म एक एक्सपीरियंस है, जादू है और मौज है जिसे ज़रुर-ज़रूर फील करा बनता है।
एक छोटे से गांव के इन दोनों लोगों को कोई जानकारी नहीं है कि ये अमेरिकन सुपरहीरो- सुपरमैन, आयरनमैन कौन हैं और सुपरपावर्स क्या होती हैं। दोनों बस अपनी-अपनी मुश्किलें हल करने के लिए इन सुपरपावर्स का इस्तेमाल करते रहते हैं।
अरुण अनिरुद्ध और जस्टिन मैथ्यू की राइटिंग में कॉमेडी, ड्रामा, इमोशन और एक्शन इतनी आसान से फ्लो होता चला जाता है कि आप कहानी में डूब जाते हैं और फिल्म का क्लाइमेक्स आपको उस हाईट पर ले जाता है जहां फिल्म का चरम आनंद प्राप्त होता है!
टेक्निकली बात करें तो फिल्म का लिमिटेड बजट वीएफ़एक्स पर दिखता है लेकिन फिर भी सुपरहीरो वाले सीन्स में ग्राफिक्स बहुत कमाल हैं। क्लाइमेक्स बिल्कुल उस लेवल का है जो एक सुपरहीरो डिज़र्व करता है। फिल्म का म्यूजिक, बैकग्राउंड स्कोर, सिनेमेटोग्राफी और कैमरा वर्क सब बहुत बेहतरीन है और स्टोरी के फ्लो पर पूरा कंट्रोल रखता है।
लेकिन, सावधान... खड़े होकर, हाथ ऊपर करके, तालियां बजाकर स्वागत कीजिए हमारे देसी सुपरहीरो मिन्नल मुरली का, जिसमें आपको स्क्रीन से चिपकाकर रखने की अद्भुत शक्तियां हैं।