OMG 2 Review: पूरी फिल्म में छाए पंकज त्रिपाठी, अक्षय कुमार का स्क्रीन प्रेजेंस भी लगा दमदार
ओएमजी 2
ओएमजी 2 फिल्म स्कूल के एजुकेशन सिस्टम पर सवाल उठाती है। एक सोशल मु्द्दे के साथ ही फिल्म में कटाक्ष और कॉमेडी भी है।
अक्षय कुमार, पकंज त्रिपाठी और यामी गौतम स्टारर फिल्म ओएमजी 2 आखिरकार रिलीज हो गई है। ओएमजी की सफलता के बाद अक्षय कुमार ने एक बार फिर से सीक्वल में भी अपना दमखम दिखाने की कोशिश की है लेकिन यहां कहना होगा कि अक्षय कुमार जब जब स्क्रीन पर आते हैं तो उनसे निगाहें नहीं हटती हैं लेकिन पूरी फिल्म में पंकज त्रिपाठी बाजी मार ले गए हैं। वहीं यामी गौतम को फिल्म का विलेन तो बना दिया गया लेकिन फिर भी आपको उनपर इतना गुस्सा नहीं आएगा जो एक विलेन से आना चाहिए। फिल्म में एक दमदार सबजेक्ट है जिस पर ये पूरी फिल्म बनी है। तो कैसी है ओएमजी 2, आइए आगे जानते हैं।
फिल्म की कहानी
फिल्म कांति शरण मुदगल (पंकज त्रिपाठी) और उसके परिवार की है। कांति शरण मिडिल क्लास फैमिली से है जो महाकाल के मंदिर के बाहर अपनी प्रसाद की दुकान लगाता है और मंदिर के सबसे बड़े पुजारी (गोविंद नामदेव) भी उसी की दुकान का प्रसाद मंदिर में चढ़ाते हैं। महादेव की कृपा से ठीक ठाक जिंदगी चल रही होती है कि अचानक उसका बेटा अस्पताल पहुंच जाता है। पिता को पता चलता है कि हद से ज्यादा हस्तमैथुन और वियाग्रा जैसी दवाइयों के ज्यादा सेवन के चलते ऐसा हुआ है। लेकिन बेटे विवेक (आयुष शर्मा) को ऐसा करने की क्या जरूरत आन पड़ती है और यहां तक कि इसके बाद बेटा जान भी देने जा रहा होता है। ये सब पूजा माजरा क्या है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
बेटे की हर तरफ थू थू होने लगती है। बेटा अपने होशो अवाज खो बैठता है। कांति इन सब चीजों से बचने के शहर छोड़ने जा ही रहा होता है कि तभी भगवान शंकर का एक दूत (अक्षय कुमार) उसे समझाता है और तब कांति शरण मुदगल स्कूल पर केस करता है कि उसे अगर सेक्स एजुकेशन ठीक से मिलती तो उसके बेटे की ये हालत ना होती। यहीं से जो पूरी फिल्म का माहौल होता है, वो आखिर तक देखने लायक है।
फिल्म में क्या अच्छा?
सबसे पहले तो पंकज त्रिपाठी की यहां तारीफ करने होगी। वो अपने रोल को जितनी सरलता से निभा जा जाते हैं, आप बस उन्हें देखते रह जाते हैं। वही यहां पर भी हुआ है। आखिरतक आप उन्हें देखते और सुनते रहते हैं और कहीं भी इधर उधर नहीं भटकते हैं। वहीं बात करनी होगी अक्षय कुमार की, उनका लुक वाकई में फिल्म में कमाल का दिखा है। उनकी स्क्रीन प्रेजेंस आपको काफी ज्यादा पसंद आने वाली है। आखिर में जब वो लंबोर्गिनी पर पकंज त्रिपाठी को लेते हैं तो वो सीन तो आपके दिमाग में एकदम छप जाएगा। मेकर्स ने थोड़ा मसालेदार बनाने के लिए ये सीन डाला है।
गजब तो तब होता है जब अक्षय कुमार सनी देओल की फिल्म गदर का गाना घर आजा परेदसी गा रहे होते हैं। गदर 2 भी 11 अगस्त को ही रिलीज हुई है और इससे आपको इसका रीफ्रेंस समझ आ जाएगा। बाकी यामी गौतम, पवन मल्होत्रा, आयुष शर्मा और गोविंद नामदेव जैसे स्टार्स ने भी अपना काम अच्छे से किया है।
डायरेक्टर और फिल्म के लेखक अमित राय ने मुद्दा काफी बढ़िया चुना है जो बच्चों में और खासतौर से टीनेज लड़कों पर आधारित है। कहने के लिए सेक्स एजुकेशन है लेकिन उसे कितना ही पढ़ाया जा रहा है, उसकी तस्वीर ये फिल्म बखूबी पेश करती है। अभी तक ज्यादातर फिल्मों में लड़कियों को लेकर सोशल मुद्दे ज्यादा थे लेकिन अमित ने लड़कों को भी केंद्र रखकर सोशल मुद्दे को उठाने का रिस्क लिया है। डायरेक्टर ने एक गंभीर मुद्दे के साथ फिल्म को लाइट भी रखा है। ये उनकी खासियत रही।
कहां रह गई कमी?
दर्शकों को इस फिल्म में अक्षय कुमार से काफी उम्मीदे थीं। लेकिन मेकर्स ने उनका इस फिल्म में उतना इस्तेमाल नहीं किया है। उनका स्क्रीन पर और ज्यादा टाइम के लिए रखा जा सकता था। वो जितनी देर स्क्रीन पर आए वो तो अच्छा लगा लेकिन उन्हें और देखने का मन करता है। वरना ऐसे में वो कहीं ना कहीं सपोर्ट एक्टर नजर आते हैं।
वहीं फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर थोड़ा कम ही पसंद आएगा। अक्षय कुमार का तांडव भी कमजोर पड़ता दिखता है। सिर्फ जब शिवरात्रि वाले गाने में 'हर हर' वाली लाइन आती है तभी आपको सुनने में फील आती है। फिल्म में कोई वाव फैक्टर नहीं है। एक थीम है और उसी पर फिल्म चलती है। कोई सस्पेंस वगैरह कुछ नहीं है। जिससे आपको ये फिल्म सपाट भी लगेगी।
इसके अलावा बात की जाए तो हिंदू धर्म पर ही सारा फोकस है और भारत की संस्कृति को ही उजागर किया गया है। बाकी धर्मों को लेकर तो सिर्फ झलक भर दी गई है। लेकिन ओवरआल आप ये फिल्म देख सकते हैं। आपको एक सोशल मुद्दे के साथ एंटरटेनमेंट भी मिलेगा और आप आजकल के टीनेज बच्चों खासतौर से टीनेज लड़कों की समस्या को ज्यादा समझ पाएंगे।