TBMAUJ Review: शाहिद कपूर-कृति सेनन की फिल्म में लॉजिक कम एंटरटेनमेंट फुल है
तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया
फिल्म में एक रोबोटिक इंजीनियर आर्यन और एक रोबोट सिफरा की लव स्टोरी दिखाई गई है। आर्यन सिफरा से प्यार तो कर बैठता है लेकिन रोबोट होने के अपने क्या खामियाजे हैं, इसका एहसास उसे आखिर में होता है।
शाहिद कपूर और कृति सेनन स्टारर फिल्म 'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' फिल्म 9 फरवरी को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म एक अनोखी लव स्टोरी कहानी पर आधारित है। शाहिद कपूर और कृति सेनन की ये फिल्म आपको हंसाती भी है लेकिन वहीं अगर आप लॉजिक ढूंढने बैठेंगे तो फिर आपको उतनी मजेदार नहीं लगेगी। तो आइए जानते हैं कैसे ही पूरी फिल्म?
फिल्म की कहानी?
'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' की कहानी में एक आर्यन अग्निहोत्री (शाहिद कपूर) नाम का रोबोटिक इंजीनियर है। जिसकी बॉस उसकी मौसी उर्मिला (डिंपल कपाड़िया)। वो एक ऐसा रोबोट तैयार करती हैं जिसे आर्यन भी नहीं पकड़ पाता है कि वो रोबोट है। इस रोबोट का नाम सिफरा (कृति सेनन) है। सिफरा सारे काम कर लेती है और यहां तक कि उसे इंसानों के एक्सप्रेशन पढ़ने आते हैं। उसे जब दिखता है कि आर्यन उसकी तरफ अट्रैक्टिव हो रहा है तो वो भी इंसानों की तरह प्यार में पड़ जाती है।
उर्मिला का ये 13 साल का एक्सीपेरीमेंट सफल होता है। लेकिन आर्यन घर वापस चला जाता है क्योंकि जब उसे पता चलता है कि सिफरा एक रोबोट है तो उसका दिल टूट जाता है। मौसी से नाराज होकर वो घर तो आ जाता है लेकिन उसका दिलो दिमाग सिफरा पर ही रहता है। वो इंडिया में घरवालों के कहने पर शादी के लिए मान तो जाता है लेकिन फिर सगाई वाले दिन भाग जाता है।
अपनी मौसी से वो और एक्सीपेरीमेंट के नाम पर सिफरा को इंडिया मंगवा लेता है और अपने घरवालों को उनकी बहू के रूप में पेश कर देता है। सबकुछ सही चल रहा होता है और शाही भी होने वाली होती है। लेकिन शादी वाले दिन कुछ ऐसा होता है कि जिसकी किसी को उम्मीद नहीं होती है। घरवाले मुसीबत में पड़ जाते हैं और एक की तो जान पर बन आती है। इस बढ़िया क्लाईमैक्स के लिए तो आपको फिल्म देखनी चाहिए।
फिल्म में क्या अच्छा?
शाहिद कपूर और कृति सेनन की फ्रेश जोड़ी भी बड़े पर्दे पर अच्छी लगती है। शाहिद और कृति ने अपनी बढ़िया परफोर्मेंस दी है। डिंपल कपाड़िया को जितना रोल मिला है, वो उसके साथ पूरा न्याय करती हैं। साइड रोल में दादा जी के रोल में धर्मेंद्र भी हैं और वो भी एक छोटी लेकिन अहम भूमिका निभाते हुए अच्छे लग रहे हैं। फिल्म पूरी सिंपल कहानी पर बेस्ड है। रोबोटिक फिल्म होते हुए भी बहुत ज्यादा ग्राफिक्स का इस्तेमाल नहीं किया है। फिल्म इमोशन्स पर चलती है।
फिल्म में छोटे छोटे पंच दिए गए हैं जो पूरी मूवी में चलते रहते हैं। फिल्म में हंसी ठिठौली चलती रहती है और ये आपका पूरी मूवी के दौरान मूड लाइट रखती है। सेकेंड हाफ आपको पसंद आएगा। खासतौर से क्लाईमैक्स में अच्छा ट्विस्ट है। फिल्म के आखिर में आपको एक हसीन बॉलीवुड एक्ट्रेस का कैमियो भी देखने को मिलेगा। कमाल की बात है कि डायरेक्टर जोड़ी अमिता जोशी और अराधना शाह ने फिल्म के सीक्वल के लिए भी जगह छोड़ी है।
कहां रह गई कमी?
'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' का फर्स्ट हाफ आपको जरूर बोरिंग लग सकता है लेकिन इसकी कमी सेकेंड हाफ में पूरी हो जाती है। फिल्म में कहीं कहीं बेतुका लॉजिक नजर आएंगे। हालांकि जैसा ही आपको हेडिंग में ही पता चल गया था कि लॉजिक पर न जाएं तो फिल्म एंटरटेनिंग है। फिल्म भले ही लव स्टोरी है लेकिन इसके सारे गाने अच्छे नहीं है। यहां तक कि 'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' गाना जो कि आखिर में आता है, उसकी सिर्फ गाने के नाम जितनी लाइन अच्छी है जिसे आप सिर्फ रील में इस्तेमाल कर सकते हैं। इन गानों को आप अपनी प्लेलिस्ट में शामिल नहीं करना चाहेंगे।
पर कुल मिलाकर ये एक लाइट मूवी है और इसे बिंदास होकर देखा जा सकता है। आपको थिएटर में पैसे बर्बाद नहीं होंगे।