Tiger 3 Review: सलमान खान की परफॉरमेंस पर भारी पड़ा कैटरीना कैफ का एक्शन, कहानी में ठहराव की कमी
टाइगर 3
सलमान खान और कैटरीना कैफ एक बार फिर अपने देशों को बचाने की जिम्मेदारी लेते हैं! जबरदस्त एक्शन से भरी ये फिल्म ऑडियंस को थिएटर में खूब सारी सीटियां बजाने का मौका देती है! फिल्म तेज रफ़्तार से भागती है! लेकिन अगर थोड़ा ठहराव होता तो मज़ा डबल होता!
सलमान खान और कैटरीना कैफ स्टारर फिल्म टाइगर 3 का लंबे समय से इंतजार कर रही ऑडियंस को आज दिवाली के दिन बड़ा धमाका मिला है। जिंदा टाइगर थिएटर में धूम मचा रहा है। लेकिन सलमान और कैटरीना ने सच में अपनी ऑडियंस को सच में दिवाली का तोह्फ्ता दिया है या नहीं, ये हम इस रिव्यू में बतायेंगे।
सलमान खान टाइगर 3 के बार फिर अपने देश को बचाने निकले हैं। लेकिन इस बार उनका परिवार यानी पत्नी जोया और बेटा जूनियर भी इस जंग का हिस्सा है। यहां तक कि ससुराल पाकिस्तान को बचाना भी अब टाइगर का ही काम है। टाइगर अपने दोस्त से जोया के धोखे की जानकारी मिलती है जिससे वो टूट जाता है। दोनों का जंग में आमना-सामना भी होता है। लेकिन सच इतनी जल्दी सामने आगया और धोखे का सस्पेंस पूरी तरह से खत्म हो गया। अब इसी सच के बीच इमरान हाशमी यानी आतिश रहमान अपने पुराने बदले के साथ वापस आता है। टाइगर की रूस में गिरफ्तार किया जाता है। लेकिन फिर पाकिस्तानी जेल में छोड़ दिया जाता है। यहां एक बड़े सुपरस्टार के कैमियों की मदद से टाइगर पाकिस्तान की टाइट सिक्यूरिटी को तोड़ कर बाहर निकलता है। पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर को उनके ही धोखेबाज़ लोगों से रिहा करवाता है। ये बेसिक कहानी है टाइगर 3 की, क्योंकि हम सब कुछ बता कर आपका थिएटर वाला मज़ा ख़राब नहीं करना चाहते हैं।
अब हम अपने असली रिव्यू की बात करते हैं। इस फिल्म शुरुआत जिस तरह से होती वो देख कर मैं सीट से हिलने की भी कोशिश नहीं कर पाती। मुझे लगता है अब शायद पठान से बेहतर कहानी लेकर यशराज फिल्म्स प्रोडक्शन के मालिक आ गये हैं। सलमान क्या जबरदस्त एक्शन करते हैं। लेकिन फिर मुझे लगता है इस कहानी के तो पैर ही नहीं है ये बस एक्शन, हवा में उड़ना, लड़ना और चेहरे के एक्सप्रेशन पर हीचल रही है। ये बात दूसरी है कि जब-जब सलमान खान स्क्रीन पर आते हैं बस मज़ा आ जाता है। कहानी में थोड़ा ठहराव होता, कुछेक सीन पर ऑडियंस को सोचने का मौका दिया जाता तो शायद ये रिव्यू थोड़ी अधिक तारीफों से भरा होता। भारतीय सरकार, पाकिस्तानी सरकार, RAW, ISI, सब कुछ भरा पड़ा बा सधेपन के अलावा।
किरदारों पर बात करते हैं जो सबसे जरुरी पहलु है। इमरान हाशमी डराने वाले विलेन नहीं लगते। न ही पाकिस्तानी देश की प्राइममिनिस्टर बनी एक्ट्रेस की आवाज में कोई दमखम गलत है। जो अच्छा लगता है वो सलमान से कैटरीना कैफ को एक्शन करते देखना। ऐसा बहुत कम हुआ हुआ है कि हिंदी फिल्मों की लीड हीरोइन को इस तरह से एक्शन करते देखना। उन्होंने सिर्फ हाथ में बंदूक पकड़ कर निशाना साधने की एक्टिंग नहीं की है बल्कि जबरदस्त हाथ-पैर मारे हैं जो उन्हें दूसरी एक्ट्रेस से अलग करता है। कैटरीना सिर्फ टॉवल फाइट सीन में कमाल नहीं करती हैं बल्कि वो अपने हर सीन में ऑडियंस को अपने हर एक्शन से खुश करती हैं।
अब डायरेक्शन की बात करते हैं। इस फिल्म की कमान मनीष शर्मा के हाथों में थीं। उन्होंने पहली दोनों फिल्मों से कड़ी जोड़ने की कोशिश की है। लेकिन वो हर जगह सफल नहीं हो पाए हैं। शाहरुख़ खान का कैमियो सीन, उनकी एंट्री थोड़ी बेहतर हो सकती है। अंत थोड़ा और अच्छा और यकीन करने लायक हो सकता था और कहानी में थोड़ा ठहराव हो सकता था जो नहीं हुआ। आदित्य चोपड़ा के प्रोडक्शन में बनी इस फिल्म को मेरी तरफ से पांच में से 3 स्टार्स।